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प्रेरणाप्रद लघु बोधकथाएँ  [Moral Story]
Short Story - Hindi Story (आध्यात्मिक कथा)

प्रेरणाप्रद लघु बोधकथाएँ

तुम बहुत सुखी हो
एक समयकी बात है, एक कौवेकी भेंट एक हंससे हुई। उस कौवेने हंसके उज्ज्वल रंगकी भूरि-भूरि प्रशंसा की। हंसने उदास होकर कहा कि 'हम दोनोंमें क्या रखा हैं-हम दोनों तो एक-एक ही रंगके बने हैं, खूबसूरती तो तोतेमें है, जिसमें प्रकृतिने कितना सुन्दर रंग-संयोजन किया है। हरे रंगके शरीरपर गलेमें सुर्ख लाल रंगका छल्ला !
कौवेने तोतेसे उसकी प्रशंसा की तो वह उदास होकर बोला कि 'मैं भी तबतक अपनेको भाग्यवान् समझता था, जबतक मैंने मोरको नहीं देखा था।' अब तो कौवेके मनमें मोरसे मिलनेकी इच्छा जाग उठी, परंतु वनमें वह नहीं मिला। एक दिन उसे चिड़ियाघरमें मोर दीख गया। वह लोगोंके बीचमें घिरा हुआ सचमुच बहुत आकर्षक लग रहा था। कौवा मोरके पास आया और उसकी सराहना करने लगा कि कुदरतने तुम्हें फुर्सतसे बनाया है, तुम्हारे अंग-अंगमें सौन्दर्य भर दिया है। तुम्हारा कितना भाग्य है कि पृथ्वीके सबसे बुद्धिमान् प्राणी भी तुम्हें देखनेके लिये लालायित हैं। मोरने कहा कि 'मेरे भाई! तुम यह क्यों नहीं सोचते कि मैं कैदमें
हूँ और तुम स्वतन्त्र हो ? तुम जहाँ चाही जा सकते हो, परंतु मैं नहीं जा सकता।'
कौवेके जीवनमें यह पहला अवसर था, जब किसीने उसके जीवनकी अहमियत उसे समझायी। वह जान गया कि वह बहुत सुखी प्राणी है।
कौवा तो समझ गया, परंतु हम कब समझेंगे कि 'हम सब अपने-आपमें सर्वोत्तम हैं। हमें किसीकी नकल नहीं करनी चाहिये। हमें अपनी तुलना किसी अन्यसे नहीं करनी चाहिये। विश्वास करो कि तुम बहुत सुखी हो। तुम्हारे 'तुम जैसे' होनेमें कोई ईश्वरीय प्रयोजन है।
ईश्वरने अपने अकेलेपनकी उदासीको दूर करनेके लिये विविध स्वरूपोंको धारण किया है। हमारा यह शरीर उसी ईश्वरका घर है। यदि सभी एक समान हो जाते, तो उनको देख-देख करके ईश्वरके अन्दर पुनः नीरसता आ जाती है। हम अपने रंग, रूप, ज्ञान, पद, प्रतिष्ठा, साधन, संसाधनकी विविधतासे उस ईश्वरको नीरसतामें जीनेसे बचा रहे हैं। हमें खुश होना चाहिये कि हम परमपिता परमात्माके काम आ रहे हैं।'



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preranaaprad laghu bodhakathaaen

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tum bahut sukhee ho
ek samayakee baat hai, ek kauvekee bhent ek hansase huee. us kauvene hansake ujjval rangakee bhoori-bhoori prashansa kee. hansane udaas hokar kaha ki 'ham dononmen kya rakha hain-ham donon to eka-ek hee rangake bane hain, khoobasooratee to totemen hai, jisamen prakritine kitana sundar ranga-sanyojan kiya hai. hare rangake shareerapar galemen surkh laal rangaka chhalla !
kauvene totese usakee prashansa kee to vah udaas hokar bola ki 'main bhee tabatak apaneko bhaagyavaan samajhata tha, jabatak mainne morako naheen dekha thaa.' ab to kauveke manamen morase milanekee ichchha jaag uthee, parantu vanamen vah naheen milaa. ek din use chida़iyaagharamen mor deekh gayaa. vah logonke beechamen ghira hua sachamuch bahut aakarshak lag raha thaa. kauva morake paas aaya aur usakee saraahana karane laga ki kudaratane tumhen phursatase banaaya hai, tumhaare anga-angamen saundary bhar diya hai. tumhaara kitana bhaagy hai ki prithveeke sabase buddhimaan praanee bhee tumhen dekhaneke liye laalaayit hain. morane kaha ki 'mere bhaaee! tum yah kyon naheen sochate ki main kaidamen
hoon aur tum svatantr ho ? tum jahaan chaahee ja sakate ho, parantu main naheen ja sakataa.'
kauveke jeevanamen yah pahala avasar tha, jab kiseene usake jeevanakee ahamiyat use samajhaayee. vah jaan gaya ki vah bahut sukhee praanee hai.
kauva to samajh gaya, parantu ham kab samajhenge ki 'ham sab apane-aapamen sarvottam hain. hamen kiseekee nakal naheen karanee chaahiye. hamen apanee tulana kisee anyase naheen karanee chaahiye. vishvaas karo ki tum bahut sukhee ho. tumhaare 'tum jaise' honemen koee eeshvareey prayojan hai.
eeshvarane apane akelepanakee udaaseeko door karaneke liye vividh svarooponko dhaaran kiya hai. hamaara yah shareer usee eeshvaraka ghar hai. yadi sabhee ek samaan ho jaate, to unako dekha-dekh karake eeshvarake andar punah neerasata a jaatee hai. ham apane rang, roop, jnaan, pad, pratishtha, saadhan, sansaadhanakee vividhataase us eeshvarako neerasataamen jeenese bacha rahe hain. hamen khush hona chaahiye ki ham paramapita paramaatmaake kaam a rahe hain.'

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