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भरोसा  [शिक्षदायक कहानी]
बोध कथा - आध्यात्मिक कहानी (Wisdom Story)

भरोसा

सुकरात मरने लगे, तो किसीने पूछा कि आप घबरा तो नहीं रहे हैं? सुकरातने कहा- 'घबराना काहे का? जैसा आस्तिक कहते हैं कि आत्मा अमर है, तो घबरानेकी कोई जरूरत ही नहीं और यदि नास्तिक कहते हैं कि आत्मा मर जाती है, फिर जनमती ही नहीं, तो फिर झंझट मिटा। फिर घबरानेवाला ही न बचेगा। इसलिये मेरे तो दोनों ही हाथों में लड्डू हैं।
मैं निश्चिन्त हूँ। मुझे भरोसा है। घबराते तो वे हैं, जिन्हें किसीकी बातपर न भरोसा है, न विश्वास ।'



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bharosaa

bharosaa

sukaraat marane lage, to kiseene poochha ki aap ghabara to naheen rahe hain? sukaraatane kahaa- 'ghabaraana kaahe kaa? jaisa aastik kahate hain ki aatma amar hai, to ghabaraanekee koee jaroorat hee naheen aur yadi naastik kahate hain ki aatma mar jaatee hai, phir janamatee hee naheen, to phir jhanjhat mitaa. phir ghabaraanevaala hee n bachegaa. isaliye mere to donon hee haathon men laddoo hain.
main nishchint hoon. mujhe bharosa hai. ghabaraate to ve hain, jinhen kiseekee baatapar n bharosa hai, n vishvaas .'

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