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सत्याचरण  [Wisdom Story]
Story To Read - Spiritual Story (शिक्षदायक कहानी)

श्रीगोपालकृष्ण गोखले जब बालक थे और पाठशाला में पढ़ते थे, उस समय एक दिन उनके अध्यापकने कुछ अङ्कगणितके प्रश्न विद्यार्थियोंको घरसे लगा लानेको दिये। उनमें एक प्रश्न गोखलेको आता नहीं था, उसे उन्होंने दूसरे विद्यार्थीसे पूछकर लगाया पाठशालामें शिक्षकने विद्यार्थियोंके उत्तरोंकी जाँच की। केवल गोपालकृष्णके सभी उत्तर ठीक थे। शिक्षकने प्रसन्न होकर उनकी प्रशंसा की और उन्हें कुछ पुरस्कार देने लगे। किंतु गोखले तो फूट-फूटकर रोनेलगे। आश्चर्यपूर्वक शिक्षकने पूछा- 'तुम रोते क्यों हो?' गोखले बोले-'आपने समझा है कि सब प्रश्नोंका उत्तर मैंने स्वयं लिखा है, किंतु एक प्रश्न मैंने अपने मित्रकी सहायतासे लगाकर आपको धोखा दिया है। मुझे तो पुरस्कारके स्थानमें दण्ड मिलना चाहिये। '

शिक्षक गोखलेकी सत्यप्रियतासे बहुत संतुष्ट हुए । वे बोले-'अब यह पुरस्कार मैं तुम्हें तुम्हारी सत्यप्रियताके लिये देता हूँ।'

- सु0 सिं0



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satyaacharana

shreegopaalakrishn gokhale jab baalak the aur paathashaala men padha़te the, us samay ek din unake adhyaapakane kuchh ankaganitake prashn vidyaarthiyonko gharase laga laaneko diye. unamen ek prashn gokhaleko aata naheen tha, use unhonne doosare vidyaartheese poochhakar lagaaya paathashaalaamen shikshakane vidyaarthiyonke uttaronkee jaanch kee. keval gopaalakrishnake sabhee uttar theek the. shikshakane prasann hokar unakee prashansa kee aur unhen kuchh puraskaar dene lage. kintu gokhale to phoota-phootakar ronelage. aashcharyapoorvak shikshakane poochhaa- 'tum rote kyon ho?' gokhale bole-'aapane samajha hai ki sab prashnonka uttar mainne svayan likha hai, kintu ek prashn mainne apane mitrakee sahaayataase lagaakar aapako dhokha diya hai. mujhe to puraskaarake sthaanamen dand milana chaahiye. '

shikshak gokhalekee satyapriyataase bahut santusht hue . ve bole-'ab yah puraskaar main tumhen tumhaaree satyapriyataake liye deta hoon.'

- su0 sin0

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