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कुसंगका परिणाम  [Spiritual Story]
Short Story - Story To Read (Shikshaprad Kahani)

कुसंगका परिणाम

गंगाजी के किनारे गृध्रकूट नामक पर्वतपर एक विशाल पाकड़ वृक्ष था। उसके खोखले भाग (कोटर) में एक अन्धा गिद्ध रहा करता था। उसका नाम जरद्गव था। वह गिद्ध बूढ़ा और कमजोर था, इसलिये उस वृक्षपर रहनेवाले सभी पक्षी अपने भोजन मेंसे थोड़ा-थोड़ा हिस्सा उसे दिया करते थे। गिद्ध भी अपने जीवनके अनुभव और ज्ञानकी बातें सुनाकर उन सबके प्रेम और आदरका पात्र बना हुआ था। इस प्रकार उस वृक्षका वातावरण उन सबके सामंजस्यसे बड़ा ही सुखद बना हुआ था।
एक दिन दुर्भाग्यकी काली छायाके रूपमें दीर्घकर्ण नामका एक बिलाव पक्षियोंके बच्चोंको खानेके लिये उस पेड़पर आ पहुँचा। उसे देखकर बच्चे घबड़ाकर चीं-चीं करने लगे। बच्चोंका भयभीत स्वर सुनकर गृध्रने जोरसे पूछा- कौन है ? गोधकी आवाज सुन बिलाव भयभीत हो मनमें विचार करने लगा, हाय। मैं लोभवश यहाँ आया था, लगता है अब मृत्युको प्राप्त हो जाऊँगा। मृत्युको सन्निकट जान उस बिलावने कपट-बुद्धिका आश्रय लेकर कहा- 'महाराज ! मैं आपको प्रणाम करता हूँ।' गिद्ध बोला- 'तू कौन है?' वह बोला-'मैं बिलाव हूँ। "दूर हट जा नहीं तो मैं तुझे मार डालूँगा।' गिद्धने कहा। बिलाव बोला-'महाराज! पहले मेरी बात तो सुन लीजिये, फिर मैं मारनेयोग्य होऊँगा तो मुझे मार डालियेगा।'
गिद्ध बोला-'बता, तू किसलिये यहाँ आया है?' बिलाव बोला-'महाराज। मैं नित्य गंगास्नान करता हूँ, मांस भक्षण त्यागकर इन्द्रिय-संयम और ब्रह्मचर्य का पालन करता हूँ तथा चान्द्रायण व्रत करता हूँ। पक्षियोंद्वारा आपके धर्म-ज्ञानकी प्रशंसा सुनकर मैं आपके पास धर्मका रहस्य सुनने आया हूँ। महाराज! मैं आपका अतिथि हूँ, श्रद्धा भावसे आपके पास आया हूँ, इसलिये मेरा त्याग न करिये।' गिद्ध बोला- 'बिलाव मांसभक्षी होता है, यहाँ पक्षियोंक छोटे-छोटे बच्चे रहते हैं। मैं इन सबका रक्षक हूँ, अतः मैं तुझे यहाँ नहीं रहने दूंगा। तेरी-मेरी मित्रता नहीं हो सकती।'
बिलावने भूमिका स्पर्शकर शपथ लेते हुए कहा 'महाराज! मैंने धर्मज्ञोंसे सुना है कि' अहिंसा ही परम धर्म है' इसलिये मैंने मांसभक्षण छोड़ दिया है। मैं फल और अन्नपर ही निर्वाह कर रहा हूँ। नित्य गंगा स्नान और चान्द्रायण व्रतसे मेरी मनोवृत्ति बदल गयी है। आप सत्पुरुष हैं, आपका दर्शन ही मेरे लिये मंगलमय है, अतः आप मुझे अपने चरणोंमें आश्रय दें। "बिलावकी मीठी एवं कपटभरी बातोंपर विश्वासकर गीधने उसे अपना मित्र बना लिया और वह दुरात्मा बिलाव वहीं रहने लगा।
कुछ दिन बीत जानेपर जब वह गीथका विश्वासपात्र बन गया तो उसकी मांसभोजी प्रवृत्ति उसे पक्षिशावकका भक्षण करनेके लिये प्रेरित करने लगी। वह यह भी समझ गया था कि गीध अन्धा है, अतः यह मेरी हानि नहीं कर सकेगा। अगले दिन जब सब पक्षी अपने-अपने घोंसलोंसे तलाशमें दूर चले गये तो वह घोंसलोंमें घुसकर उनके बच्चोंको खाने लगा। पक्षी रोज वापस लौटकर अपने बच्चोंको न पाते तो बहुत दुखी होते। इस प्रकार बिलाव उन पक्षियोंके सभी बच्चोंको खा गया। बच्चोंको खानेके बाद वह उनकी हड्डियाँको गीधके निवास स्थानपर रख देता था। अन्धा होनेके कारण गीधको कुछ पता भी नहीं चल पाता था। एक दिन सभी पक्षी शोकसे व्याकुल हो अपने ही बच्चोंको ढूँढ़ते हुए उस खोखले स्थानतक आये। उन्हें वहाँ बिलाव दिखायी नहीं दिया, क्योंकि वह तो चुपचाप वहाँसे कबका भाग चुका था। पक्षियोंने जब गीधके आवासमें अपने बच्चोंकी हड्डियाँ देखीं तो गीधको ही अपने बच्चोंका हत्यारा समझकर उसे मार डाला। इस प्रकार दुष्ट व्यक्तिको साथ रखनेके कारण निर्दोष गीध मृत्युको प्राप्त हुआ।
इसीलिये कहा गया है कि- दुष्ट व्यक्तिका साथ घातक होता है। बेचारा गिद्ध सभी पक्षियोंके बच्चोंकी रक्षाका परोपकारी कार्य करता था, किंतु हिंसक बिलावका संग होनेसे न केवल गिद्ध ही मारा गया बल्कि पक्षियोंके बच्चे भी कालके गालमें चले गये। इसलिये कुसंगसे सदा बचते रहना चाहिये। [ हितोपदेश, मित्रलाभ ]



