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मैं किसीका कल्याण करूँ और उसे जान भी न पाऊँ  [छोटी सी कहानी]
Shikshaprad Kahani - Moral Story (Hindi Story)

एक साधु थे। उनका जीवन इतना पवित्र तथा सदाचारपूर्ण था कि दिव्य आत्माएँ तथा देवदूत उनके दर्शनके लिये प्रायः आते रहते थे। साधु मुँहसे तो अधिक मोहक शब्दोंका प्रयोग नहीं करते थे, किंतु उनके कर्तव्य और उनकी सारी चेष्टाएँ पर कल्याणके लिये ही होती थीं।

एक दिन एक देवदूतने उनके सम्बन्धमें भगवान्ये प्रार्थना की, 'प्रभो। इसे कोई चमत्कारपूर्ण सिद्धि दी. जाय।'

भगवान्ने कहा, 'ठीक तो है, तुम जैसा कहते हो वैसा ही होगा पूछी, इसे मैं कौन-सी चमत्कारकी शक्ति प्रदान करूँ ?'

देवदूतने साधुसे कहा- क्या तुम्हें रोगियोंको रोगमुक्त करनेकी शक्ति दे दी जाय ?' साधुने इसे अस्वीकार कर दिया और इसी प्रकारवे देवदूतके सभी अन्य प्रस्तावोंको भी अस्वीकार करते गये।

'पर हमलोगोंकी यह बलवती इच्छा है कि तुम्हें कोई परमाश्चर्यपूर्ण चमत्कारमयी सिद्धि दी ही जाय। ' देवदूत कहा। 'तब ऐसा करो कि मैं जिसके बगलसे गुजरूँ, इसका, उसको बिना पता लगे ही उसका परम श्रेय कल्याण हो जाय, साथ ही मैं भी इसे न जान पाऊँ कि मुझसे किसका क्या कल्याण हुआ।'

देवदूतने उसकी छायामें ही यह अद्भुत शक्ति दिला दी। वह जिस दुखी या रोगग्रस्त चर, अचर प्राणियोंपर पड़ जाती, उसके सारे त्रयताप नष्ट हो जाते और वह परम सुखी हो जाता। पर न तो कोई उसे धन्यवाद दे पाता और न समझ ही पाता कि उसका यह कल्याण कैसे हो गया, यह श्रेय उसे कैसे मिला? - जा0 श0



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main kiseeka kalyaan karoon aur use jaan bhee n paaoon

ek saadhu the. unaka jeevan itana pavitr tatha sadaachaarapoorn tha ki divy aatmaaen tatha devadoot unake darshanake liye praayah aate rahate the. saadhu munhase to adhik mohak shabdonka prayog naheen karate the, kintu unake kartavy aur unakee saaree cheshtaaen par kalyaanake liye hee hotee theen.

ek din ek devadootane unake sambandhamen bhagavaanye praarthana kee, 'prabho. ise koee chamatkaarapoorn siddhi dee. jaaya.'

bhagavaanne kaha, 'theek to hai, tum jaisa kahate ho vaisa hee hoga poochhee, ise main kauna-see chamatkaarakee shakti pradaan karoon ?'

devadootane saadhuse kahaa- kya tumhen rogiyonko rogamukt karanekee shakti de dee jaay ?' saadhune ise asveekaar kar diya aur isee prakaarave devadootake sabhee any prastaavonko bhee asveekaar karate gaye.

'par hamalogonkee yah balavatee ichchha hai ki tumhen koee paramaashcharyapoorn chamatkaaramayee siddhi dee hee jaaya. ' devadoot kahaa. 'tab aisa karo ki main jisake bagalase gujaroon, isaka, usako bina pata lage hee usaka param shrey kalyaan ho jaay, saath hee main bhee ise n jaan paaoon ki mujhase kisaka kya kalyaan huaa.'

devadootane usakee chhaayaamen hee yah adbhut shakti dila dee. vah jis dukhee ya rogagrast char, achar praaniyonpar pada़ jaatee, usake saare trayataap nasht ho jaate aur vah param sukhee ho jaataa. par n to koee use dhanyavaad de paata aur n samajh hee paata ki usaka yah kalyaan kaise ho gaya, yah shrey use kaise milaa? - jaa0 sha0

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