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प्रभुविश्वासी राजकन्या  [छोटी सी कहानी]
Spiritual Story - आध्यात्मिक कहानी (Hindi Story)

करमान देशके राजा बड़े भक्त और ईश्वर विश्वासी थे। उनके एक परम भक्तिमती सुन्दरी कन्या थी। राजाने निश्चय किया था कि मैं भगवान्पर परम विश्वास रखनेवाली अपनी इस कन्याको उसीके हाथोंमें साँपूँगा, जो सच्चा त्यागी और अडिग प्रभुविश्वासी होगा। राजा खोज करते रहे, परंतु ऐसा पुरुष उन्हें नहीं मिला। लड़की बीस वर्षकी हो गयी। एक दिन राजाको एक प्रसन्नमुख त्यागी नवयुवक मिला। उसके तनपर कपड़ा नहीं था और न उसके पास कोई वस्तु ही थी। राजाने उसे भगवान्‌की मूर्तिके सामने बड़ी भक्तिभावनासे ध्यानमग्न देखा। मन्दिरसे निकलनेपर राजाने उससे पूछा - 'तुम्हारा घर कहाँ है ?' उसने कहा, 'प्रभु जहाँ रखें।' राजाने पूछा—'तुम्हारे पास कोई सामग्री है ?' उसने कहा- 'प्रभुकी कृपा ही मेरी सामग्री है।' राजाने फिर पूछा- 'तुम्हारा काम कैसे चलता है ?' उसने कहा- 'जैसे प्रभु चलाते हैं।'

उसकी बातोंसे राजाको निश्चय हो गया कि यह अवश्य ही प्रभुविश्वासी और वैराग्यवान् है! मैं अपनी धर्मशीला कन्याके लिये जैसा वर खोजता था, आज ठीक वैसा ही प्रभुने भेज दिया।

राजाने बहुत आग्रह करके और अपनी कन्याके त्याग-वैराग्यकी स्थिति बतलाकर उसे विवाहके लिये राजी किया। बड़ी सादगीसे विवाह हो गया। राजकन्या अपने पतिके साथ जंगलमें एक पेड़के नीचे पहुँची। वहाँ जाकर उसने देखा-वृक्षके एककोटरमें जलके सकोरेपर सूखी रोटीका टुकड़ा रखा है। राजकन्याने पूछा–'स्वामिन्! यह रोटी यहाँ कैसे रखी है?' नवयुवकने कहा- 'आज रातको खानेके काम में आयेगी, इसलिये कल थोड़ी-सी रोटी बचाकर रख छोड़ी थी। '

राजकन्या रोने लगी और निराश होकर अपने नैहर जानेको तैयार हो गयी। इसपर नवयुवकने कहा-'मैं तो पहले ही जानता था कि तू राजमहलमें पली हुई मेरे जैसे दरिद्रके साथ नहीं रह सकेगी।'

राजकन्याने कहा—'स्वामिन्! मैं दरिद्रताके दुःखसे उदास होकर नैहर नहीं जा रही हूँ। मुझे तो इसी बातपर रोना आ रहा है कि आपमें प्रभुके प्रति विश्वासकी इतनी कमी है कि आपने 'कल क्या खायेंगे' इस चिन्तासे रोटीका टुकड़ा बचा रखा। मैं अबतक इसीलिये कुआँरी रही थी कि मुझे कोई प्रभुका विश्वासी पति मिले। मेरे पिताने बड़ी खोज-बीनके बाद आपको चुना। मैंने समझा कि आज मेरी जीवनकी साध पूरी हुई; परंतु मुझे बड़ा खेद है कि आपको तो एक टुकड़े रोटी-जितना भी भगवान्पर विश्वास नहीं है।'

