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सदुपदेश  [Story To Read]
Spiritual Story - हिन्दी कहानी (Hindi Story)

प्राचीन कालमें राजा सर्वमित्रके शासनकालमें महात्मा बुद्ध बोधिसत्त्व-शरीरमें थे। उन्होंने विनम्रता, उदारता, क्षमाशीलता और दान तथा सदाचारके बलपर शक्रपद प्राप्त कर लिया था। वे शक्रपदपर रहकर भी कभी ऐश्वर्य और विषय सुखमें आसक्त न हो सके। सदा प्राणिमात्रके हितमें ही लगे रहते थे। लोगोंको सद्गुण सम्पन्न देखकर प्रसन्न होते थे।

राजा सर्वमित्रको मदिरा पीनेका व्यसन था। वह अपने तो पीता ही था, दूसरोंको -प्रजा तथा राजकर्मचारियोंको भी पिलाकर हर्षित होता था। उसकेमदिरा - पानसे राज्यभरमें अराजकता छा गयी। लोग दुराचारी हो गये, पापकी वृद्धि होने लगी। प्रजाका उत्पीड़न होने लगा। न्याय-अन्याय, सत्य-असत्य, धर्म-अधर्म और प्रकाश तथा अन्धकार आदिमें लोगोंकी भेद-बुद्धि समाप्त हो गयी। राजा सर्वमित्रको इन बातोंकी तनिक भी चिन्ता नहीं थी। वह तो राग-रंगमें निमग्न था।

एक समय राजा पान-गृहमें अधिकारियोंके साथ बैठा हुआ था; मदिरापानका क्रम चलनेवाला ही था कि लोग चौंक उठे।

'इस पात्रमें सुरा भरी हुई है। इसका मुख सुगन्धितपुष्पोंसे ढका है; इसे कौन खरीदेगा ?' एक ब्राह्मणनेराजाके सिंहासनके सामने खड़े होकर घोषणा की। उसका स्वर्ण वर्ण था, जटाएँ धूलिधूसरित और गुँथी हुई थीं, शरीरपर वल्कल और मृगचर्मका परिधान था। उसके बायें हाथमें सुरा पात्र था।

'आप कोई बहुत बड़े मुनि हैं, आपके नेत्रोंसे चन्द्र ज्योत्स्नाकी तरह दया उमड़ रही है। अद्भुत तेज है आपका !' राजाने उठकर चरणवन्दना की। उपस्थित अधिकारियोंने अभिवादन किया।

'यदि तुम्हें इस लोक और परलोककी चिन्ता न हो, नरक यातनाका भय न हो तो इसे खरीद लो।' ब्राह्मणके शब्द थे ।

"महाराज! आप तो विचित्र ढंगका सौदा कर रहे हैं; सब अपनी वस्तुकी प्रशंसा करते हैं, पर आप अपनी वस्तुके सारे दोष प्रकट कर रहे हैं। कितने सत्यवादी हैं! आप धर्मपर अडिग हैं।' सर्वमित्र आश्चर्यमें पड़ गया।

'सर्वमित्र! न तो इसमें पवित्र फूलोंका मधु है न गङ्गा-जल है, न दूध है और न दही है। इसमें विषमयी मदिरा है। जो पीता है, वह वशमें नहीं रहता। उसे भक्ष्याभक्ष्यका विचार नहीं रहता। राजपथपर लड़खड़ाकर गिर पड़ता है, अपनी की हुई उलटीको आप खाता है, कुत्ते उसका मुख चाटते हैं। इसे खरीद लो; अच्छाअवसर है। इसका पानकर तुम सड़कपर नंगे होकर नाचोगे; तुम्हें पत्नी और अपनी युवती कन्यामें भेद नहीं दीख पड़ेगा।' इसका पानकर स्त्री अपने धनी-से-धनी पतिको भी वृक्षसे बाँधकर पीटती है। इसका पानकर बड़े-बड़े धनवान् दरिद्र हो गये। राजाओंके राज्य मिट गये। यह अभिशापकी मूर्ति है, पापकी जननी है; यह ऐसे नरकमें ले जाती है, जिसमें रात-दिन अग्निज्वाला धधकती रहती है।' ब्राह्मणने समझाया।

'भला, इसका पान ही कोई क्यों करेगा। आपने अपने सदुपदेशसे मेरी आँखें खोल दीं। आपने मुझे उस तरह शिक्षा दी है जिस तरह पिता पुत्रको, गुरु शिष्यको और मुनि दुखीको सन्मार्गपर ले जाते हैं। मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि अब कभी मदिरा पान नहीं करूँगा। पुरस्काररूपमें आपको अच्छे-अच्छे पाँच गाँव, सौ दासियाँ और अश्वयुक्त दस रथ प्रदान करता हूँ।' सर्वमित्र ब्राह्मणके पैरोंपर गिर पड़ा।

