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निष्कपट स्वीकृति  [Moral Story]
Spiritual Story - प्रेरक कहानी (Wisdom Story)

संत हुसेनके साथी तपस्वी मलिक दिनार थे। वे अत्यन्त सरल एवं पवित्र हृदयके महात्मा थे। एक दिन एक स्त्रीने उनको 'कपटी' कहकर पुकारा । अत्यन्तआदरसे विनयपूर्वक तुरंत उन्होंने कहा- 'बहिन ! इतने दिनोंमें मेरा सच्चा नाम लेकर पुकारनेवाली केवल तुम ही मिल सकी हो। तुमने मुझे ठीक पहचाना।'- शि0 दु0



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nishkapat sveekriti

sant husenake saathee tapasvee malik dinaar the. ve atyant saral evan pavitr hridayake mahaatma the. ek din ek streene unako 'kapatee' kahakar pukaara . atyantaaadarase vinayapoorvak turant unhonne kahaa- 'bahin ! itane dinonmen mera sachcha naam lekar pukaaranevaalee keval tum hee mil sakee ho. tumane mujhe theek pahachaanaa.'- shi0 du0

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हे राम, हे राम, हे राम, हे राम
जग में साचे तेरो नाम । हे राम...
शिव समा रहे मुझमें
और मैं शून्य हो रहा हूँ
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हर घडी हर पल, हर घडी हर पल।
वृंदावन में हुकुम चले बरसाने वाली का,
कान्हा भी दीवाना है श्री श्यामा
मुझे चाहिए बस सहारा तुम्हारा,
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मोहे आन मिलो श्याम, बहुत दिन बीत गए।
बहुत दिन बीत गए, बहुत युग बीत गए ॥
हम प्रेम नगर के बंजारिन है
जप ताप और साधन क्या जाने
हर साँस में हो सुमिरन तेरा,
यूँ बीत जाये जीवन मेरा
सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है ।
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
श्याम हमारे दिल से पूछो, कितना तुमको
याद में तेरी मुरली वाले, जीवन यूँ ही
कहना कहना आन पड़ी मैं तेरे द्वार ।
मुझे चाकर समझ निहार ॥
कैसे जीऊं मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही न लगे श्यामा तेरे बिना
प्रभु कर कृपा पावँरी दीन्हि
सादर भारत शीश धरी लीन्ही
दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया ।
राम एक देवता, पुजारी सारी दुनिया ॥
दिल की हर धड़कन से तेरा नाम निकलता है
तेरे दर्शन को मोहन तेरा दास तरसता है
तू कितनी अच्ची है, तू कितनी भोली है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया, दिल दीवाना हो गया ॥
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
अपनी वाणी में अमृत घोल
अपनी वाणी में अमृत घोल
श्यामा तेरे चरणों की गर धूल जो मिल
सच कहता हूँ मेरी तकदीर बदल जाए॥
तेरा गम रहे सलामत मेरे दिल को क्या कमी
यही मेरी ज़िंदगी है, यही मेरी बंदगी है
मेरी करुणामयी सरकार पता नहीं क्या दे
क्या दे दे भई, क्या दे दे
मैं मिलन की प्यासी धारा
तुम रस के सागर रसिया हो
आज बृज में होली रे रसिया।
होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥
मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना
तुझे मिल गया पुजारी, मुझे मिल गया
मीठे रस से भरी रे, राधा रानी लागे,
मने कारो कारो जमुनाजी रो पानी लागे
सुबह सवेरे  लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते है हम शुरु आज का काम प्रभु,
राधे तु कितनी प्यारी है ॥
तेरे संग में बांके बिहारी कृष्ण
मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे
मिलेंगे कुंज बिहारी, ओढ़ के कांबल काली
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