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बेटेकी सीख  [प्रेरक कथा]
प्रेरक कहानी - छोटी सी कहानी (छोटी सी कहानी)

बेटेकी सीख

यह उन दिनोंकी बात है, जब न्यायाधीशके रूपमें श्रीमहादेव गोविन्द रानाडेकी ख्याति बढ़ती जा रही थी। कानूनी कार्यवाहीसे जुड़े कामोंमें वे किसीका भी हस्तक्षेप पसन्द नहीं करते थे। एक दिन उनके एक रिश्तेदार घर आये और उनके पिताजीको एक मुकदमेके बारेमें बताते हुए बोले-'मेरा काम होना ही चाहिये।'
रिश्तेदारकी बात सुनकर रानाडे चुप रहे। उन्हें चुप देखकर वे बोले-'यदि अभी आप व्यस्त हैं तो मैं फिर कभी आकर आपको अपने सभी दस्तावेज दिखा दूंगा।' इसके बाद वे चले गये। उनके जानेके बाद महादेव अपने पिताजीसे बोले-'पिताजी। यहाँ हमारे बहुतसे रिश्तेदार तथा मित्र हैं। हमने उन्हें थोड़ी भी छूट दी तो आये दिन हर कोई अपने कामके लिये यहाँ आयेगा और अपने मुकदमेमें जीतके लिये मुझपर किसी-न-किसी तरहका दबाव डालेगा। अगर हम एक बार इस दलदलमें गिरे तो फिर उलझते चले जायेंगे। किसी भी मुकदमेसे सम्बन्धित व्यक्तिसे घरपर न मिलने तथा उससे व्यक्तिगत बातचीत न करनेका मैंने संकल्प लिया है और न्यायमें सत्यका पक्ष लेना ही मेरा परम कर्तव्य है। मेरे पिता होनेके नाते आप मुझे ईमानदारी, कर्तव्य और जिम्मेदारीसे काम करनेकी प्रेरणा दें, न कि परिचितोंके कामोंको आँख मूँदकर करनेकी ।' यह सुनकर उनके पिताजी बहुत प्रसन्न हुए और बोले- 'आजतक मैंने पिताद्वारा बेटोंको शिक्षा देते तो बहुत देखा है, लेकिन एक बेटेद्वारा पिताको जीवनकी इतनी बड़ी सीख देते पहली बार देखा । सचमुच मैं धन्य हूँ, तुम जैसा बेटा पाकर।' इसके बाद उन्होंने कभी रानाडेके काममें हस्तक्षेप नहीं किया।



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betekee seekha

betekee seekha

yah un dinonkee baat hai, jab nyaayaadheeshake roopamen shreemahaadev govind raanaadekee khyaati badha़tee ja rahee thee. kaanoonee kaaryavaaheese juda़e kaamonmen ve kiseeka bhee hastakshep pasand naheen karate the. ek din unake ek rishtedaar ghar aaye aur unake pitaajeeko ek mukadameke baaremen bataate hue bole-'mera kaam hona hee chaahiye.'
rishtedaarakee baat sunakar raanaade chup rahe. unhen chup dekhakar ve bole-'yadi abhee aap vyast hain to main phir kabhee aakar aapako apane sabhee dastaavej dikha doongaa.' isake baad ve chale gaye. unake jaaneke baad mahaadev apane pitaajeese bole-'pitaajee. yahaan hamaare bahutase rishtedaar tatha mitr hain. hamane unhen thoda़ee bhee chhoot dee to aaye din har koee apane kaamake liye yahaan aayega aur apane mukadamemen jeetake liye mujhapar kisee-na-kisee tarahaka dabaav daalegaa. agar ham ek baar is daladalamen gire to phir ulajhate chale jaayenge. kisee bhee mukadamese sambandhit vyaktise gharapar n milane tatha usase vyaktigat baatacheet n karaneka mainne sankalp liya hai aur nyaayamen satyaka paksh lena hee mera param kartavy hai. mere pita honeke naate aap mujhe eemaanadaaree, kartavy aur jimmedaareese kaam karanekee prerana den, n ki parichitonke kaamonko aankh moondakar karanekee .' yah sunakar unake pitaajee bahut prasann hue aur bole- 'aajatak mainne pitaadvaara betonko shiksha dete to bahut dekha hai, lekin ek betedvaara pitaako jeevanakee itanee bada़ee seekh dete pahalee baar dekha . sachamuch main dhany hoon, tum jaisa beta paakara.' isake baad unhonne kabhee raanaadeke kaamamen hastakshep naheen kiyaa.

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