⮪ All Stories / कथा / कहानियाँ

व्यासजीकी प्रसादनिष्ठा  [प्रेरक कथा]
प्रेरक कहानी - हिन्दी कहानी (बोध कथा)

महात्मा हरिराम व्यासजी घर छोड़कर संवत् 1612 में ओरछासे वृन्दावन चले आये थे। उस समय इनकी अवस्था 45 वर्षकी थी। श्रीराधाकृष्णकी लीलाओं में इनका मन रम चुका था। भक्तोंको ये अपने इष्टदेव के समान मानते थे। भगवान् के प्रसादकी पावनता इनकेविचारसे सर्वोपरि थी और वे मानते थे कि-

स्वान प्रसादहि छी गयौ, कौआ गयौ बिटारि ।

दोऊ पावन ब्यास के कह भागौत बिचारि ॥

इनसे इस प्रकारकी बातें सुनकर कुछ लफंगोंने प्रसादके प्रति इनकी उस परम निष्ठाकी परीक्षा लेनेकाविचार किया। एक दिन व्यासजीके निकटसे श्रीठाकुरजीका प्रसाद और संतोंके भोजनका जूँठन लिये हुए एक भंगिन निकली। उसे देखकर उन लोगोंने व्यासजीसे कहा

'महाराज ! ठाकुरजीका प्रसाद तो इससे लीजिये ।' यह सुनते ही व्यासजीने उस भंगिनके सामने प्रसादके लिये हाथ फैला दिये। पहले तो वह भंगिन कुछ झिझकी, किंतु जब अन्य लोगोंने व्यासजीको प्रसाद देनेके लिये उसे प्रोत्साहित किया, तब उसने अपनी डलियामेंसे एक पकौड़ी उठाकर व्यासजीकी हथेलीपर रख दी। भगवान्‌के उस प्रसादका बड़ी श्रद्धासे भोग लगाकर व्यासजी गाने लगे

हमारी जीवन मूरि प्रसाद ।

अतुलित महिमा कहत भागवत, मेटत सब प्रतिबाद ॥

जो षटमास ब्रतनि कीनें फल, सो एक सीथ के स्वाद ।

दरसन पाप नसात, खात सुख, परसत मिटत विषाद ॥

|देत-लेत जो करै अनादर, सो नर अधम गवाद।

श्रीगुरु सुकल प्रताप 'व्यास' यह रस पायौ अनहाद ॥

यह देखकर सभी लोग दंग रह गये। व्यासजीने उन्हें सुनाया

'व्यास' जाति तजि भक्ति कर, कहत भागवत टेरि।

जातिहि भक्तिहि ना बनै, ज्यों केरा ढिंग बेरि ॥

'व्यास' कुलीननि कोटि मिलि पंडित लाख पचीस ।

स्वपच भक्त की पानही तुलै न तिन के सीस ॥

'व्यास' मिठाई बिप्र की तामें लागै आग।

वृंदावन के स्वपच की जूँठिन खैये माँग ॥

व्यासजीके इस प्रकारके अनेक पुनीत चित्र हैं, जिन्हें देखकर ही महात्मा ध्रुवदासजीने उनके लिये

लिखा था-

प्रेम मगन नहिं गन्यौ कछु बरनाबरन बिचार l

सबन मध्य पायौ प्रगट लै प्रसाद रस-सार ॥



You may also like these:

हिन्दी कहानी समताका भाव
हिन्दी कहानी विद्यालय और गुरु
हिन्दी कहानी ईश्वरका सच्चा भक्त
हिन्दी कहानी सिकन्दरकी मातृभक्ति


vyaasajeekee prasaadanishthaa

mahaatma hariraam vyaasajee ghar chhoda़kar sanvat 1612 men orachhaase vrindaavan chale aaye the. us samay inakee avastha 45 varshakee thee. shreeraadhaakrishnakee leelaaon men inaka man ram chuka thaa. bhaktonko ye apane ishtadev ke samaan maanate the. bhagavaan ke prasaadakee paavanata inakevichaarase sarvopari thee aur ve maanate the ki-

svaan prasaadahi chhee gayau, kaua gayau bitaari .

dooo paavan byaas ke kah bhaagaut bichaari ..

inase is prakaarakee baaten sunakar kuchh laphangonne prasaadake prati inakee us param nishthaakee pareeksha lenekaavichaar kiyaa. ek din vyaasajeeke nikatase shreethaakurajeeka prasaad aur santonke bhojanaka joonthan liye hue ek bhangin nikalee. use dekhakar un logonne vyaasajeese kahaa

'mahaaraaj ! thaakurajeeka prasaad to isase leejiye .' yah sunate hee vyaasajeene us bhanginake saamane prasaadake liye haath phaila diye. pahale to vah bhangin kuchh jhijhakee, kintu jab any logonne vyaasajeeko prasaad deneke liye use protsaahit kiya, tab usane apanee daliyaamense ek pakauड़ee uthaakar vyaasajeekee hatheleepar rakh dee. bhagavaan‌ke us prasaadaka bada़ee shraddhaase bhog lagaakar vyaasajee gaane lage

hamaaree jeevan moori prasaad .

