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सच्ची न्यायनिष्ठा  [हिन्दी कहानी]
प्रेरक कथा - आध्यात्मिक कथा (Spiritual Story)

बादशाह जहाँगीरमें चाहे जितनी दुर्बलताएँ रही हों; किंतु वह प्रजावत्सल एवं न्यायप्रिय शासक था, इस बातको उसके शत्रु भी अस्वीकार नहीं कर सके। उसके राजमहल में घंटा बँधा था, जिसकी रस्सी महलसे बाहर लटकती रहती थी। कोई भी, कभी भी उस रस्सीको खींच सकता था, यदि उसे बादशाहसे किसी विषयमें न्याय पाना हो। रस्सी खींचते ही महलमें बँधा घंटा बजने लगता था ।

एक समय शामको ही एक स्त्रीने घंटाकी रस्सी खींची। बादशाह उसी समय झरोखेपर आये। वह एक निर्धन नारी थी और बुरी तरह रो रही थी। पूछनेपर उसने बताया कि वह राजमहलके पास ही एक बगीचेके मालीकी स्त्री है। किसीने राजमहलसे बाण चलाया, जो उसके पतिकी छातीमें लगा। उसका पति तुरंत बाण लगने से मर गया।

बादशाहने उसे सबेरे दरबारमें आनेका हुक्म दिया। राजमहलमें पूछनेपर पता लग गया कि बादशाहकी प्राणप्रिया बेगम मुमताज महल चमगादड़ोंपर निशानालगा रही थीं। उनका ही एक बाण भटककर दूर गया था। बादशाह गम्भीर हो गये। उस रात उन्हें तनिक भी नींद नहीं आयी।

दूसरे दिन दरबारमें बड़ी गड़बड़ी मची। एक ओरसे सभी सरदार और अमीर विरोध करने लगे 'कुछ भी हो, शाही बेगम एक मुल्जिमके समान दरबारमें नहीं बुलायी जा सकतीं।'

बादशाह बहुत गम्भीर हो रहे थे। उन्होंने अन्तमें कहा- 'मालिन! तुम देखती हो कि मैं भी तुम्हारे मुल्जिमको यहाँ बुला नहीं सकता हूँ। लेकिन जहाँगीर अन्याय नहीं होने देगा। बेगमने तुम्हें विधवा बनाया है, तुम उसे विधवा बना दो !'

अपनी कटार नंगी करके बादशाहने उस मालिनको पकड़ा दी और तख्तसे उतरकर उसके सामने उन्होंने अपना सीना कर दिया। कटार मालिनके हाथसे गिर पड़ी। वह अपने उदार बादशाहको प्रणाम करने झुक गयी थी।

-सु0 सिं0



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sachchee nyaayanishthaa

baadashaah jahaangeeramen chaahe jitanee durbalataaen rahee hon; kintu vah prajaavatsal evan nyaayapriy shaasak tha, is baatako usake shatru bhee asveekaar naheen kar sake. usake raajamahal men ghanta bandha tha, jisakee rassee mahalase baahar latakatee rahatee thee. koee bhee, kabhee bhee us rasseeko kheench sakata tha, yadi use baadashaahase kisee vishayamen nyaay paana ho. rassee kheenchate hee mahalamen bandha ghanta bajane lagata tha .

ek samay shaamako hee ek streene ghantaakee rassee kheenchee. baadashaah usee samay jharokhepar aaye. vah ek nirdhan naaree thee aur buree tarah ro rahee thee. poochhanepar usane bataaya ki vah raajamahalake paas hee ek bageecheke maaleekee stree hai. kiseene raajamahalase baan chalaaya, jo usake patikee chhaateemen lagaa. usaka pati turant baan lagane se mar gayaa.

baadashaahane use sabere darabaaramen aaneka hukm diyaa. raajamahalamen poochhanepar pata lag gaya ki baadashaahakee praanapriya begam mumataaj mahal chamagaadada़onpar nishaanaalaga rahee theen. unaka hee ek baan bhatakakar door gaya thaa. baadashaah gambheer ho gaye. us raat unhen tanik bhee neend naheen aayee.

doosare din darabaaramen bada़ee gada़bada़ee machee. ek orase sabhee saradaar aur ameer virodh karane lage 'kuchh bhee ho, shaahee begam ek muljimake samaan darabaaramen naheen bulaayee ja sakateen.'

baadashaah bahut gambheer ho rahe the. unhonne antamen kahaa- 'maalina! tum dekhatee ho ki main bhee tumhaare muljimako yahaan bula naheen sakata hoon. lekin jahaangeer anyaay naheen hone degaa. begamane tumhen vidhava banaaya hai, tum use vidhava bana do !'

apanee kataar nangee karake baadashaahane us maalinako pakada़a dee aur takhtase utarakar usake saamane unhonne apana seena kar diyaa. kataar maalinake haathase gir pada़ee. vah apane udaar baadashaahako pranaam karane jhuk gayee thee.

-su0 sin0

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