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बूढ़े आदमीका वरदान  [Wisdom Story]
शिक्षदायक कहानी - शिक्षदायक कहानी (Story To Read)

बूढ़े आदमीका वरदान

पुराने समयकी बात है। एक बार तीन भाई कामकी खोज में भटकते-भटकते यूनान देशमें पहुँचे। वे लम्बे समयतक काम खोजते रहे। लेकिन किसीको कोई काम नहीं मिला। एक दिन उन तीनों भाइयोंने जंगलकी ओर जानेका विचार किया।
दूसरे दिन रूखा-सूखा कलेवा बनाकर वे अनजाने जंगलकी ओर बढ़ गये। वहाँ सबसे पहले वे एक पगडण्डीसे उतरे। उसके बादका रास्ता सीधा था। वे उसीपर चलते रहे। कुछ दूर जानेपर उनकी नजर एक तालाबपर पड़ी। वे वहींको चल पड़े। तालाबके सुन्दर पानीमें उन्होंने अपने पाँव भिगोये। फिर हाथ धोकर किनारेके पत्थरमें बैठकर कलेवा खाने लगे।
तभी एक बूढ़ा आदमी उनके आगे आ टपका। उसकी लम्बी दाढ़ी लटक रही थी और हाथमें लाठी थी। बिना पूछे ही वह उनके बगलमें बैठ गया। लड़कोंने उसे गौरसे देखा। फिर बड़े भाईने पूछा- 'क्या आप थोड़ा कलेवा खाना पसन्द करेंगे ?' यह सुनकर बूढ़े आदमीको बड़ा अच्छा लगा। उसने कलेवा स्वीकार कर लिया।
उसके बाद सभी एक साथ आगे बढ़ गये। कुछ दूर जानेपर बूढ़े आदमीने बड़े भाईसे पूछा- 'तुमको सबसे ज्यादा किस चीजकी इच्छा है ?' यह प्रश्न बड़े भाईको बड़ा अच्छा लगा। उसने तुरन्त उत्तर दिया- 'मेरी इच्छा है कि आकाशमें उड़ते ये सारे कौवे बकरियाँ बनकर नीचे आ जायँ और वे सभी मेरी हो जायँ।' बूढ़ेने कहा-' -'ऐसा ही हो जायगा, पर पहले तुम मेरे एक प्रश्नका उत्तर दो। क्या तुम इन बकरियोंका थोड़ा दूध गरीब व्यक्तियोंको भी दोगे ?'
बड़े भाईने खुश होकर कहा- 'क्यों नहीं महाराज, दूध ही नहीं मक्खन भी दूंगा।' तभी बूढ़े आदमीने अपनी लाठीकी नोकको तीन बार जमीनमें ठोका। देखते-ही देखते आकाशके सारे कौवे बकरियाँ बनकर उसके चारों ओर घिर गये। बड़ा भाई खुश होकर उनके साथ रहने लगा। दोनों भाई आगे बढ़ गये। उनके साथ बूढ़ा आदमी भी चल दिया।
कुछ दूर जानेपर उन्हें सुन्दर देवदारका जंगल मिला। तभी बूढ़े आदमीने दूसरे भाईसे पूछा-'तुमको सबसे ज्यादा किस चीजकी इच्छा है ?' उसने खुश होकर कहा, इच्छा है कि ये देवदारके पेड़ जैतूनके होकर मेरे हो जायँ।'
बूढ़े आदमीने कहा, 'ठीक है, पर मुझे बताओ कि क्या तुम कुछ जैतूनका तेल किसी गरीबको भी दोगे ?' भाईने तुरन्त ही उत्तर दिया- 'महाराज! मैं यह काम जरूर करूँगा।' यह सुनकर बूढ़ा बड़ा खुश हुआ और उसने अपनी लाठी जमीनमें खटखटायी कि सारा जंगल जैतूनके पेड़ोंसे भर गया। तबसे दूसरा भाई उसी जंगलमें रहने लगा।
अब बूढ़ा आदमी और छोटा भाई आगे बढ़ गये। उन्हें एक तालाब दीखा तो वे वहीं बैठ गये। कुछ देर आराम करनेके बाद बूढ़े आदमीने छोटे भाईसे पूछा- 'कहो, क्या तुमको भी किसी चीजकी इच्छा है ?' यह सुनकर छोटे भाईको भी अच्छा लगा और वह तुरन्त बोला-'जी हाँ, मुझे इच्छा है कि इस तालाबका पानी शहद बन जाय और सालभर बहता रहे। मैं तालाबका मालिक बन जाऊँ। 'बूढ़ेने उससे भी पूछा- 'मुझे यह बताओ कि तुम अपना कुछ शहद किसी गरीबको भी दोगे ?' छोटे भाईने एक ही साँसमें कहा- 'जी हाँ, महाराज! अवश्य दूँगा।' बूढ़ा आदमी बड़ा खुश हुआ। उसने अपनी लाठीकी नोक जमीनमें ठोंकी और तालाब का पानी शहदमें बदल गया। अब छोटा लड़का वहीं रहने लगा और बूढ़ा आदमी आगे बढ़ गया।
कुछ समय बीत गया। इस बीच लड़केने शहदको बेचकर खूब पैसे कमाये और बहुत सारा शहद गाँवके गरीबोंको बाँट दिया और खुद भी आरामसे रहने लगा। लेकिन एक लम्बे समयतक अकेले रहनेके बाद उसकी इच्छा हुई कि वह अपने भाइयोंसे मिलने जाय। उसने अपना काम गाँवके लोगों को सौंपा और भाइयोंसे मिलने निकल पड़ा।
सबसे पहले वह जैतूनके जंगलकी ओर बढ़ा। जब वह वहाँ पहुँचा तो देखा कि वहाँ तो देवदारके ही पेड़ खड़े थे। यह देखकर उसे बड़ा बुरा लगा। वह वहाँसे निकलकर बड़े भाईसे मिलने चल पड़ा। उसे वह जंगल भी मिल गया। उसने देखा कि वहाँ भी कोई बकरियाँ नहीं थीं। उसने भाईको पुकारा, पर कुछ भी असर नहीं पड़ा।
अब उसके पास आगे बढ़नेके अलावा कोई रास्ता नहीं था। वह कुछ ही दूर बढ़ा था कि वही बूढ़ा आदमी उसे दीख गया। वह खुश हुआ। वह कुछ पूछता कि बूढ़ा आदमी खुद ही बोल उठा, 'तुम्हारे भाइयोंने गरीबोंकी सहायता करनेकी अपनी प्रतिज्ञाका जरा भी पालन नहीं किया। वे उसका फल भुगत रहे हैं। तुमने अपनी प्रतिज्ञाका पालन किया। तुम उसका आनन्द लूट रहे हो।' कहकर वह अन्तर्धान हो गया।



