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मित्रकी पहचान  [प्रेरक कहानी]
Short Story - Moral Story (Short Story)

[9]

मित्रकी पहचान

दो मित्र एक साथ भ्रमण करने निकले थे। संयोगवश उसी समय वहाँ एक भालू आ पहुँचा। एक मित्र तो भालूको देखते ही अत्यन्त भयभीत होकर दूसरे मित्रकी परवाह किये बिना ही भागकर निकटके पेड़पर चढ़ गया। दूसरा मित्र अकेले भालूके साथ लड़ना असम्भव जानकर और दूसरा कोई चारा न देखकर, साँस रोक करके मुर्देके समान धरतीपर लोट गया। उसने पहले सुन रखा था कि भालू मरे हुए आदमीको हानि नहीं पहुँचाता ।
भालूने आकर उसके नाक, कान, मुख, आँख तथा सीनेकी परीक्षा की और उसे मरा हुआ समझकर चला गया। भालूके चले जानेके बाद पहला मित्र पेड़से नीचे उतरा। उसने दूसरे मित्रसे जाकर पूछा 'भाई, भालू तुम्हें क्या कह गया? मैंने देखा कि वह बड़ी देरतक तुम्हारे कानसे अपना मुख लगाये हुए था। '
दूसरा मित्र बोला- 'भालू मुझे यही कह गया कि जो मित्र संकटके समय साथ छोड़कर भाग जाता है, उसके साथ फिर कभी बातचीत मत करना।'



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mitrakee pahachaana

[9]

mitrakee pahachaana

do mitr ek saath bhraman karane nikale the. sanyogavash usee samay vahaan ek bhaaloo a pahunchaa. ek mitr to bhaalooko dekhate hee atyant bhayabheet hokar doosare mitrakee paravaah kiye bina hee bhaagakar nikatake peda़par chadha़ gayaa. doosara mitr akele bhaalooke saath lada़na asambhav jaanakar aur doosara koee chaara n dekhakar, saans rok karake murdeke samaan dharateepar lot gayaa. usane pahale sun rakha tha ki bhaaloo mare hue aadameeko haani naheen pahunchaata .
bhaaloone aakar usake naak, kaan, mukh, aankh tatha seenekee pareeksha kee aur use mara hua samajhakar chala gayaa. bhaalooke chale jaaneke baad pahala mitr peड़se neeche utaraa. usane doosare mitrase jaakar poochha 'bhaaee, bhaaloo tumhen kya kah gayaa? mainne dekha ki vah bada़ee deratak tumhaare kaanase apana mukh lagaaye hue thaa. '
doosara mitr bolaa- 'bhaaloo mujhe yahee kah gaya ki jo mitr sankatake samay saath chhoda़kar bhaag jaata hai, usake saath phir kabhee baatacheet mat karanaa.'

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