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माताकी सेवा  [Spiritual Story]
हिन्दी कथा - बोध कथा (Hindi Story)

'प्रभो! मेरे दुःखी पुत्रपर सुख-शान्तिकी वर्षा करना। संत उसपर प्रसन्न रहें तथा उसका जीवन पवित्र तथा प्रभु प्रेममय रहे । '

संत बायजीद देहरीसे अपने लिये माताकी यह प्रार्थना सुन रहे थे। वर्षों बाहर रहकर उन्होंने कठोरतम साधना की थी और उससे लाभान्वित होकर माताके दर्शन करनेका निश्चय किया था। कितने दिनों बाद वे अपने घरके द्वारपर पहुँच सके थे।

'माँ ! तेरा दुःखी पुत्र आ गया है।' बायजीदका हृदय मातृस्नेहसे भर आया था। विह्वल होकर उन्होंने आवाज दी।

पुत्रकी आवाज पहचानकर माताने तुरंत दरवाजा खोला और बायजीदको हृदयसे लगा लिया। वृद्धाकी आँखोंसे अश्रुसरिता प्रवाहित हो रही थी। मस्तकपर हाथ फेरते हुए माँने कहा- 'बेटा! बहुत दिनों बाद तूने मेरी सुधि ली। तेरी यादमें रोते-रोते मैं मौतके दरवाजेपर आ गयी हूँ।''माँ!' रोते हुए तपस्वी संतने कहा- 'मैं बहुत मूर्ख हूँ। जिस कार्यको गौण समझकर मैं यहाँसे चला गया था, उसका महत्त्व अब समझमें आया है। कठोर तप करके मैंने जो लाभ उठाया है, यदि तुम्हारी सेवा करता रहता तो वह लाभ अबतक कभीका सरलतासे मिल गया होता। अब मैं तुम्हारी सेवाके अतिरिक्त और कुछ नहीं करूँगा।'

बायजीद माताकी सेवाका निरन्तर ध्यान रखते। एक रात माताने पानी माँगा। बायजीदने देखा, घरके किसी बर्तनमें पानी नहीं था, वे नदीसे पानी लेने गये। पानी लेकर लौटे तो देखा माँको नींद आ गयी है। वे चुपचाप बर्तन लिये खड़े रहे। सर्दीसे अंगुलियाँ ठिठुर रही थीं, पर वे बर्तन इसलिये नहीं रख रहे थे कि इसके रखनेकी आवाजसे माँकी नींद खुल जायगी। जलभरा बर्तन लिये वे खड़े रहे। माँकी नींद खुली, तब उन्हें पानी पिलाकर आशीष प्राप्त किया।

- शि0 दु0



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maataakee sevaa

'prabho! mere duhkhee putrapar sukha-shaantikee varsha karanaa. sant usapar prasann rahen tatha usaka jeevan pavitr tatha prabhu premamay rahe . '

sant baayajeed dehareese apane liye maataakee yah praarthana sun rahe the. varshon baahar rahakar unhonne kathoratam saadhana kee thee aur usase laabhaanvit hokar maataake darshan karaneka nishchay kiya thaa. kitane dinon baad ve apane gharake dvaarapar pahunch sake the.

'maan ! tera duhkhee putr a gaya hai.' baayajeedaka hriday maatrisnehase bhar aaya thaa. vihval hokar unhonne aavaaj dee.

putrakee aavaaj pahachaanakar maataane turant daravaaja khola aur baayajeedako hridayase laga liyaa. vriddhaakee aankhonse ashrusarita pravaahit ho rahee thee. mastakapar haath pherate hue maanne kahaa- 'betaa! bahut dinon baad toone meree sudhi lee. teree yaadamen rote-rote main mautake daravaajepar a gayee hoon.''maan!' rote hue tapasvee santane kahaa- 'main bahut moorkh hoon. jis kaaryako gaun samajhakar main yahaanse chala gaya tha, usaka mahattv ab samajhamen aaya hai. kathor tap karake mainne jo laabh uthaaya hai, yadi tumhaaree seva karata rahata to vah laabh abatak kabheeka saralataase mil gaya hotaa. ab main tumhaaree sevaake atirikt aur kuchh naheen karoongaa.'

baayajeed maataakee sevaaka nirantar dhyaan rakhate. ek raat maataane paanee maangaa. baayajeedane dekha, gharake kisee bartanamen paanee naheen tha, ve nadeese paanee lene gaye. paanee lekar laute to dekha maanko neend a gayee hai. ve chupachaap bartan liye khada़e rahe. sardeese anguliyaan thithur rahee theen, par ve bartan isaliye naheen rakh rahe the ki isake rakhanekee aavaajase maankee neend khul jaayagee. jalabhara bartan liye ve khada़e rahe. maankee neend khulee, tab unhen paanee pilaakar aasheesh praapt kiyaa.

- shi0 du0

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