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सहनशीलता (4)  [प्रेरक कहानी]
आध्यात्मिक कहानी - हिन्दी कथा (Hindi Story)

चीनके बादशाहका मन्त्री शाहचांग बहुत थक गया था। उस दिन उसे सबेरे ही बादशाहके सम्मुख एक रिपोर्ट रखनी थी। आधी राततक जागते हुए वह अपने सहायक से रिपोर्ट लिखवाता रहा। रिपोर्ट पूरी करके वह उठा और अपने शयनकक्षकी ओर जाने लगा। इसी समय उसका सहायक भी उठा, किंतु सहायककी असावधानीसे लैम्पको धक्का लग गया। लैम्प गिर पड़ा।सब कागज तेलमें भीग गये और उनमें आग लग गयी। सहायकका तो मुख ही सूख गया 'काटो तो खून नहीं।' मन्त्री महोदय लौट पड़े। उन्होंने धीरेसे कहा 'यह संयोगकी बात है, तुम्हारा कोई अपराध तो है नहीं। बैठो, हम दोनों फिरसे उस रिपोर्टको तैयार कर लेंगे।' अपने आसनपर वे बैठ गये और कागजोंको सम्हालकर रिपोर्ट लिखवाना आरम्भ कर दिया।



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sahanasheelata (4)

cheenake baadashaahaka mantree shaahachaang bahut thak gaya thaa. us din use sabere hee baadashaahake sammukh ek riport rakhanee thee. aadhee raatatak jaagate hue vah apane sahaayak se riport likhavaata rahaa. riport pooree karake vah utha aur apane shayanakakshakee or jaane lagaa. isee samay usaka sahaayak bhee utha, kintu sahaayakakee asaavadhaaneese laimpako dhakka lag gayaa. laimp gir pada़aa.sab kaagaj telamen bheeg gaye aur unamen aag lag gayee. sahaayakaka to mukh hee sookh gaya 'kaato to khoon naheen.' mantree mahoday laut pada़e. unhonne dheerese kaha 'yah sanyogakee baat hai, tumhaara koee aparaadh to hai naheen. baitho, ham donon phirase us riportako taiyaar kar lenge.' apane aasanapar ve baith gaye aur kaagajonko samhaalakar riport likhavaana aarambh kar diyaa.

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फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
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