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पुरुष या स्त्री  [प्रेरक कहानी]
Hindi Story - Spiritual Story (छोटी सी कहानी)

एक साधु नगरसे बाहर कुटियामें रहते थे। परंतु भिक्षा माँगने तो उन्हें नगरमें आना ही पड़ता था । मार्गमें एक वेश्याका घर पड़ता था । वेश्या उन्हें अपनी ओर आकर्षित करनेका प्रयत्न करके हार चुकी थी । इससे प्रायः वह प्रतिदिन उनसे पूछती - 'तुम पुरुष हो या स्त्री ?'

साधु उत्तर दे देते - 'एक दिन इसका उत्तर दूँगा।' वेश्याने इसका कुछ और अर्थ समझ लिया था। वह प्रतिदिन उनके नगरमें आनेका मार्ग देखती रहती थी। सदा उसे यही उत्तर मिलता था। सहसा एक दिन एक व्यक्तिने आकर समाचार दिया वेश्याको-'महात्माजी तुम्हें कुटियापर बुला रहे हैं।'

वेश्या वहाँ पहुँची। साधु बीमार थे, भूमिपर पड़े थे और अब उनके जीवनके कुछ क्षण ही शेष थे।उन्होंने वेश्यासे कहा-'मैंने तुम्हें तुम्हारे प्रश्नका उत्तर देनेका वचन दिया था, वह उत्तर आज दे रहा हूँ-मैं पुरुष हूँ।'

वेश्या बोली- 'यह उत्तर तो आप कभी दे सकते थे।' साधुने कहा- 'केवल पुरुषका शरीर मिलनेसे कोई पुरुष नहीं हो जाता। जो संसारके भोगों में आसक्त है, वह मायाके परतन्त्र है। परतन्त्र जीव मायाकी कठपुतली है तो स्त्री ही है। पुरुष एक ही है मायाका स्वामी । उससे एकात्मता प्राप्त करनेपर ही पुरुषत्व प्राप्त होता है। जीवन जबतक है, कोई नहीं कह सकता कि कब माया उसे नचा लेगी। परंतु अब मैं जा रहा हूँ। अब मैं कह सकता हूँ कि माया मेरा कुछ नहीं कर सकी। अब मैं समझता हूँ कि मैं पुरुष हूँ।'-सु0 सिं0



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purush ya stree

ek saadhu nagarase baahar kutiyaamen rahate the. parantu bhiksha maangane to unhen nagaramen aana hee pada़ta tha . maargamen ek veshyaaka ghar pada़ta tha . veshya unhen apanee or aakarshit karaneka prayatn karake haar chukee thee . isase praayah vah pratidin unase poochhatee - 'tum purush ho ya stree ?'

saadhu uttar de dete - 'ek din isaka uttar doongaa.' veshyaane isaka kuchh aur arth samajh liya thaa. vah pratidin unake nagaramen aaneka maarg dekhatee rahatee thee. sada use yahee uttar milata thaa. sahasa ek din ek vyaktine aakar samaachaar diya veshyaako-'mahaatmaajee tumhen kutiyaapar bula rahe hain.'

veshya vahaan pahunchee. saadhu beemaar the, bhoomipar pada़e the aur ab unake jeevanake kuchh kshan hee shesh the.unhonne veshyaase kahaa-'mainne tumhen tumhaare prashnaka uttar deneka vachan diya tha, vah uttar aaj de raha hoon-main purush hoon.'

veshya bolee- 'yah uttar to aap kabhee de sakate the.' saadhune kahaa- 'keval purushaka shareer milanese koee purush naheen ho jaataa. jo sansaarake bhogon men aasakt hai, vah maayaake paratantr hai. paratantr jeev maayaakee kathaputalee hai to stree hee hai. purush ek hee hai maayaaka svaamee . usase ekaatmata praapt karanepar hee purushatv praapt hota hai. jeevan jabatak hai, koee naheen kah sakata ki kab maaya use nacha legee. parantu ab main ja raha hoon. ab main kah sakata hoon ki maaya mera kuchh naheen kar sakee. ab main samajhata hoon ki main purush hoon.'-su0 sin0

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