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संकल्पकी शक्ति  [Wisdom Story]
आध्यात्मिक कहानी - शिक्षदायक कहानी (हिन्दी कहानी)

संकल्पकी शक्ति

शराब पीकर एक व्यक्ति गन्दे नालेके पास गिरा हुआ था। आस-पासके लोग उसे घृणाकी दृष्टिसे देख रहे थे। सभीके मनमें उसके प्रति गलत भाव भरे हुए थे। वह व्यक्ति एक सम्पन्न घरानेका युवक था। नशेकी लतके कारण घर-द्वार बेचनेके बाद अब वह दर-दर भटक रहा था। उस स्थितिमें भी शराबके प्रति उसकी आसक्ति कम नहीं हुई थी। मेहनत मजदूरी करके वह जो भी लाता, वह सारी कमाई शराबकी भेंट चढ़ जाती थी। लोग गालियाँ देते थे। मारते थे। लेकिन वह सुधरनेका नाम ही नहीं ले रहा था। दिनों-दिन उसकी स्थिति बिगड़ती ही जा रही थी। आज उसे कोई गन्दे नालेके पाससे उठानेवाला भी नहीं मिल रहा था। लोग उसके आस-पाससे गुजर रहे थे, लेकिन देखकर भी कोई उसे उठाने नहीं जाता था।
कुछ देर बाद उस रास्तेसे एक सन्त गुजरे। सन्तको उस व्यक्तिपर दया आयी। अपने शिष्योंकी मददसे उन्होंने उसे उठाया। उसके मुँहपर पानीके छींटे मारे। शराबीने आँखें खोलीं, ईश्वरकी कृपासे मनके भाव बदले। उसने सन्तको प्रणाम किया और कहा- ' 'मुझे अपने साथ ले चलें।' सन्तने कहा-'चलो' और वह व्यक्ति सन्तके पीछे चल पड़ा।
सन्त वहाँसे उसे अपने आश्रम ले आये । वहाँपर और लोगोंके साथ उन्होंने शराबीके रहनेकी भी व्यवस्था कर दी। कुछ दिन बाद उस व्यक्तिको फिर शराबकी लतने परेशान किया। वह सन्तका आश्रम छोड़कर जाने लगा। अचानक उसके मनमें आया कि वह जानेके पहले सन्तको बता दे कि वह जा रहा है। जब सन्तने उससे पूछा कि वह क्यों जा रहा उसने कहा कि वह बिना शराब पीये नहीं रह सकता। सन्तने उससे कहा कि 'वह शराब छोड़कर नये सिरेसे जीवनकी शुरुआत करे।' उसपर उस व्यक्तिने कहा कि 'शराब उसे छोड़ती ही नहीं, वह उसे कैसे छोड़े?' सन्तने तत्काल एक खम्भेको पकड़ लिया। इसके बाद सन्तने कहा-'अरे, यह खम्भा तो मुझे छोड़ ही नहीं रहा है।' उसपर शराबी व्यक्ति हँसने लगा, उसने कहा-'महाराज! खम्भेको आपने पकड़ रखा है। वह आपको कैसे छोड़ेगा ?' इतना सुनना था कि सन्तने खम्भेको छोड़ दिया और कहा- 'यही हाल तुम्हारा है, शराबको तुमने पकड़ रखा है, और कहते हो कि वह तुम्हें छोड़ ही नहीं रही है ?'
सन्तके मुँहसे यह बात सुनकर उस
व्यक्तिकी आँखें खुल गयीं । सन्तने उसे समझाया कि गलत आदत छोड़नेके लिये संकल्पकी जरूरत होती है। वह इस भ्रममें न रहे कि शरावने उसको पकड़ रखा है। सत्य यह है कि उसने शराबको पकड़ रखा है। वह चाहे तो एक झटके में शराबको उसी तरह छोड़ सकता है, जैसे र मैंने खम्भेको छोड़ा। सन्तकी बातसे उस व्यक्तिको एक नयी दृष्टि मिली और शराब न पीनेका संकल्प लेकर उसने सन्तसे विदा ली।
संकल्पशक्तिसे असम्भव भी सम्भव हो सकता है।



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sankalpakee shakti

sankalpakee shakti

sharaab peekar ek vyakti gande naaleke paas gira hua thaa. aasa-paasake log use ghrinaakee drishtise dekh rahe the. sabheeke manamen usake prati galat bhaav bhare hue the. vah vyakti ek sampann gharaaneka yuvak thaa. nashekee latake kaaran ghara-dvaar bechaneke baad ab vah dara-dar bhatak raha thaa. us sthitimen bhee sharaabake prati usakee aasakti kam naheen huee thee. mehanat majadooree karake vah jo bhee laata, vah saaree kamaaee sharaabakee bhent chadha़ jaatee thee. log gaaliyaan dete the. maarate the. lekin vah sudharaneka naam hee naheen le raha thaa. dinon-din usakee sthiti bigada़tee hee ja rahee thee. aaj use koee gande naaleke paasase uthaanevaala bhee naheen mil raha thaa. log usake aasa-paasase gujar rahe the, lekin dekhakar bhee koee use uthaane naheen jaata thaa.
kuchh der baad us raastese ek sant gujare. santako us vyaktipar daya aayee. apane shishyonkee madadase unhonne use uthaayaa. usake munhapar paaneeke chheente maare. sharaabeene aankhen kholeen, eeshvarakee kripaase manake bhaav badale. usane santako pranaam kiya aur kahaa- ' 'mujhe apane saath le chalen.' santane kahaa-'chalo' aur vah vyakti santake peechhe chal pada़aa.
sant vahaanse use apane aashram le aaye . vahaanpar aur logonke saath unhonne sharaabeeke rahanekee bhee vyavastha kar dee. kuchh din baad us vyaktiko phir sharaabakee latane pareshaan kiyaa. vah santaka aashram chhoda़kar jaane lagaa. achaanak usake manamen aaya ki vah jaaneke pahale santako bata de ki vah ja raha hai. jab santane usase poochha ki vah kyon ja raha usane kaha ki vah bina sharaab peeye naheen rah sakataa. santane usase kaha ki 'vah sharaab chhoda़kar naye sirese jeevanakee shuruaat kare.' usapar us vyaktine kaha ki 'sharaab use chhoda़tee hee naheen, vah use kaise chhoda़e?' santane tatkaal ek khambheko pakada़ liyaa. isake baad santane kahaa-'are, yah khambha to mujhe chhoda़ hee naheen raha hai.' usapar sharaabee vyakti hansane laga, usane kahaa-'mahaaraaja! khambheko aapane pakada़ rakha hai. vah aapako kaise chhoड़ega ?' itana sunana tha ki santane khambheko chhoda़ diya aur kahaa- 'yahee haal tumhaara hai, sharaabako tumane pakada़ rakha hai, aur kahate ho ki vah tumhen chhoda़ hee naheen rahee hai ?'
santake munhase yah baat sunakar us
vyaktikee aankhen khul gayeen . santane use samajhaaya ki galat aadat chhoda़neke liye sankalpakee jaroorat hotee hai. vah is bhramamen n rahe ki sharaavane usako pakada़ rakha hai. saty yah hai ki usane sharaabako pakada़ rakha hai. vah chaahe to ek jhatake men sharaabako usee tarah chhoda़ sakata hai, jaise r mainne khambheko chhoda़aa. santakee baatase us vyaktiko ek nayee drishti milee aur sharaab n peeneka sankalp lekar usane santase vida lee.
sankalpashaktise asambhav bhee sambhav ho sakata hai.

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