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गुणग्राहकता  [हिन्दी कहानी]
आध्यात्मिक कहानी - Short Story (शिक्षदायक कहानी)

मालवेश्वर भोजको राजसिंहासनपर बैठे कुछ ही दिन हुए थे। एक दिन प्रातः काल वे अपने रथपर समासीन होकर राजकीय उद्यानकी ओर क्रीड़ाके लिये जा रहे थे। सूर्यकी सुनहली किरणें पृथ्वीपर अपनी आभा फैला रही थीं। धारापतिका रथ बड़ी तेजीसे राजपथपर बढ़ा जा रहा था। सहसा महाराज भोजने रथ रोकनेका आदेश दिया। वे रथसे उतर पड़े एक ब्राह्मण देवताको देखकर। ब्राह्मणका नाम गोविन्द था। वह देखनेमें मनीषी और कुलीन लगता था। महाराज भोजने सादर अभिवादन किया, ब्राह्मणने दोनों नेत्र मूँद लिये। राजा भोज उसके इस आचरणसे विस्मय में पड़ गये।

"न तो आपने स्वस्ति वाचन किया और न आशीर्वाद ही दिया। आपने मुझे देखते ही दोनों नेत्र बंद कर लिये। कारण बतानेकी कृपा कर सकते हैं?' महाराज भोजने बड़े आदरसे जिज्ञासा प्रकट की।

'आप वैष्णव हैं, आप अनजानमें भी दूसरोंको पीड़ा नहीं पहुँचा सकते हैं, न ब्राह्मणोंके प्रति उत्पात कर सकते हैं; इसलिये मुझे आपसे भय नहीं है। आप किसीको कुछ दान भी नहीं देते, लोकोक्ति है कि सबेरे सबेरे कृपणका मुख देखकर नेत्र बंद कर लेनेचाहिये। अप्रगल्भकी विद्या, कृपणका धन और कायरका बाहुबल - ये तीनों पृथ्वीपर व्यर्थ हैं। राजाके पा सम्पत्ति भले न हो; पर यदि वह गुणग्राही है तो सेव्य है। दधीचि, शिबि और कर्ण आदि स्वर्ग जानेपर भी अपने दानके बलपर पृथ्वीपर अमर हैं; लोग उनका यश गाते हैं, उनकी उदारता और दानशीलताकी प्रशंसा करते हैं। महाराज ! यह देह नश्वर है, अनित्य है; इसलिये कीर्ति ही उपार्जनीय है।' गोविन्दने महाराज भोजसे अत्यन्त खरा सत्य कहा l

'मैंने आपके वचनामृतसे परम तृप्ति पायी है। आपने अत्यन्त कोमल ढंगसे मेरे हितकी बात कही है। संसारमें प्रशंसा करनेवाले तो अनेक लोग मिलते हैं; पर आप-जैसे मनीषी और हितैषी कम ही दीख पड़ते हैं। आपने मेरे हितकी बात कहकर मेरी आँखें खोल दी हैं। आपने मेरा बड़ा उपकार किया है; वास्तवमें ऐसी औषध नहीं मिलती है, जो हितकर और साथ-ही-साथ स्वादयुक्त भी हो। आपने मेरी दान-वृत्ति जगाकर मुझे नरकमें जानेसे बचा लिया।' राजा भोजने ब्राह्मणकी सत्कथन-प्रवृत्तिकी सराहना की तथा एक लाख रुपयेसे पुरस्कृत किया। उसके लिये राजप्रासादके दरवाजे सदाके लिये खोल दिये गये। रा0 श्री0 (भोजप्रबन्ध)



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gunagraahakataa

maalaveshvar bhojako raajasinhaasanapar baithe kuchh hee din hue the. ek din praatah kaal ve apane rathapar samaaseen hokar raajakeey udyaanakee or kreeda़aake liye ja rahe the. sooryakee sunahalee kiranen prithveepar apanee aabha phaila rahee theen. dhaaraapatika rath bada़ee tejeese raajapathapar badha़a ja raha thaa. sahasa mahaaraaj bhojane rath rokaneka aadesh diyaa. ve rathase utar pada़e ek braahman devataako dekhakara. braahmanaka naam govind thaa. vah dekhanemen maneeshee aur kuleen lagata thaa. mahaaraaj bhojane saadar abhivaadan kiya, braahmanane donon netr moond liye. raaja bhoj usake is aacharanase vismay men pada़ gaye.

"n to aapane svasti vaachan kiya aur n aasheervaad hee diyaa. aapane mujhe dekhate hee donon netr band kar liye. kaaran bataanekee kripa kar sakate hain?' mahaaraaj bhojane bada़e aadarase jijnaasa prakat kee.

'aap vaishnav hain, aap anajaanamen bhee doosaronko peeda़a naheen pahuncha sakate hain, n braahmanonke prati utpaat kar sakate hain; isaliye mujhe aapase bhay naheen hai. aap kiseeko kuchh daan bhee naheen dete, lokokti hai ki sabere sabere kripanaka mukh dekhakar netr band kar lenechaahiye. apragalbhakee vidya, kripanaka dhan aur kaayaraka baahubal - ye teenon prithveepar vyarth hain. raajaake pa sampatti bhale n ho; par yadi vah gunagraahee hai to sevy hai. dadheechi, shibi aur karn aadi svarg jaanepar bhee apane daanake balapar prithveepar amar hain; log unaka yash gaate hain, unakee udaarata aur daanasheelataakee prashansa karate hain. mahaaraaj ! yah deh nashvar hai, anity hai; isaliye keerti hee upaarjaneey hai.' govindane mahaaraaj bhojase atyant khara saty kaha l

'mainne aapake vachanaamritase param tripti paayee hai. aapane atyant komal dhangase mere hitakee baat kahee hai. sansaaramen prashansa karanevaale to anek log milate hain; par aapa-jaise maneeshee aur hitaishee kam hee deekh pada़te hain. aapane mere hitakee baat kahakar meree aankhen khol dee hain. aapane mera bada़a upakaar kiya hai; vaastavamen aisee aushadh naheen milatee hai, jo hitakar aur saatha-hee-saath svaadayukt bhee ho. aapane meree daana-vritti jagaakar mujhe narakamen jaanese bacha liyaa.' raaja bhojane braahmanakee satkathana-pravrittikee saraahana kee tatha ek laakh rupayese puraskrit kiyaa. usake liye raajapraasaadake daravaaje sadaake liye khol diye gaye. raa0 shree0 (bhojaprabandha)

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