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लालच बुरी बलाय  [छोटी सी कहानी]
हिन्दी कहानी - Moral Story (Short Story)

[16]

'लालच बुरी बलाय'

एक दुखी लकड़हारा नदीके किनारे पेड़ काट रहा था। सहसा उसकी कुल्हाड़ी उसके हाथसे फिसलकर नदीमें जा गिरी। कुल्हाड़ी हमेशाके लिये हाथसे गयी यह सोचकर लकड़हारा अत्यन्त दुखी हुआ और उच्च स्वरमें रोने लगा। उसका रुदन सुनकर नदीके देवताको बड़ी दया आयी। उसके सामने प्रकट होकर उन्होंने पूछा तुम किस कारण इतना रो रहे हो ? उसके सब कुछ बयान करने पर जलदेवताने तत्काल नदीमें डुबकी लगायी और हाथमें सोनेकी एक कुल्हाड़ी लिये उसके पास आकर पूछा- क्या यही तुम्हारी कुल्हाड़ी है ? उसने कहा- नहीं महाशय, यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं। तब उन्होंने पुनः नदीमें डुबकी लगायी और हाथमें चाँदीकी एक कुल्हाड़ी लिये उसके सम्मुख आकर पूछा- 'क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?' उसने उत्तर दिया- नहीं महाशय, यह भी मेरी कुल्हाड़ी नहीं है। उन्होंने फिर एक बार पानीमें डुबकी लगायी और लोहेकी कुल्हाड़ी हाथमें लेकर उससे पूछा 'क्यों यही तुम्हारी कुल्हाड़ी है ?' अपनी कुल्हाड़ी देखकर लकड़हारा परम आह्लादित होकर बोला, 'हाँ महाशय ! यही मेरी कुल्हाड़ी है। इसे पानेकी मुझे जरा भी आशा न थी, परंतु आपकी कृपासे ही मुझे यह मिल सकी है, मैं इसके लिये आजीवन आपका ऋणी रहूँगा।"
जलदेवताने उसकी कुल्हाड़ी उसके हाथमें सौंप दी। उसके बाद वे बोले-तुम निर्लोभी, सच्चे तथा धर्मपरायण हो, इस कारण मैं तुम्हारे ऊपर परम सन्तुष्ट हूँ। इतना कहनेके बाद वे पुरस्कारके रूपमें सोने तथा चाँदीकी कुल्हाड़ियाँ भी उसे सौंपकर अन्तर्धान हो गये। लकड़हारा अवाक् होकर थोड़ी देर वहीं खड़ा रहा। इसके बाद घर लौटकर उसने अपने परिवार तथा पड़ोसियोंके समक्ष इस घटनाका सविस्तार वर्णन किया। सुनकर सभी विस्मयसे अभिभूत हो गये।
यह अद्भुत वृत्तान्त सुनकर एक व्यक्तिको बड़ा लोभ हुआ। अगले दिन सुबह वह भी हाथमें कुल्हाड़ी लेकर नदीके किनारे जा पहुँचा। उसने पेड़के तनेपर दो तीन बार कुल्हाड़ी चलायी और हाथसे कुल्हाड़ी फिसल जानेका अभिनय करता हुआ उसे नदीमें डाल दिया। इसके बाद वह 'हाय, हाय' करके उच्च स्वरमें रोने लगा। जलदेवता उसके सामने आये और उसके रोनेका कारण पूछने लगे। वह सारी बातें बताकर खेद व्यक्त करने लगा।
जलदेवता पिछली बारके समान ही सोनेकी एक कुल्हाड़ी हाथमें लेकर उसके सामने जा पहुँचे और पड़ोसियोंके समक्ष इस घटनाका सविस्तार वर्णन किया। सुनकर सभी विस्मयसे अभिभूत हो गये। पूछा- क्यों, यही तुम्हारी कुल्हाड़ी है? सोनेकी कुल्हाड़ी देखकर वह लोभी उसे पानेको व्याकुल हो उठा और 'यही तो मेरी कुल्हाड़ी है' कहकर उसे पकड़ने गया। उसे ऐसा लोभी और झूठा देखकर जलदेवता अत्यन्त नाराज हुए और उसकी भर्त्सना करते हुए बोले कि तू इसे पानेका अधिकारी नहीं है। यह कहकर उस सोनेकी कुल्हाड़ीको नदीमें फेंककर जलदेवता अन्तर्धान हो गये। वह व्यक्ति नदीके किनारे गालपर हाथ धरे बैठकर दुखी मनसे सोचने लगा, 'सोनेकी कुल्हाड़ीके लालच में मैं अपनी लोहेकी कुल्हाड़ी भी गवाँ बैठा। मुझे अपनी करनीका उचित ही फल मिला है।' [ ईसपकी कहानियाँ ]



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laalach buree balaaya

[16]

'laalach buree balaaya'

ek dukhee lakada़haara nadeeke kinaare peda़ kaat raha thaa. sahasa usakee kulhaada़ee usake haathase phisalakar nadeemen ja giree. kulhaada़ee hameshaake liye haathase gayee yah sochakar lakada़haara atyant dukhee hua aur uchch svaramen rone lagaa. usaka rudan sunakar nadeeke devataako bada़ee daya aayee. usake saamane prakat hokar unhonne poochha tum kis kaaran itana ro rahe ho ? usake sab kuchh bayaan karane par jaladevataane tatkaal nadeemen dubakee lagaayee aur haathamen sonekee ek kulhaada़ee liye usake paas aakar poochhaa- kya yahee tumhaaree kulhaada़ee hai ? usane kahaa- naheen mahaashay, yah meree kulhaada़ee naheen. tab unhonne punah nadeemen dubakee lagaayee aur haathamen chaandeekee ek kulhaada़ee liye usake sammukh aakar poochhaa- 'kya yah tumhaaree kulhaada़ee hai?' usane uttar diyaa- naheen mahaashay, yah bhee meree kulhaada़ee naheen hai. unhonne phir ek baar paaneemen dubakee lagaayee aur lohekee kulhaada़ee haathamen lekar usase poochha 'kyon yahee tumhaaree kulhaada़ee hai ?' apanee kulhaada़ee dekhakar lakada़haara param aahlaadit hokar bola, 'haan mahaashay ! yahee meree kulhaada़ee hai. ise paanekee mujhe jara bhee aasha n thee, parantu aapakee kripaase hee mujhe yah mil sakee hai, main isake liye aajeevan aapaka rinee rahoongaa."
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jaladevata pichhalee baarake samaan hee sonekee ek kulhaaड़ee haathamen lekar usake saamane ja pahunche aur pada़osiyonke samaksh is ghatanaaka savistaar varnan kiyaa. sunakar sabhee vismayase abhibhoot ho gaye. poochhaa- kyon, yahee tumhaaree kulhaada़ee hai? sonekee kulhaada़ee dekhakar vah lobhee use paaneko vyaakul ho utha aur 'yahee to meree kulhaada़ee hai' kahakar use pakada़ne gayaa. use aisa lobhee aur jhootha dekhakar jaladevata atyant naaraaj hue aur usakee bhartsana karate hue bole ki too ise paaneka adhikaaree naheen hai. yah kahakar us sonekee kulhaada़eeko nadeemen phenkakar jaladevata antardhaan ho gaye. vah vyakti nadeeke kinaare gaalapar haath dhare baithakar dukhee manase sochane laga, 'sonekee kulhaada़eeke laalach men main apanee lohekee kulhaada़ee bhee gavaan baithaa. mujhe apanee karaneeka uchit hee phal mila hai.' [ eesapakee kahaaniyaan ]

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