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जब सूली पानी-पानी हो गयी !  [आध्यात्मिक कहानी]
शिक्षदायक कहानी - Hindi Story (आध्यात्मिक कहानी)

एक शूद्र अपनी पत्नीके साथ कार्तिकी यात्राके निमित्त पंढरपुर गया उसके साथ उसकी नन्ही सी पुत्री जनी भी थी उत्सव समाप्त होनेपर वह अपने घर लौटने लगा। जनीका मन पंढरपुरमें भगवान्‌के भजन कीर्तनमें इतना रम गया कि वह माता-पिताके साथ घर जानेके लिये तैयार नहीं हो रही थी। माता-पिताने बहुत समझाया, पर उसने एक भी न मानी। लाचार माता पिता उसे विट्ठल- मन्दिरमें ही छोड़कर चले गये।

भजन समाप्त होनेपर जब सभी भक्त चले गये, तब नामदेवकी दृष्टि जनीपर पड़ी। उसके अभिभावकको वहाँ न देख उस अनाथाको वे अपने साथ घर ले आये। अब जनी नामदेव के घर दासी बनकर रहने लगी।

नामदेवके यहाँ नित्य ही बड़े-बड़े साधु-संत आते। जनीको अनायास उनका सत्सङ्ग प्राप्त होता सत्सङ्गकी महिमासे धीरे-धीरे उसका मन भगवान्में इतना रमने लगा कि वह अपना नित्यका काम भी भूल जाती। उसने अपना चित्त प्रभु चरणोंमें समर्पित कर दिया। इस कारण भक्तवत्सलभगवान्‌को उसके काम पूरे करने पड़ते। कई बार ऐसा हुआ कि वह भजनकी धुनमें कितने ही घरके काम करना भूल गयी नामदेवकी माता गोणाई ज्यों ही उसे डाँटनेफटकारने लगतीं त्यों ही भगवान् उन कामोंको स्वयं रूप बदलकर कर देते।

प्रातः काल आटा पीसनेका काम जनीके जिम्मे रहा। एक दिन वह सो गयी। भगवान्ने तत्काल पहुँचकर उसे जगाया और आटा पीसनेमें उसका साथ स्वयं देने लगे। आटा पीसते पीसते सुबह हो गयी । भगवान् जल्दीसे उठे और मन्दिरमें जाकर बैठ गये। इसी बीच उनके गलेका जड़ाऊ हार वहीं रह गया।

पूजाके समय पुजारीने हार न देखकर शोर मचाया। सभीकी तरह जनीसे भी पूछा गया। पर उसने साफ इनकार कर दिया। बेचारी कुछ जानती ही न थी । जनीपर जलनेवालोंने उसके घरकी तलाशी लेनेको कहा और जाँचमें हार उसीकी कोठरीसे बरामद हुआ।

भगवान् के गलेका हार चुराने और इनकार करनेके अपराधमें लोगोंने जनीको सूलीपर चढ़ानेका कठोर दण्ड दिया। भीमाके तटपर सूली बैठायी गयी और जनीको उसपर चढ़ानेका उपक्रम हो ही रहा था कि अपने निरपराध भक्तको बचानेकी बात भगवान्ने सोच ली। लोगोंके देखते-देखते सूली पानी-पानी हो गयी ! और लोग जनीबाईको निर्दोष बता उसे गौरव देने लगे।

-गो0 नं0 बै0 (भक्तिविजय, अ0 21)



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jab soolee paanee-paanee ho gayee !

ek shoodr apanee patneeke saath kaartikee yaatraake nimitt pandharapur gaya usake saath usakee nanhee see putree janee bhee thee utsav samaapt honepar vah apane ghar lautane lagaa. janeeka man pandharapuramen bhagavaan‌ke bhajan keertanamen itana ram gaya ki vah maataa-pitaake saath ghar jaaneke liye taiyaar naheen ho rahee thee. maataa-pitaane bahut samajhaaya, par usane ek bhee n maanee. laachaar maata pita use vitthala- mandiramen hee chhoda़kar chale gaye.

bhajan samaapt honepar jab sabhee bhakt chale gaye, tab naamadevakee drishti janeepar pada़ee. usake abhibhaavakako vahaan n dekh us anaathaako ve apane saath ghar le aaye. ab janee naamadev ke ghar daasee banakar rahane lagee.

naamadevake yahaan nity hee bada़e-bada़e saadhu-sant aate. janeeko anaayaas unaka satsang praapt hota satsangakee mahimaase dheere-dheere usaka man bhagavaanmen itana ramane laga ki vah apana nityaka kaam bhee bhool jaatee. usane apana chitt prabhu charanonmen samarpit kar diyaa. is kaaran bhaktavatsalabhagavaan‌ko usake kaam poore karane pada़te. kaee baar aisa hua ki vah bhajanakee dhunamen kitane hee gharake kaam karana bhool gayee naamadevakee maata gonaaee jyon hee use daantanephatakaarane lagateen tyon hee bhagavaan un kaamonko svayan roop badalakar kar dete.

praatah kaal aata peesaneka kaam janeeke jimme rahaa. ek din vah so gayee. bhagavaanne tatkaal pahunchakar use jagaaya aur aata peesanemen usaka saath svayan dene lage. aata peesate peesate subah ho gayee . bhagavaan jaldeese uthe aur mandiramen jaakar baith gaye. isee beech unake galeka jada़aaoo haar vaheen rah gayaa.

poojaake samay pujaareene haar n dekhakar shor machaayaa. sabheekee tarah janeese bhee poochha gayaa. par usane saaph inakaar kar diyaa. bechaaree kuchh jaanatee hee n thee . janeepar jalanevaalonne usake gharakee talaashee leneko kaha aur jaanchamen haar useekee kothareese baraamad huaa.

bhagavaan ke galeka haar churaane aur inakaar karaneke aparaadhamen logonne janeeko sooleepar chadha़aaneka kathor dand diyaa. bheemaake tatapar soolee baithaayee gayee aur janeeko usapar chadha़aaneka upakram ho hee raha tha ki apane niraparaadh bhaktako bachaanekee baat bhagavaanne soch lee. logonke dekhate-dekhate soolee paanee-paanee ho gayee ! aur log janeebaaeeko nirdosh bata use gaurav dene lage.

-go0 nan0 bai0 (bhaktivijay, a0 21)

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