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भारको सम्मान दो  [Shikshaprad Kahani]
Short Story - आध्यात्मिक कथा (Shikshaprad Kahani)

नेपोलियन महान् सम्राट् होनेके अनन्तर एक महिलाके साथ पेरिसमें घूमने निकले थे। वे एक पतले रास्तेसे जा रहे थे। महिला आगे थीं कुछ पैंड। सामनेसे एक मजदूर भारी भार लिये आ रहा था । महिलाको अपने उच्च कुल, धन और पदका गर्व था और इस समय तो वे बादशाहके साथ थीं। एक मजदूरके लिये वे कैसे मार्ग छोड़ देतीं। बीच मार्गसे वे ऐसे चली जारही थीं जैसे मजदूरको उन्होंने देखा ही न हो। सम्राट् नेपोलियन मार्गके एक ओर हट गये और हाथ पकड़कर उन्होंने महिलाको खींचा- 'मैडम! भारको सम्मान दो ! '

जिनके सिरपर भार है चाहे वह भारी गट्ठर हो या हलका । वे सम्माननीय हैं, यह बात नेपोलियनने एक वाक्यमें समझा दी। - सु0 सिं0



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bhaarako sammaan do

nepoliyan mahaan samraat honeke anantar ek mahilaake saath perisamen ghoomane nikale the. ve ek patale raastese ja rahe the. mahila aage theen kuchh painda. saamanese ek majadoor bhaaree bhaar liye a raha tha . mahilaako apane uchch kul, dhan aur padaka garv tha aur is samay to ve baadashaahake saath theen. ek majadoorake liye ve kaise maarg chhoda़ deteen. beech maargase ve aise chalee jaarahee theen jaise majadoorako unhonne dekha hee n ho. samraat nepoliyan maargake ek or hat gaye aur haath pakada़kar unhonne mahilaako kheenchaa- 'maidama! bhaarako sammaan do ! '

jinake sirapar bhaar hai chaahe vah bhaaree gatthar ho ya halaka . ve sammaananeey hain, yah baat nepoliyanane ek vaakyamen samajha dee. - su0 sin0

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