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महापुरुषोंके प्रति किये गये अपराधका दुष्परिणाम  [Short Story]
Spiritual Story - हिन्दी कथा (प्रेरक कथा)

महापुरुषोंके प्रति किये गये अपराधका दुष्परिणाम

आंगिरस गोत्रमें उत्पन्न एक सद्गुणसम्पन्न सदाचारी विद्वान् ब्राह्मण थे। उन्होंके यहाँ जड़भरतका जन्म हुआ था। ये 'भरत' नामसे प्रसिद्ध थे; लोकमें जड़वत् विचरा करते थे, इसलिये लोग इनको 'जड़भरत' कहते थे। कुछ बड़े होनेपर उनके पिताने उनका शास्त्रानुसार उपनयन संस्कार भी करा दिया। उन्होंने इनको विद्या पढ़ानेकी बहुत चेष्टा की, किंतु ये जान-बूझकर पढ़ना नहीं चाहते थे, इसलिये घरवाले इन्हें पढ़ा नहीं सके। वेद पढ़ाने की बात तो दूर रही, केवल एक गायत्री मन्त्र भी नहीं पढ़ा सके। थोड़े दिनों बाद उनके पिता परलोक सिधार गये, तब उनकी माता उनको अपनी सौतको सौंपकर अपने पतिके साथ सती हो गयी। उसके बाद इनकी विमाताके पुत्रोंने इनको पढ़ानेका आग्रह छोड़ दिया और इनकी उपेक्षा-सी कर दी।
तदनन्तर जड़भरत उन्मत्तकी भाँति रहने लगे। उन्हें मानापमानका कुछ भी विचार नहीं था। लोग उन्हें पागल, मूर्ख और बधिर कहते तो वे उसे स्वीकार कर लेते थे। कोई भी उनसे काम कराना चाहता तो उनके इच्छानुसार कर दिया करते और उसके बदलेमें जो कुछ भी अच्छा-बुरा भोजन मिल जाता, वही खा लिया करते। उन्हें अन्य किसी कारणसे उत्पन्न न होनेवाले स्वतः सिद्ध केवल विज्ञानानन्दस्वरूप आत्मज्ञानकी प्राप्ति हो गयी थी, इसलिये मानापमान, शीतोष्ण आदि द्वन्द्वोंसे होनेवाले सुख-दुःख आदिमें उन्हें देहाभिमानकी स्फूर्ति
नहीं होती थी। वे सरदी, गरमी, वर्षा और आँधीके समय दिगम्बर पड़े रहते। उनके सम्पूर्ण अंग स्थूल और पुष्ट थे। उनका ब्रह्मतेज पृथ्वीपर लोटने, उबटन न मलने और स्नान न करनेके कारण शरीरपर धूलि जम जानेसे धूलिसे ढकी हुई महामूल्य मणिके समान छिपा हुआ था। वे अपनी कमरमें मैला-कुचैला कपड़ा बाँधे रहते थे, उनका यज्ञोपवीत भी बहुत मैला हो गया था। इसलिये अज्ञानीलोग इन्हें 'यह कोई द्विज है', 'यह अधम ब्राह्मण है' इस प्रकार कहकर तिरस्कार किया करते थे, किंतु वे इसकी कोई परवा न करके स्वच्छन्द विचरा करते थे।
इस तरह दूसरोंकी मजदूरी करके पेट पालते देख इनके भाइयोंने इनको खेतको क्यारियाँ ठीक करनेमें लगा दिया तो वे उस कार्यको भी करने लगे। परंतु उन्हें इस बातका कुछ भी ध्यान नहीं था कि उन क्यारियोंकी भूमि समतल है या ऊँची-नीची, अथवा वह छोटी है या बड़ी। उनके भाई उन्हें चावलकी कनी, भूसी, घुने हुए उड़द अथवा बरतनोंमें लगी हुई अनाजकी खुरचन आदि जो कुछ भी दे देते, उसीको वे अमृतके समान समझकर खा लिया करते थे।
एक समय एक डाकुओकि सरदारने पुत्रकी कामनासे भद्रकालीको मनुष्यकी बलि देनेका निश्चय किया। दैववश उसके नौकरोंने आंगिरसगोत्रीय ब्रह्मकुमार जड़भरतको इसके लिये पकड़ लिया और रस्सियोंसे बाँधकर उन्हें देवीके मन्दिरपर ले आये। फिर रस्सी खोलकर उन्हें विधिपूर्वक स्नान करा वस्त्राभूषण पहनाये और नाना प्रकारके चन्दन, माला, तिलक आदि लगाकर विभूषित किया। इसके बाद भोजन कराकर धूप, दीप, माला, खोल, पत्ते, अंकुर, फल और नैवेद्य आदि सामग्री के सहित बलिदानकी विधिसे पूजा करके गान, स्तुति और मृदंग-ढोल आदिका महान् शब्द करते हुए. उनको भद्रकालीके सामने नीचा सिर कराकर बैठा दिया। तदनन्तर दस्युराजके तामसी पुरोहितने नर पशुके रुधिरसे देवीको तृप्त करनेके लिये देवी–मन्त्रोंसे अभिमन्त्रित एक तेज तलवार उठायी। उन साक्षात् ब्रह्मभावको प्राप्त हुए, वैरहीन, समस्त प्राणियोंके सुहृद् ब्रह्मर्षिकुमार जड़भरतकी बलि होते देखकर देवी भद्रकालीके शरीर में जड़भरतके दुःसह ब्रह्मतेजसे दाह होने लगा, और वे एकाएक मूर्ति चीरकर प्रकट हो गयीं। उन्होंने क्रोधमें पुरोहितके हाथसे अभिमन्त्रित तलवारको छीन लिया और उसीसे उन सारे मनुष्यघातक पापियोंके सिर उड़ा दिये। सच है, महापुरुषोंके प्रति किया हुआ अत्याचाररूप अपराध, इसी प्रकार ज्यों का-त्यों अपने ही ऊपर पड़ता है। [ श्रीमद्भागवत ]



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mahaapurushonke prati kiye gaye aparaadhaka dushparinaama

mahaapurushonke prati kiye gaye aparaadhaka dushparinaama

aangiras gotramen utpann ek sadgunasampann sadaachaaree vidvaan braahman the. unhonke yahaan jada़bharataka janm hua thaa. ye 'bharata' naamase prasiddh the; lokamen jada़vat vichara karate the, isaliye log inako 'jada़bharata' kahate the. kuchh bada़e honepar unake pitaane unaka shaastraanusaar upanayan sanskaar bhee kara diyaa. unhonne inako vidya padha़aanekee bahut cheshta kee, kintu ye jaana-boojhakar padha़na naheen chaahate the, isaliye gharavaale inhen padha़a naheen sake. ved padha़aane kee baat to door rahee, keval ek gaayatree mantr bhee naheen padha़a sake. thoda़e dinon baad unake pita paralok sidhaar gaye, tab unakee maata unako apanee sautako saunpakar apane patike saath satee ho gayee. usake baad inakee vimaataake putronne inako padha़aaneka aagrah chhoda़ diya aur inakee upekshaa-see kar dee.
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