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kusangaka parinaama

kusangaka parinaama

gangaajee ke kinaare gridhrakoot naamak parvatapar ek vishaal paakada़ vriksh thaa. usake khokhale bhaag (kotara) men ek andha giddh raha karata thaa. usaka naam jaradgav thaa. vah giddh boodha़a aur kamajor tha, isaliye us vrikshapar rahanevaale sabhee pakshee apane bhojan mense thoda़aa-thoda़a hissa use diya karate the. giddh bhee apane jeevanake anubhav aur jnaanakee baaten sunaakar un sabake prem aur aadaraka paatr bana hua thaa. is prakaar us vrikshaka vaataavaran un sabake saamanjasyase bada़a hee sukhad bana hua thaa.
ek din durbhaagyakee kaalee chhaayaake roopamen deerghakarn naamaka ek bilaav pakshiyonke bachchonko khaaneke liye us peड़par a pahunchaa. use dekhakar bachche ghabada़aakar cheen-cheen karane lage. bachchonka bhayabheet svar sunakar gridhrane jorase poochhaa- kaun hai ? godhakee aavaaj sun bilaav bhayabheet ho manamen vichaar karane laga, haaya. main lobhavash yahaan aaya tha, lagata hai ab mrityuko praapt ho jaaoongaa. mrityuko sannikat jaan us bilaavane kapata-buddhika aashray lekar kahaa- 'mahaaraaj ! main aapako pranaam karata hoon.' giddh bolaa- 'too kaun hai?' vah bolaa-'main bilaav hoon. "door hat ja naheen to main tujhe maar daaloongaa.' giddhane kahaa. bilaav bolaa-'mahaaraaja! pahale meree baat to sun leejiye, phir main maaraneyogy hooonga to mujhe maar daaliyegaa.'
giddh bolaa-'bata, too kisaliye yahaan aaya hai?' bilaav bolaa-'mahaaraaja. main nity gangaasnaan karata hoon, maans bhakshan tyaagakar indriya-sanyam aur brahmachary ka paalan karata hoon tatha chaandraayan vrat karata hoon. pakshiyondvaara aapake dharma-jnaanakee prashansa sunakar main aapake paas dharmaka rahasy sunane aaya hoon. mahaaraaja! main aapaka atithi hoon, shraddha bhaavase aapake paas aaya hoon, isaliye mera tyaag n kariye.' giddh bolaa- 'bilaav maansabhakshee hota hai, yahaan pakshiyonk chhote-chhote bachche rahate hain. main in sabaka rakshak hoon, atah main tujhe yahaan naheen rahane doongaa. teree-meree mitrata naheen ho sakatee.'
bilaavane bhoomika sparshakar shapath lete hue kaha 'mahaaraaja! mainne dharmajnonse suna hai ki' ahinsa hee param dharm hai' isaliye mainne maansabhakshan chhoda़ diya hai. main phal aur annapar hee nirvaah kar raha hoon. nity ganga snaan aur chaandraayan vratase meree manovritti badal gayee hai. aap satpurush hain, aapaka darshan hee mere liye mangalamay hai, atah aap mujhe apane charanonmen aashray den. "bilaavakee meethee evan kapatabharee baatonpar vishvaasakar geedhane use apana mitr bana liya aur vah duraatma bilaav vaheen rahane lagaa.
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iseeliye kaha gaya hai ki- dusht vyaktika saath ghaatak hota hai. bechaara giddh sabhee pakshiyonke bachchonkee rakshaaka paropakaaree kaary karata tha, kintu hinsak bilaavaka sang honese n keval giddh hee maara gaya balki pakshiyonke bachche bhee kaalake gaalamen chale gaye. isaliye kusangase sada bachate rahana chaahiye. [ hitopadesh, mitralaabh ]

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