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रास्ता यह है  [आध्यात्मिक कथा]
Moral Story - Short Story (हिन्दी कहानी)

रास्ता यह है

एक आदमी बहुत परेशान था। बीमारियोंने उसके शरीरको घेर रखा था, पर वह उनका इलाज कैसे कराता; क्योंकि उसके पास पैसे ही न थे। उसकी गरीबी यहाँतक पहुँच गयी थी कि कई दिनसे उसने खाना भी नहीं खाया था।
एक दिन हिम्मत करके वह उठा और जैसे-तैसे एक बड़ी हवेलीके सामने पहुँचा। यह हवेली एक ऐसे आदमीकी थी, जिसका रोजगार बड़ा था और जिसके पास सब कुछ था। उस परेशान आदमीने जोर-जोरसे पुकार मचायी और अपनी बीमारी तथा भूखका बखान किया।
उसकी पुकार सुनकर हवेलीका मालिक बाहर आया और गुस्सेसे बोला-'भीख माँगते तुझे शर्म नहीं आती? तेरे हाथ-पैर हैं, कमाकर खा।'
परेशान आदमीने कहा-'आपकी बात ठीक है, कमाकर खानेमें ही आदमीकी शोभा है, पर लम्बी बीमारियोंने मुझे मजबूर कर दिया है। नहीं तो, मैंने सारी उम्र अपने पसीनेकी ही कमाई खायी है।'
हवेलीके मालिकको दयाके बदले गुस्सा आया और उसने उसे बहुत बुरा-भला कहा। उस आदमी में कहीं और जाकर सहायता माँगनेकी भी ताकत नहीं थी, इसलिये वह गिड़गिड़ाकर सहायता माँगता रहा। इसपर हवेलीके मालिकको बहुत गुस्सा आया और उसने अपने नौकरको हुक्म दिया कि वह इस गन्दे आदमीको धक्का देकर हवेलीके सामनेसे हटा दे। नौकरने ऐसा ही किया।
इसके कई बरस बादकी बात है। एक बड़ी हवेलीके सामने एक आदमीने रातके समय पुकार लगायी -'मैं भूखा और परेशान हूँ। साहब, मेरी मदद करो।' हवेलीके मालिकने अपने नौकरको बुलाकर कहा- 'देखो, कोई भूखा और परेशान आदमी मालूम होता है। उसे ढंगसे बैठाकर खाना खिला दो और उसकी कोई और जरूरत हो तो वह पूरी कर दो।'
नौकरने उसे बरामदे में बैठाया, तब उसकी जरूरत पूछी। उसने कहा-'मैं दो दिनसे भूखा हूँ। इस समय खाना ही मेरी सबसे बड़ी जरूरत है।'
नौकरने उसे भरपेट खाना खिलाया और खाना खिलाकर जब वह हवेलीमें गया, तो मालिकने देखा कि नौकरकी आँखों में आँसू आ रहे हैं। मालिकने पूछा 'क्या बात है, तू रो क्यों रहा है?" तू
नौकरने कहा-'जिसे आपने खाना खिलाया है, कुछ साल पहले यह बड़ी हवेलीवाला था और अपने शहरके बड़े आदमियोंमें गिना जाता था। उन दिनों मैं इसके पास नौकर था। आज इसे दर दरका भिखारी देखकर मेरी आँखोंमें आँसू भर आये और कोई बात नहीं है।'
मालिकने कहा-' तूने उसे पहचान लिया, पर मुझे नहीं पहचाना देख, मेरी तरफ देख मैं वही भूखा और बीमार आदमी हूँ, जो उस दिन इसके दरवाजेपर मदद माँगने गया था, पर इसके हुक्मसे तूने मुझे धक्का देकर निकाल दिया था।'
कहानी पूरी हो गयी और हम सबसे कह गयी कि 'जिन्दगीका न तो सही रास्ता यह है कि हम जब सफल हों, तो घमण्डसे फूल उठें और न सही रास्ता यह है कि जब हम असफल हों, तो घबरा जायें, हिम्मत हार बैठें। सही रास्ता यह है कि थकानकी घड़ियोंमें हिम्मतसे काम लें और उठानकी घड़ियोंमें उनकी मदद करें, जो उन दिनों थकानमें हो।' [ श्रीकन्हैयालालजी मिश्र 'प्रभाकर']



