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भगवान्‌की प्रसन्नता  [आध्यात्मिक कथा]
आध्यात्मिक कहानी - आध्यात्मिक कथा (Wisdom Story)

महात्मा रामलिङ्गम् इस बातको सोचकर सदा | वे खिन्न रहते थे कि मेरे पापोंका क्षय नहीं हो रहा है। वे रात-दिन इसी चिन्तासे परिश्रान्त रहते थे। इस समय उनकी अवस्था केवल सोलह सालकी थी। भगवान् शिवमें उनकी बड़ी निष्ठा थी; वे अच्छी तरह समझते थे कि शिवकी प्रसन्नता और कृपासे उनके पापोंका अन्त हो जायगा।

एक दिन वे मद्रासके निकट तिरुवत्तुरूर मन्दिरमें भगवान् शिवके श्रीविग्रहकी परिक्रमा कर रहे थे। वे अपने पापोंका स्मरण करके चिन्तित हो उठे और भगवान् महादेवका स्मरण करने लगे।

मन्दिरमें उस समय केवल वे ही थे। अचानक उन्हें एक दिव्य पुरुषका दर्शन हुआ। रामलिङ्गम् शिवकी प्रशस्ति गा रहे थे। बड़ी श्रद्धा और विश्वाससेवे अपने आराध्यदेवका हृदयमें आवाहन कर रहे थे। एक दिव्य पुरुष सिद्धयोगीके रूपमें दीख पड़े। रामलिङ्गम् पैरोंपर गिर पड़े।

'मैं इस असार संसार-सागरमें डूब-उतरा रहा हूँ। आप मेरी रक्षा कीजिये। मुझे पाप-पङ्कमें गिरनेसे बचा लीजिये ।' रामलिङ्गम्ने योगीसे निवेदन किया।

'वत्स! मैं तुम्हारी सच्ची श्रद्धा और स्वाभाविक भक्तिसे प्रसन्न हूँ। संसारमें रहकर भगवदाश्रय करनेवाला व्यक्ति निस्संदेह पाप और पुण्यके पचड़ेसे मुक्त हो जाता है।' दिव्य पुरुष अदृश्य हो गये।

रामलिङ्गम् आश्चर्यचकित थे। उन्हें विश्वास हो गया कि साक्षात् शिवने ही कृपा की। वे उनके श्रीविग्रहको बार-बार देखने लगे।

-रा0 श्री0



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bhagavaan‌kee prasannataa

mahaatma raamalingam is baatako sochakar sada | ve khinn rahate the ki mere paaponka kshay naheen ho raha hai. ve raata-din isee chintaase parishraant rahate the. is samay unakee avastha keval solah saalakee thee. bhagavaan shivamen unakee bada़ee nishtha thee; ve achchhee tarah samajhate the ki shivakee prasannata aur kripaase unake paaponka ant ho jaayagaa.

ek din ve madraasake nikat tiruvatturoor mandiramen bhagavaan shivake shreevigrahakee parikrama kar rahe the. ve apane paaponka smaran karake chintit ho uthe aur bhagavaan mahaadevaka smaran karane lage.

mandiramen us samay keval ve hee the. achaanak unhen ek divy purushaka darshan huaa. raamalingam shivakee prashasti ga rahe the. bada़ee shraddha aur vishvaasaseve apane aaraadhyadevaka hridayamen aavaahan kar rahe the. ek divy purush siddhayogeeke roopamen deekh pada़e. raamalingam paironpar gir pada़e.

'main is asaar sansaara-saagaramen dooba-utara raha hoon. aap meree raksha keejiye. mujhe paapa-pankamen giranese bacha leejiye .' raamalingamne yogeese nivedan kiyaa.

'vatsa! main tumhaaree sachchee shraddha aur svaabhaavik bhaktise prasann hoon. sansaaramen rahakar bhagavadaashray karanevaala vyakti nissandeh paap aur punyake pachada़ese mukt ho jaata hai.' divy purush adrishy ho gaye.

raamalingam aashcharyachakit the. unhen vishvaas ho gaya ki saakshaat shivane hee kripa kee. ve unake shreevigrahako baara-baar dekhane lage.

-raa0 shree0

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