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लाल पत्थर  [Shikshaprad Kahani]
Spiritual Story - छोटी सी कहानी (प्रेरक कथा)

(2)

लाल पत्थर

एक किसानको अपने खेतमें रंगीन पत्थरोंका एक र मिल गया। वे गोल-गोल पत्थर थे, सो उसने बटोर लिये और खेतमें फसलको रक्षा करने हेतु गुलेलमें रखकर चिड़ियोंको भगाने में उपयोग करने लगा। वे पत्थर मामूली नहीं थे, लाल थे, मगर किसान उन्हें पहचान नहीं पाया,

सो उन्हें मामूली पत्थर समझकर ही उनका दुरुपयोग करता रहा। सामने नदी थी, सो सब पत्थर नदीमें गिर जाते थे। घर आया तो बाकी बचे पत्थर नदीमें फेंक दिये। वहीं उसका एक लड़का खेल रहा था और खेलते-खेलते उनमेंसे एक पत्थर घर उठा लाया। एक दिन घरमें नमक नहीं था, तो उस लड़केकी माँने सोचा शायद यह रंगीन पत्थर कोई साहूकार घरमें सजावटके लिये लेकर थोड़ा नमक ही दे दे, सो वह एक बनियाकी दूकानपर गयी और कहा कि 'इस पत्थरके बराबर नमक दे दो, तुम्हारा लड़का खेलता रहेगा इस पत्थरसे।' वहीं एक जौहरी खड़ा था - उसने लाल पहचान लिया। उसने किसानकी पत्नीसे कहा कि यह पत्थर उसे बेच दे, वह इसके एक हजार रुपये दे देगा। किसानको पत्नीने इसे भगवान्की कृपा समझा और एक हजार रुपये लेकर वह पत्थर जौहरीको दे दिया। उसकी कीमत तो लाखोंकी थी। किसानकी पत्नी जब एक हजार रुपये लेकर घर आयी और सारा हाल कहा, तो किसान पश्चात्ताप करने लगा और कहने लगा कि ऐसे तो सैकड़ों पत्थर नदीमें फेंक आया- यह तो बड़ा भारी नुकसान हो गया।
भावार्थ सो हे चित्त, यदि इस मनुष्ययोनिमें संसारके विषयोंमें रमे रहे, तो अन्त समय पछतावा ही हाथ रहेगा। इस शरीररूपी हाँडीमें श्वासरूप लाल भरे पड़े हैं, उनको तुमने पत्थर जानकर विषयरूपी पक्षियोंको उड़ानेमें अर्थात् विषय-भोगोंमें जो फेंक दिया है, वे तो अब फिर लौटकर नहीं आ सकते, परंतु हे चित्त ! अब जो कुछ श्वास शेष बचे हैं, उनको व्यर्थ मत फेंको और बाकी समयमें कुछ नेक काम कर लो
अरे भज हरेर्नाम क्षेमधाम क्षणे क्षणे ।
बहिस्सरति निःश्वासो विश्वासो न निवर्तने ॥
भगवान्ने ये अमूल्य साँसें तुझे प्रभुस्मरणके लिये दी हैं, इनका दुरुपयोग मत कर, अन्यथा ईश्वरके यहाँ दण्डका भागीदार बनेगा।



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laal patthara

(2)

laal patthara

ek kisaanako apane khetamen rangeen pattharonka ek r mil gayaa. ve gola-gol patthar the, so usane bator liye aur khetamen phasalako raksha karane hetu gulelamen rakhakar chida़iyonko bhagaane men upayog karane lagaa. ve patthar maamoolee naheen the, laal the, magar kisaan unhen pahachaan naheen paaya,

so unhen maamoolee patthar samajhakar hee unaka durupayog karata rahaa. saamane nadee thee, so sab patthar nadeemen gir jaate the. ghar aaya to baakee bache patthar nadeemen phenk diye. vaheen usaka ek lada़ka khel raha tha aur khelate-khelate unamense ek patthar ghar utha laayaa. ek din gharamen namak naheen tha, to us lada़kekee maanne socha shaayad yah rangeen patthar koee saahookaar gharamen sajaavatake liye lekar thoda़a namak hee de de, so vah ek baniyaakee dookaanapar gayee aur kaha ki 'is pattharake baraabar namak de do, tumhaara laड़ka khelata rahega is pattharase.' vaheen ek jauharee khada़a tha - usane laal pahachaan liyaa. usane kisaanakee patneese kaha ki yah patthar use bech de, vah isake ek hajaar rupaye de degaa. kisaanako patneene ise bhagavaankee kripa samajha aur ek hajaar rupaye lekar vah patthar jauhareeko de diyaa. usakee keemat to laakhonkee thee. kisaanakee patnee jab ek hajaar rupaye lekar ghar aayee aur saara haal kaha, to kisaan pashchaattaap karane laga aur kahane laga ki aise to saikada़on patthar nadeemen phenk aayaa- yah to bada़a bhaaree nukasaan ho gayaa.
bhaavaarth so he chitt, yadi is manushyayonimen sansaarake vishayonmen rame rahe, to ant samay pachhataava hee haath rahegaa. is shareeraroopee haandeemen shvaasaroop laal bhare pada़e hain, unako tumane patthar jaanakar vishayaroopee pakshiyonko uda़aanemen arthaat vishaya-bhogonmen jo phenk diya hai, ve to ab phir lautakar naheen a sakate, parantu he chitt ! ab jo kuchh shvaas shesh bache hain, unako vyarth mat phenko aur baakee samayamen kuchh nek kaam kar lo
are bhaj harernaam kshemadhaam kshane kshane .
bahissarati nihshvaaso vishvaaso n nivartane ..
bhagavaanne ye amooly saansen tujhe prabhusmaranake liye dee hain, inaka durupayog mat kar, anyatha eeshvarake yahaan dandaka bhaageedaar banegaa.

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