atulit mahima kahat bhaagavat, metat sab pratibaad ..

jo shatamaas bratani keenen phal, so ek seeth ke svaad .

darasan paap nasaat, khaat sukh, parasat mitat vishaad ..

|deta-let jo karai anaadar, so nar adham gavaada.

shreeguru sukal prataap 'vyaasa' yah ras paayau anahaad ..

yah dekhakar sabhee log dang rah gaye. vyaasajeene unhen sunaayaa

'vyaasa' jaati taji bhakti kar, kahat bhaagavat teri.

jaatihi bhaktihi na banai, jyon kera dhing beri ..

'vyaasa' kuleenani koti mili pandit laakh pachees .

svapach bhakt kee paanahee tulai n tin ke sees ..

'vyaasa' mithaaee bipr kee taamen laagai aaga.

vrindaavan ke svapach kee joonthin khaiye maang ..

vyaasajeeke is prakaarake anek puneet chitr hain, jinhen dekhakar hee mahaatma dhruvadaasajeene unake liye

likha thaa-

prem magan nahin ganyau kachhu baranaabaran bichaar l

saban madhy paayau pragat lai prasaad rasa-saar ..

71 Views





Bhajan Lyrics View All

नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
शयाम सुंदर मुख चंदा, भजो रे मन गोविंदा
एक दिन वो भोले भंडारी बन कर के ब्रिज की
पारवती भी मना कर ना माने त्रिपुरारी,
मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे
मिलेंगे कुंज बिहारी, ओढ़ के कांबल काली
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए।
जुबा पे राधा राधा राधा नाम हो जाए॥
नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल सा घराना हो
चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो
बोल कान्हा बोल गलत काम कैसे हो गया,
बिना शादी के तू राधे श्याम कैसे हो गया
अच्युतम केशवं राम नारायणं,
कृष्ण दमोधराम वासुदेवं हरिं,
रसिया को नार बनावो री रसिया को
रसिया को नार बनावो री रसिया को
शिव कैलाशों के वासी, धौलीधारों के राजा
शंकर संकट हारना, शंकर संकट हारना
करदो करदो बेडा पार, राधे अलबेली सरकार।
राधे अलबेली सरकार, राधे अलबेली सरकार॥
कोई पकड़ के मेरा हाथ रे,
मोहे वृन्दावन पहुंच देओ ।
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया, दिल दीवाना हो गया ॥
हर साँस में हो सुमिरन तेरा,
यूँ बीत जाये जीवन मेरा
तेरे बगैर सांवरिया जिया नही जाये
तुम आके बांह पकड लो तो कोई बात बने‌॥
बांके बिहारी की देख छटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा।
मेरी विनती यही है राधा रानी, कृपा
मुझे तेरा ही सहारा महारानी, चरणों से
वृन्दावन धाम अपार, जपे जा राधे राधे,
राधे सब वेदन को सार, जपे जा राधे राधे।
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से
मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
हरी जी कैसे तारोगे, प्रभु जी कैसे
रंग डालो ना बीच बाजार
श्याम मैं तो मर जाऊंगी
अपने दिल का दरवाजा हम खोल के सोते है
सपने में आ जाना मईया,ये बोल के सोते है
मेरा अवगुण भरा शरीर, कहो ना कैसे
कैसे तारोगे प्रभु जी मेरो, प्रभु जी
मैं मिलन की प्यासी धारा
तुम रस के सागर रसिया हो
सब के संकट दूर करेगी, यह बरसाने वाली,
बजाओ राधा नाम की ताली ।
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यूँ गोरी, मैं क्यूँ काला
राधा नाम की लगाई फुलवारी, के पत्ता
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता, के पत्ता
प्रीतम बोलो कब आओगे॥
बालम बोलो कब आओगे॥
मेरा यार यशुदा कुंवर हो चूका है
वो दिल हो चूका है जिगर हो चूका है
श्याम हमारे दिल से पूछो, कितना तुमको
याद में तेरी मुरली वाले, जीवन यूँ ही

New Bhajan Lyrics View All

कोई दौलत से प्यार करते हैं कोई शोहरत
जो श्याम के दीवाने हैं किस्मत पे नाज़
ओह भगत नसीबा वाले,
जेह्ड़े करदे दीदार मेरे हारावाले दा...
जन्म मथुरा में लोगे कन्हैया,
तुम्हें गोकुल में आना पड़ेगा...
शिव की गौरा चली पनिया लेकर गगरी,
लेकर गगरी हो रामा लेकर गगरी,
मैं नारायण घर ले आई
अब मुझे किसी की कमी नहीं