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नाग महाशयकी साधुता  [Short Story]
Spiritual Story - Moral Story (आध्यात्मिक कथा)

परमहंस रामकृष्णदेवके भक्त शिष्य डा0 दुर्गाचरण नाग आदर्श पुरुष । एक समय वे अपने देशमें थे। पुआलसे छाये हुए घरकी छान टूट गयी थी। उससे जल गिरता था। नागजीकी माताने छान ठीक करानेके लिये थवई (छानेवाले)-को बुलाया । थवईके घरमें आते हीनाग महाशय चिन्तामें पड़ गये। उन्होंने उसे आदरपूर्वक बैठाया, चिलम सजा दी। कुछ देर बाद जब वह छानपर चढ़कर काम करने लगा, तब तो नाग महाशय हाथ जोड़कर उससे नीचे उतर आनेके लिये विनय करने लगे। जब वह नहीं उतरा, तब सिर पीट-पीटकर कहने लगे 'हायपरमहंसदेव! तुमने क्यों मुझको गृहस्थाश्रममें रहनेके लिये आदेश दिया; मेरे सुखके लिये दूसरोंको कष्ट हो रहा है।' नाग महाशयकी व्याकुलता देखकर थवई नीचे उतर आया।नाग महाशयने उसके लिये फिर चिलम सजा दी और खड़े होकर उसे हवा करने लगे। थकावट दूर होनेपर उसको दिनभरका मेहनताना देकर बिदा किया।



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naag mahaashayakee saadhutaa

paramahans raamakrishnadevake bhakt shishy daa0 durgaacharan naag aadarsh purush . ek samay ve apane deshamen the. puaalase chhaaye hue gharakee chhaan toot gayee thee. usase jal girata thaa. naagajeekee maataane chhaan theek karaaneke liye thavaee (chhaanevaale)-ko bulaaya . thavaeeke gharamen aate heenaag mahaashay chintaamen pada़ gaye. unhonne use aadarapoorvak baithaaya, chilam saja dee. kuchh der baad jab vah chhaanapar chadha़kar kaam karane laga, tab to naag mahaashay haath joda़kar usase neeche utar aaneke liye vinay karane lage. jab vah naheen utara, tab sir peeta-peetakar kahane lage 'haayaparamahansadeva! tumane kyon mujhako grihasthaashramamen rahaneke liye aadesh diyaa; mere sukhake liye doosaronko kasht ho raha hai.' naag mahaashayakee vyaakulata dekhakar thavaee neeche utar aayaa.naag mahaashayane usake liye phir chilam saja dee aur khada़e hokar use hava karane lage. thakaavat door honepar usako dinabharaka mehanataana dekar bida kiyaa.

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