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boodha़e aadameeka varadaana

boodha़e aadameeka varadaana

puraane samayakee baat hai. ek baar teen bhaaee kaamakee khoj men bhatakate-bhatakate yoonaan deshamen pahunche. ve lambe samayatak kaam khojate rahe. lekin kiseeko koee kaam naheen milaa. ek din un teenon bhaaiyonne jangalakee or jaaneka vichaar kiyaa.
doosare din rookhaa-sookha kaleva banaakar ve anajaane jangalakee or badha़ gaye. vahaan sabase pahale ve ek pagadandeese utare. usake baadaka raasta seedha thaa. ve useepar chalate rahe. kuchh door jaanepar unakee najar ek taalaabapar pada़ee. ve vaheenko chal pada़e. taalaabake sundar paaneemen unhonne apane paanv bhigoye. phir haath dhokar kinaareke pattharamen baithakar kaleva khaane lage.
tabhee ek boodha़a aadamee unake aage a tapakaa. usakee lambee daadha़ee latak rahee thee aur haathamen laathee thee. bina poochhe hee vah unake bagalamen baith gayaa. lada़konne use gaurase dekhaa. phir bada़e bhaaeene poochhaa- 'kya aap thoड़a kaleva khaana pasand karenge ?' yah sunakar boodha़e aadameeko baड़a achchha lagaa. usane kaleva sveekaar kar liyaa.
usake baad sabhee ek saath aage badha़ gaye. kuchh door jaanepar boodha़e aadameene bada़e bhaaeese poochhaa- 'tumako sabase jyaada kis cheejakee ichchha hai ?' yah prashn bada़e bhaaeeko bada़a achchha lagaa. usane turant uttar diyaa- 'meree ichchha hai ki aakaashamen uda़te ye saare kauve bakariyaan banakar neeche a jaayan aur ve sabhee meree ho jaayan.' boodha़ene kahaa-' -'aisa hee ho jaayaga, par pahale tum mere ek prashnaka uttar do. kya tum in bakariyonka thoda़a doodh gareeb vyaktiyonko bhee doge ?'
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boodha़e aadameene kaha, 'theek hai, par mujhe bataao ki kya tum kuchh jaitoonaka tel kisee gareebako bhee doge ?' bhaaeene turant hee uttar diyaa- 'mahaaraaja! main yah kaam jaroor karoongaa.' yah sunakar boodha़a bada़a khush hua aur usane apanee laathee jameenamen khatakhataayee ki saara jangal jaitoonake peda़onse bhar gayaa. tabase doosara bhaaee usee jangalamen rahane lagaa.
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ab usake paas aage badha़neke alaava koee raasta naheen thaa. vah kuchh hee door badha़a tha ki vahee boodha़a aadamee use deekh gayaa. vah khush huaa. vah kuchh poochhata ki boodha़a aadamee khud hee bol utha, 'tumhaare bhaaiyonne gareebonkee sahaayata karanekee apanee pratijnaaka jara bhee paalan naheen kiyaa. ve usaka phal bhugat rahe hain. tumane apanee pratijnaaka paalan kiyaa. tum usaka aanand loot rahe ho.' kahakar vah antardhaan ho gayaa.

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ना मैं मीरा ना मैं राधा,
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