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उदार स्वामी  [प्रेरक कथा]
Spiritual Story - Hindi Story (प्रेरक कहानी)

गुजरातके धोलनगरके नरेश वीरधवल एक दिन भोजन करके पलंगपर लेटे थे और उनका सेवक राजाके पैर दबा रहा था। राजाने नेत्र बंद कर लिये थे। उन्हें निद्रित समझकर सेवकने उनके पैरकी अँगुलीसे रत्नजटित अँगूठी निकालकर मुखमें छिपा ली। नरेशने अँगूठीकी कोई चर्चा नहीं की। उन्होंने वैसी ही दूसरी अँगूठी पहन ली। दूसरे दिन पैर दबाते समय सेवकने फिर अँगूठी निकाली तो राजा बोले-'अब यह अँगूठी तो रहने दो। कल जो अँगूठी तुमने ली है, वह तो मैं तुम्हें दे चुका '

सेवक राजाके पैरोंपर गिर पड़ा। उदार नरेश बोले – 'डरो मत! दोष मेरा ही है। थोड़े वेतनसे तुम्हारी आवश्यकता पूरी नहीं होती, इसलिये तुम चोरी करनेपर विवश हुए हो। मुझे तुम्हारी आवश्यकताको पहले समझ लेना चाहिये था। आजसे तुम्हारा वेतन दुगुना किया गया।



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udaar svaamee

gujaraatake dholanagarake naresh veeradhaval ek din bhojan karake palangapar lete the aur unaka sevak raajaake pair daba raha thaa. raajaane netr band kar liye the. unhen nidrit samajhakar sevakane unake pairakee anguleese ratnajatit angoothee nikaalakar mukhamen chhipa lee. nareshane angootheekee koee charcha naheen kee. unhonne vaisee hee doosaree angoothee pahan lee. doosare din pair dabaate samay sevakane phir angoothee nikaalee to raaja bole-'ab yah angoothee to rahane do. kal jo angoothee tumane lee hai, vah to main tumhen de chuka '

sevak raajaake paironpar gir pada़aa. udaar naresh bole – 'daro mata! dosh mera hee hai. thoda़e vetanase tumhaaree aavashyakata pooree naheen hotee, isaliye tum choree karanepar vivash hue ho. mujhe tumhaaree aavashyakataako pahale samajh lena chaahiye thaa. aajase tumhaara vetan duguna kiya gayaa.

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मैं मिलन की प्यासी धारा
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मेरी करुणामयी सरकार पता नहीं क्या दे
क्या दे दे भई, क्या दे दे
ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
गोवर्धन वासी सांवरे, गोवर्धन वासी
तुम बिन रह्यो न जाय, गोवर्धन वासी
तेरा पल पल बिता जाए रे
मुख से जप ले नमः शवाए
सुबह सवेरे  लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते है हम शुरु आज का काम प्रभु,
ਮੇਰੇ ਕਰਮਾਂ ਵੱਲ ਨਾ ਵੇਖਿਓ ਜੀ,
ਕਰਮਾਂ ਤੋਂ ਸ਼ਾਰਮਾਈ ਹੋਈ ਆਂ
श्याम बंसी ना बुल्लां उत्ते रख अड़ेया
तेरी बंसी पवाडे पाए लख अड़ेया ।
हो मेरी लाडो का नाम श्री राधा
श्री राधा श्री राधा, श्री राधा श्री
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया, दिल दीवाना हो गया ॥
नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
शयाम सुंदर मुख चंदा, भजो रे मन गोविंदा
ज़िंदगी मे हज़ारो का मेला जुड़ा
हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं
वो तो दशरथ राज दुलारे हैं
मीठे रस से भरी रे, राधा रानी लागे,
मने कारो कारो जमुनाजी रो पानी लागे
राधा नाम की लगाई फुलवारी, के पत्ता
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता, के पत्ता
मेरी रसना से राधा राधा नाम निकले,
हर घडी हर पल, हर घडी हर पल।
सब हो गए भव से पार, लेकर नाम तेरा
नाम तेरा हरि नाम तेरा, नाम तेरा हरि नाम
मीठी मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजे,
होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे
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