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आतिथ्यधर्म  [बोध कथा]
छोटी सी कहानी - आध्यात्मिक कथा (Short Story)

भारतवासियोंके समान ही अरब भी अतिथिका सम्मान करनेमें अपना गौरव मानते हैं। अतिथिका स्वागत-सत्कार वहाँ कर्तव्य समझा जाता है। अरबलोगोंकी शूरता प्रसिद्ध है और अपने शत्रुको तो वे क्षमा करना जानते ही नहीं। एक व्यक्तिने एक अरबके पुत्रको मार दिया था। वह अरब अपने पुत्रघातीके खूनका प्यासा हो रहा था और सदा उसकी खोजमें रहता था। संयोग ऐसा बना कि वही व्यक्ति किसी यात्रामें निकला। मार्गमें ही उसे लू लग गयी। ज्वरकी पीड़ासे व्याकुल किसी प्रकार गिरता पड़ता वह जो सबसे पास तम्बू मिला वहाँतक पहुँचा। तम्बूके दरवाजेतक पहुँचते पहुँचते तो वह गिर पड़ा और बेहोश हो गया।

तम्बूके मालिकने अपने दरवाजेपर गिरे बेहोश अतिथिको उठाकर भीतर लिटा दिया। वह उसकीसेवामें लग गया। रात-दिन जागकर भली प्रकार उसने बीमारकी सेवा की। रोगीकी मूर्छा दूर हुई; किंतु उसे स्वस्थ होनेमें कई दिन लगे। उस तम्बूके स्वामी अरबने उसकी सेवा-सत्कारमें कहीं कोई कमी नहीं होने दी।

रोगी जब स्वस्थ हो गया, सबल हो गया और इस योग्य हो गया कि लम्बी यात्रा कर सके, तब उस अरबने कहा—'तुम मेरा सबसे बलवान् ऊँट ले लो और जितनी शीघ्रतासे जा सको, यहाँसे दूर चले जाओ। मेरा आतिथ्य सत्कार पूरा हो गया। मैंने अपना एक कर्तव्य ठीक पूरा किया है। परंतु तुमने मेरे पुत्रकी हत्या की है, तुमसे पुत्रका बदला लेना मेरा दूसरा कर्तव्य है। मैं ठीक दो घंटे बाद अपने दूसरे कर्तव्यके पालनके लिये तुम्हारा पीछा करनेवाला हूँ।'



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aatithyadharma

bhaaratavaasiyonke samaan hee arab bhee atithika sammaan karanemen apana gaurav maanate hain. atithika svaagata-satkaar vahaan kartavy samajha jaata hai. arabalogonkee shoorata prasiddh hai aur apane shatruko to ve kshama karana jaanate hee naheen. ek vyaktine ek arabake putrako maar diya thaa. vah arab apane putraghaateeke khoonaka pyaasa ho raha tha aur sada usakee khojamen rahata thaa. sanyog aisa bana ki vahee vyakti kisee yaatraamen nikalaa. maargamen hee use loo lag gayee. jvarakee peeda़aase vyaakul kisee prakaar girata pada़ta vah jo sabase paas tamboo mila vahaantak pahunchaa. tambooke daravaajetak pahunchate pahunchate to vah gir pada़a aur behosh ho gayaa.

tambooke maalikane apane daravaajepar gire behosh atithiko uthaakar bheetar lita diyaa. vah usakeesevaamen lag gayaa. raata-din jaagakar bhalee prakaar usane beemaarakee seva kee. rogeekee moorchha door huee; kintu use svasth honemen kaee din lage. us tambooke svaamee arabane usakee sevaa-satkaaramen kaheen koee kamee naheen hone dee.

rogee jab svasth ho gaya, sabal ho gaya aur is yogy ho gaya ki lambee yaatra kar sake, tab us arabane kahaa—'tum mera sabase balavaan oont le lo aur jitanee sheeghrataase ja sako, yahaanse door chale jaao. mera aatithy satkaar poora ho gayaa. mainne apana ek kartavy theek poora kiya hai. parantu tumane mere putrakee hatya kee hai, tumase putraka badala lena mera doosara kartavy hai. main theek do ghante baad apane doosare kartavyake paalanake liye tumhaara peechha karanevaala hoon.'

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