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raasta yah hai

raasta yah hai

ek aadamee bahut pareshaan thaa. beemaariyonne usake shareerako gher rakha tha, par vah unaka ilaaj kaise karaataa; kyonki usake paas paise hee n the. usakee gareebee yahaantak pahunch gayee thee ki kaee dinase usane khaana bhee naheen khaaya thaa.
ek din himmat karake vah utha aur jaise-taise ek bada़ee haveleeke saamane pahunchaa. yah havelee ek aise aadameekee thee, jisaka rojagaar bada़a tha aur jisake paas sab kuchh thaa. us pareshaan aadameene jora-jorase pukaar machaayee aur apanee beemaaree tatha bhookhaka bakhaan kiyaa.
usakee pukaar sunakar haveleeka maalik baahar aaya aur gussese bolaa-'bheekh maangate tujhe sharm naheen aatee? tere haatha-pair hain, kamaakar khaa.'
pareshaan aadameene kahaa-'aapakee baat theek hai, kamaakar khaanemen hee aadameekee shobha hai, par lambee beemaariyonne mujhe majaboor kar diya hai. naheen to, mainne saaree umr apane paseenekee hee kamaaee khaayee hai.'
haveleeke maalikako dayaake badale gussa aaya aur usane use bahut buraa-bhala kahaa. us aadamee men kaheen aur jaakar sahaayata maanganekee bhee taakat naheen thee, isaliye vah gida़gida़aakar sahaayata maangata rahaa. isapar haveleeke maalikako bahut gussa aaya aur usane apane naukarako hukm diya ki vah is gande aadameeko dhakka dekar haveleeke saamanese hata de. naukarane aisa hee kiyaa.
isake kaee baras baadakee baat hai. ek bada़ee haveleeke saamane ek aadameene raatake samay pukaar lagaayee -'main bhookha aur pareshaan hoon. saahab, meree madad karo.' haveleeke maalikane apane naukarako bulaakar kahaa- 'dekho, koee bhookha aur pareshaan aadamee maaloom hota hai. use dhangase baithaakar khaana khila do aur usakee koee aur jaroorat ho to vah pooree kar do.'
naukarane use baraamade men baithaaya, tab usakee jaroorat poochhee. usane kahaa-'main do dinase bhookha hoon. is samay khaana hee meree sabase bada़ee jaroorat hai.'
naukarane use bharapet khaana khilaaya aur khaana khilaakar jab vah haveleemen gaya, to maalikane dekha ki naukarakee aankhon men aansoo a rahe hain. maalikane poochha 'kya baat hai, too ro kyon raha hai?" too
naukarane kahaa-'jise aapane khaana khilaaya hai, kuchh saal pahale yah bada़ee haveleevaala tha aur apane shaharake bada़e aadamiyonmen gina jaata thaa. un dinon main isake paas naukar thaa. aaj ise dar daraka bhikhaaree dekhakar meree aankhonmen aansoo bhar aaye aur koee baat naheen hai.'
maalikane kahaa-' toone use pahachaan liya, par mujhe naheen pahachaana dekh, meree taraph dekh main vahee bhookha aur beemaar aadamee hoon, jo us din isake daravaajepar madad maangane gaya tha, par isake hukmase toone mujhe dhakka dekar nikaal diya thaa.'
kahaanee pooree ho gayee aur ham sabase kah gayee ki 'jindageeka n to sahee raasta yah hai ki ham jab saphal hon, to ghamandase phool uthen aur n sahee raasta yah hai ki jab ham asaphal hon, to ghabara jaayen, himmat haar baithen. sahee raasta yah hai ki thakaanakee ghada़iyonmen himmatase kaam len aur uthaanakee ghada़iyonmen unakee madad karen, jo un dinon thakaanamen ho.' [ shreekanhaiyaalaalajee mishr 'prabhaakara']

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