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विद्यादान न देनेसे ब्रह्मराक्षस हुआ  [शिक्षदायक कहानी]
आध्यात्मिक कथा - बोध कथा (प्रेरक कहानी)

बात उस समयकी है जब श्रीरामानुजाचार्य अपने प्रथम विद्यागुरु श्रीयादवप्रकाशजीसे अध्ययन करते थे। यादवप्रकाशजी अपने इस अद्भुत प्रतिभाशाली शिष्यसे डाह रखने लगे थे। उन्हीं दिनों काञ्चीनरेशकी राजकुमारी प्रेत-बाधासे पीड़ित हुईं। अनेक मन्त्रज्ञ बुलाये गये, किंतु कोई लाभ नहीं हुआ। नरेशका आमन्त्रण पाकर शिष्योंके साथ यादवप्रकाशजी भी काञ्ची पहुँचे। उन्होंने जैसे ही मन्त्रप्रयोग प्रारम्भ किया, राजकुमारीके मुखसे प्रेत बोला- 'तू जीवनभर मन्त्रपाठ करे तो मेरा कुछ बिगाड़ नहीं सकता। उलटे मैं तुझे चाहूँ तो अभी धर पटकूँ। मैं सामान्य प्रेत नहीं हूँ, ब्रह्मराक्षस हूँ ।' यादवप्रकाशजी डरकर हटने लगे। उस समय श्रीरामानुजाचार्य आगे आये। उन्होंने पूछा- 'ब्रह्मन्! | आपको यह दुःखदायिनी योनि क्योंकर मिली ?'

रोकर ब्रह्मराक्षस बोला – 'मैं विद्वान् था, किंतु मैंने अपनी विद्या छिपा रखी। किसीको भी मैंने विद्यादान नहीं किया, इससे ब्रह्मराक्षस हुआ। आप समर्थ हैं। मेरे मस्तकपर आप अपना अभय कर रख दें तो मैं इस प्रेतत्वसे छूट जाऊँ ।'

श्रीरामानुजने राजकुमारीके मस्तकपर हाथ रखकर जैसे ही भगवान्का स्मरण किया, वैसे ही ब्रह्मराक्षसने उसे छोड़ दिया; क्योंकि वह स्वयं प्रेतयोनिसे मुक्त हो गया। – सु0 सिं0



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vidyaadaan n denese brahmaraakshas huaa

baat us samayakee hai jab shreeraamaanujaachaary apane pratham vidyaaguru shreeyaadavaprakaashajeese adhyayan karate the. yaadavaprakaashajee apane is adbhut pratibhaashaalee shishyase daah rakhane lage the. unheen dinon kaancheenareshakee raajakumaaree preta-baadhaase peeda़it hueen. anek mantrajn bulaaye gaye, kintu koee laabh naheen huaa. nareshaka aamantran paakar shishyonke saath yaadavaprakaashajee bhee kaanchee pahunche. unhonne jaise hee mantraprayog praarambh kiya, raajakumaareeke mukhase pret bolaa- 'too jeevanabhar mantrapaath kare to mera kuchh bigaada़ naheen sakataa. ulate main tujhe chaahoon to abhee dhar patakoon. main saamaany pret naheen hoon, brahmaraakshas hoon .' yaadavaprakaashajee darakar hatane lage. us samay shreeraamaanujaachaary aage aaye. unhonne poochhaa- 'brahman! | aapako yah duhkhadaayinee yoni kyonkar milee ?'

rokar brahmaraakshas bola – 'main vidvaan tha, kintu mainne apanee vidya chhipa rakhee. kiseeko bhee mainne vidyaadaan naheen kiya, isase brahmaraakshas huaa. aap samarth hain. mere mastakapar aap apana abhay kar rakh den to main is pretatvase chhoot jaaoon .'

shreeraamaanujane raajakumaareeke mastakapar haath rakhakar jaise hee bhagavaanka smaran kiya, vaise hee brahmaraakshasane use chhoda़ diyaa; kyonki vah svayan pretayonise mukt ho gayaa. – su0 sin0

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