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स्वभाव बदलो  [शिक्षदायक कहानी]
Spiritual Story - Spiritual Story (Hindi Story)

[4]

स्वभाव बदलो

संत अबू हसनके पास एक व्यक्ति आया और बोला- 'महाराज, मैं गृहस्थीके झंझटोंसे परेशान हो उठा हूँ। पत्नी एवं बच्चोंसे मेरी नहीं पटती, दुखी होकर संन्यास लेना चाहता हूँ। आप महान् संत हैं, अपने पहने हुए कपड़े मुझे दे दें। उन्हें पहनकर मैं भी साधु बन जाऊँगा' अबू हसनने सुना तो मुसकराये। उन्होंने पूछा- 'क्या कोई महिला, पुरुषके कपड़े पहननेसे पुरुष या पुरुष महिलाके कपड़े पहनने से महिला बन सकती है ?' उस व्यक्तिने कहा 'नहीं बन सकते।' 'तो फिर तुम मेरे कपड़े पहनने से साधु कैसे बन जाओगे ? साधु बननेके लिये कपड़े बदलनेकी जरूरत नहीं है, अपना स्वभाव एवं आचरण बदलनेकी जरूरत है। अपना स्वभाव बदल दो, तुम गृहस्थीको झंझट मानना बन्द कर दोगे।' संत अबू हसनके शब्द सुनकर वह व्यक्ति क्रोध एवं झुंझलाहट त्यागनेका संकल्प लेकर अपनी गृहस्थीमें वापस लौट गया।



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svabhaav badalo

[4]

svabhaav badalo

sant aboo hasanake paas ek vyakti aaya aur bolaa- 'mahaaraaj, main grihastheeke jhanjhatonse pareshaan ho utha hoon. patnee evan bachchonse meree naheen patatee, dukhee hokar sannyaas lena chaahata hoon. aap mahaan sant hain, apane pahane hue kapada़e mujhe de den. unhen pahanakar main bhee saadhu ban jaaoongaa' aboo hasanane suna to musakaraaye. unhonne poochhaa- 'kya koee mahila, purushake kapada़e pahananese purush ya purush mahilaake kapada़e pahanane se mahila ban sakatee hai ?' us vyaktine kaha 'naheen ban sakate.' 'to phir tum mere kapada़e pahanane se saadhu kaise ban jaaoge ? saadhu bananeke liye kapada़e badalanekee jaroorat naheen hai, apana svabhaav evan aacharan badalanekee jaroorat hai. apana svabhaav badal do, tum grihastheeko jhanjhat maanana band kar doge.' sant aboo hasanake shabd sunakar vah vyakti krodh evan jhunjhalaahat tyaaganeka sankalp lekar apanee grihastheemen vaapas laut gayaa.

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