पत्नीकी बात सुनकर उसको अपने त्यागपर बड़ी लज्जा हुई, उसने बड़े संकोचसे कहा- 'सचमुच मैंने बड़ा पाप किया; बता, इसका क्या प्रायश्चित्त करूँ ?' राजकन्याने कहा—'प्रायश्चित्त कुछ नहीं; या तो मुझे रखिये, या रोटीके टुकड़ेको रखिये।' नवयुवककी आँखें खुल गयीं और उसने रोटीका टुकड़ा फेंक दिया।



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prabhuvishvaasee raajakanyaa

karamaan deshake raaja bada़e bhakt aur eeshvar vishvaasee the. unake ek param bhaktimatee sundaree kanya thee. raajaane nishchay kiya tha ki main bhagavaanpar param vishvaas rakhanevaalee apanee is kanyaako useeke haathonmen saanpoonga, jo sachcha tyaagee aur adig prabhuvishvaasee hogaa. raaja khoj karate rahe, parantu aisa purush unhen naheen milaa. lada़kee bees varshakee ho gayee. ek din raajaako ek prasannamukh tyaagee navayuvak milaa. usake tanapar kapada़a naheen tha aur n usake paas koee vastu hee thee. raajaane use bhagavaan‌kee moortike saamane bada़ee bhaktibhaavanaase dhyaanamagn dekhaa. mandirase nikalanepar raajaane usase poochha - 'tumhaara ghar kahaan hai ?' usane kaha, 'prabhu jahaan rakhen.' raajaane poochhaa—'tumhaare paas koee saamagree hai ?' usane kahaa- 'prabhukee kripa hee meree saamagree hai.' raajaane phir poochhaa- 'tumhaara kaam kaise chalata hai ?' usane kahaa- 'jaise prabhu chalaate hain.'

usakee baatonse raajaako nishchay ho gaya ki yah avashy hee prabhuvishvaasee aur vairaagyavaan hai! main apanee dharmasheela kanyaake liye jaisa var khojata tha, aaj theek vaisa hee prabhune bhej diyaa.

raajaane bahut aagrah karake aur apanee kanyaake tyaaga-vairaagyakee sthiti batalaakar use vivaahake liye raajee kiyaa. bada़ee saadageese vivaah ho gayaa. raajakanya apane patike saath jangalamen ek peड़ke neeche pahunchee. vahaan jaakar usane dekhaa-vrikshake ekakotaramen jalake sakorepar sookhee roteeka tukada़a rakha hai. raajakanyaane poochhaa–'svaamin! yah rotee yahaan kaise rakhee hai?' navayuvakane kahaa- 'aaj raatako khaaneke kaam men aayegee, isaliye kal thoड़ee-see rotee bachaakar rakh chhoda़ee thee. '

raajakanya rone lagee aur niraash hokar apane naihar jaaneko taiyaar ho gayee. isapar navayuvakane kahaa-'main to pahale hee jaanata tha ki too raajamahalamen palee huee mere jaise daridrake saath naheen rah sakegee.'

raajakanyaane kahaa—'svaamin! main daridrataake duhkhase udaas hokar naihar naheen ja rahee hoon. mujhe to isee baatapar rona a raha hai ki aapamen prabhuke prati vishvaasakee itanee kamee hai ki aapane 'kal kya khaayenge' is chintaase roteeka tukada़a bacha rakhaa. main abatak iseeliye kuaanree rahee thee ki mujhe koee prabhuka vishvaasee pati mile. mere pitaane bada़ee khoja-beenake baad aapako chunaa. mainne samajha ki aaj meree jeevanakee saadh pooree huee; parantu mujhe baड़a khed hai ki aapako to ek tukada़e rotee-jitana bhee bhagavaanpar vishvaas naheen hai.'

patneekee baat sunakar usako apane tyaagapar bada़ee lajja huee, usane bada़e sankochase kahaa- 'sachamuch mainne bada़a paap kiyaa; bata, isaka kya praayashchitt karoon ?' raajakanyaane kahaa—'praayashchitt kuchh naheen; ya to mujhe rakhiye, ya roteeke tukada़eko rakhiye.' navayuvakakee aankhen khul gayeen aur usane roteeka tukada़a phenk diyaa.

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