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गुलामकी परीक्षा  [हिन्दी कथा]
Moral Story - Hindi Story (Story To Read)

गुलामकी परीक्षा

एक बादशाहने दो गुलाम खरीदे। उनमें से एक गुलाम दीखनेमें अच्छा था और दूसरा बदसूरत था। बादशाहने पहले गुलामको बुलाया। उससे बातचीत करके बादशाहको महसूस हुआ कि यह गुलाम बहुत बुद्धिमान् और मृदुभाषी है। उसने गुलामसे जानेको कह दिया और फिर दूसरे गुलामको बुलाया। बादशाह उसे देखकर खुश नहीं हुआ। लेकिन उसकी योग्यता और गुणोंको परखनेकी सोचने लगा। उसने गुलामसे कहा तुमसे पहले जो गुलाम आया था, वह तुम्हारी बहुत बुराई कर रहा था। लेकिन तुम्हें देखकर उसकी बातोंपर यकीन नहीं होता। खैर, तुम ही अपने बारेमें कुछ बता दो। गुलामने कहा-'यदि उसने मेरे बारेमें कुछ कहा है, तो सच ही कहा होगा। हो सकता है, जो दोष उसने मुझमें बताये हैं, वे मुझे खुद न दीखते हों।' उसकी बात सुनकर बादशाहने कहा-'मैं चाहता हूँ कि तुम भी उसकी कमियोंके बारेमें कुछ बताओ।' गुलाम बोला—'वह बड़ा सच्चा इंसान है। उसमें सादगी और
सच्चाई है। वह बहादुर भी है। उससे ज्यादा भला इंसान मैंने आजतक नहीं देखा।' बादशाहने उसकी बात सुनी और उसे बाहर भेज दिया। अब वह सोचने लगा कि जिस तरहसे मैंने दूसरे गुलामकी परीक्षा ली है, क्यों न, वैसे ही पहले गुलामकी भी परीक्षा लूँ। बादशाहने पहले गुलामको बुलवाकर कहा-' अभी जो गुलाम यहाँसे गया है, वह तो तुम्हारी बहुत बुराई कर रहा था। यदि मैं उसकी बातों पर ध्यान दूँ, तो तुम्हें इसी समय महल छोड़कर चले जाना चाहिये।' यह सुनकर गुलाम चिढ़ गया और बोला "उस बदसूरत इंसानने जो कुछ मेरे बारेमें कहा है, वह गलत है। उसे अच्छे-बुरेकी परख ही कहाँ है।'
गुलामके मनमें जो आ रहा था, बोलता जा रहा था। बादशाहने उसकी बात सुनकर कहा- 'उसका तो सिर्फ रंग-रूप ही बुरा है, लेकिन तुम्हारा तो मन कुरूप है। मैं तुम्हें उसका अधीनस्थ गुलाम बनाता हूँ। यह सुनकर गुलाम समझ गया कि यह तो बादशाहका परीक्षा लेनेका तरीका था, जिसमें वह पिछड़ चुका है। उसने गुलामी स्वीकार कर ली और बादशाहसे माफी माँगी।
सुन्दर और लुभावना रूप होते हुए भी, यदि मनुष्यमें अवगुण हैं, तो उसका मान नहीं हो सकता। यदि रूप बुरा, पर चरित्र अच्छा है, तो वह मनुष्य सदैव समादरका अधिकारी होता है।



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gulaamakee pareekshaa

gulaamakee pareekshaa

ek baadashaahane do gulaam khareede. unamen se ek gulaam deekhanemen achchha tha aur doosara badasoorat thaa. baadashaahane pahale gulaamako bulaayaa. usase baatacheet karake baadashaahako mahasoos hua ki yah gulaam bahut buddhimaan aur mridubhaashee hai. usane gulaamase jaaneko kah diya aur phir doosare gulaamako bulaayaa. baadashaah use dekhakar khush naheen huaa. lekin usakee yogyata aur gunonko parakhanekee sochane lagaa. usane gulaamase kaha tumase pahale jo gulaam aaya tha, vah tumhaaree bahut buraaee kar raha thaa. lekin tumhen dekhakar usakee baatonpar yakeen naheen hotaa. khair, tum hee apane baaremen kuchh bata do. gulaamane kahaa-'yadi usane mere baaremen kuchh kaha hai, to sach hee kaha hogaa. ho sakata hai, jo dosh usane mujhamen bataaye hain, ve mujhe khud n deekhate hon.' usakee baat sunakar baadashaahane kahaa-'main chaahata hoon ki tum bhee usakee kamiyonke baaremen kuchh bataao.' gulaam bolaa—'vah bada़a sachcha insaan hai. usamen saadagee aura
sachchaaee hai. vah bahaadur bhee hai. usase jyaada bhala insaan mainne aajatak naheen dekhaa.' baadashaahane usakee baat sunee aur use baahar bhej diyaa. ab vah sochane laga ki jis tarahase mainne doosare gulaamakee pareeksha lee hai, kyon n, vaise hee pahale gulaamakee bhee pareeksha loon. baadashaahane pahale gulaamako bulavaakar kahaa-' abhee jo gulaam yahaanse gaya hai, vah to tumhaaree bahut buraaee kar raha thaa. yadi main usakee baaton par dhyaan doon, to tumhen isee samay mahal chhoda़kar chale jaana chaahiye.' yah sunakar gulaam chidha़ gaya aur bola "us badasoorat insaanane jo kuchh mere baaremen kaha hai, vah galat hai. use achchhe-burekee parakh hee kahaan hai.'
gulaamake manamen jo a raha tha, bolata ja raha thaa. baadashaahane usakee baat sunakar kahaa- 'usaka to sirph ranga-roop hee bura hai, lekin tumhaara to man kuroop hai. main tumhen usaka adheenasth gulaam banaata hoon. yah sunakar gulaam samajh gaya ki yah to baadashaahaka pareeksha leneka tareeka tha, jisamen vah pichhada़ chuka hai. usane gulaamee sveekaar kar lee aur baadashaahase maaphee maangee.
sundar aur lubhaavana roop hote hue bhee, yadi manushyamen avagun hain, to usaka maan naheen ho sakataa. yadi roop bura, par charitr achchha hai, to vah manushy sadaiv samaadaraka adhikaaree hota hai.

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