'सर्वमित्र! मुझे तुम्हारी किसी वस्तुकी आवश्यकता नहीं है। मेरे पास तो स्वर्गका वैभव है। मुझसे तुम्हारा पतन नहीं देखा गया, इसीलिये ऐसा स्वाँग बनाकर मैंने मदिरा - पानके दोष बताये। मैं इन्द्र-पदपर हूँ।' ब्राह्मण वेषधारी बोधिसत्त्वने रहस्य स्पष्ट किया।

-रा0 श्री0 (जातकमाला)



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sadupadesha

praacheen kaalamen raaja sarvamitrake shaasanakaalamen mahaatma buddh bodhisattva-shareeramen the. unhonne vinamrata, udaarata, kshamaasheelata aur daan tatha sadaachaarake balapar shakrapad praapt kar liya thaa. ve shakrapadapar rahakar bhee kabhee aishvary aur vishay sukhamen aasakt n ho sake. sada praanimaatrake hitamen hee lage rahate the. logonko sadgun sampann dekhakar prasann hote the.

raaja sarvamitrako madira peeneka vyasan thaa. vah apane to peeta hee tha, doosaronko -praja tatha raajakarmachaariyonko bhee pilaakar harshit hota thaa. usakemadira - paanase raajyabharamen araajakata chha gayee. log duraachaaree ho gaye, paapakee vriddhi hone lagee. prajaaka utpeeda़n hone lagaa. nyaaya-anyaay, satya-asaty, dharma-adharm aur prakaash tatha andhakaar aadimen logonkee bheda-buddhi samaapt ho gayee. raaja sarvamitrako in baatonkee tanik bhee chinta naheen thee. vah to raaga-rangamen nimagn thaa.

ek samay raaja paana-grihamen adhikaariyonke saath baitha hua thaa; madiraapaanaka kram chalanevaala hee tha ki log chaunk uthe.

'is paatramen sura bharee huee hai. isaka mukh sugandhitapushponse dhaka hai; ise kaun khareedega ?' ek braahmananeraajaake sinhaasanake saamane khada़e hokar ghoshana kee. usaka svarn varn tha, jataaen dhoolidhoosarit aur gunthee huee theen, shareerapar valkal aur mrigacharmaka paridhaan thaa. usake baayen haathamen sura paatr thaa.

'aap koee bahut bada़e muni hain, aapake netronse chandr jyotsnaakee tarah daya umada़ rahee hai. adbhut tej hai aapaka !' raajaane uthakar charanavandana kee. upasthit adhikaariyonne abhivaadan kiyaa.

'yadi tumhen is lok aur paralokakee chinta n ho, narak yaatanaaka bhay n ho to ise khareed lo.' braahmanake shabd the .

"mahaaraaja! aap to vichitr dhangaka sauda kar rahe hain; sab apanee vastukee prashansa karate hain, par aap apanee vastuke saare dosh prakat kar rahe hain. kitane satyavaadee hain! aap dharmapar adig hain.' sarvamitr aashcharyamen pada़ gayaa.

'sarvamitra! n to isamen pavitr phoolonka madhu hai n gangaa-jal hai, n doodh hai aur n dahee hai. isamen vishamayee madira hai. jo peeta hai, vah vashamen naheen rahataa. use bhakshyaabhakshyaka vichaar naheen rahataa. raajapathapar lada़khada़aakar gir pada़ta hai, apanee kee huee ulateeko aap khaata hai, kutte usaka mukh chaatate hain. ise khareed lo; achchhaaavasar hai. isaka paanakar tum sada़kapar nange hokar naachoge; tumhen patnee aur apanee yuvatee kanyaamen bhed naheen deekh pada़egaa.' isaka paanakar stree apane dhanee-se-dhanee patiko bhee vrikshase baandhakar peetatee hai. isaka paanakar bada़e-bada़e dhanavaan daridr ho gaye. raajaaonke raajy mit gaye. yah abhishaapakee moorti hai, paapakee jananee hai; yah aise narakamen le jaatee hai, jisamen raata-din agnijvaala dhadhakatee rahatee hai.' braahmanane samajhaayaa.

'bhala, isaka paan hee koee kyon karegaa. aapane apane sadupadeshase meree aankhen khol deen. aapane mujhe us tarah shiksha dee hai jis tarah pita putrako, guru shishyako aur muni dukheeko sanmaargapar le jaate hain. main pratijna karata hoon ki ab kabhee madira paan naheen karoongaa. puraskaararoopamen aapako achchhe-achchhe paanch gaanv, sau daasiyaan aur ashvayukt das rath pradaan karata hoon.' sarvamitr braahmanake paironpar gir pada़aa.

'sarvamitra! mujhe tumhaaree kisee vastukee aavashyakata naheen hai. mere paas to svargaka vaibhav hai. mujhase tumhaara patan naheen dekha gaya, iseeliye aisa svaang banaakar mainne madira - paanake dosh bataaye. main indra-padapar hoon.' braahman veshadhaaree bodhisattvane rahasy spasht kiyaa.

-raa0 shree0 (jaatakamaalaa)

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