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सच्ची श्रद्धा  [Spiritual Story]
Hindi Story - Wisdom Story (हिन्दी कहानी)

नगरका नाम और ठीक समय स्मरण नहीं है। वर्षा ऋतु बीती जा रही थी; किंतु वर्षा नहीं हुई थी। किसानों के खेत सूखे पड़े थे। चारेके अभावमें पशु मरणासन्न हो रहेथे। जब कोई मानव-प्रयत्न सफल नहीं होता, तब मनुष्य उस त्रिभुवनके स्वामीकी ओर देखता है। गाँवके सब लोग गिरजाघरमें एकत्र हुए वर्षाके लिये प्रार्थना करने।एक छोटा बालक भी आया था; किंतु वह आया था अपना छोटा-सा छत्ता लेकर। किसीने उससे पूछा 'तुझे क्या इतनी धूप लगती है कि छत्ता लाया है ?'

बालक बोला- 'वर्षा होगी तो घर भीगते जाना पड़ेगा, इससे मैं छत्ता लाया हूँ कि भीगना न पड़े।' प्रार्थना की जायगी और वर्षा नहीं होगी, यह संदेह ही उस शुद्धचित्त बालकके मनमें नहीं उठा। जहाँइतना सरल विश्वास है, वहाँ प्रार्थनाके पूर्ण होनेमें संदेह कहाँ। प्रार्थना पूर्ण होते-होते तो आकाश बादलोंसे ढक चुका था और झड़ी प्रारम्भ हो गयी थी। बालक अपना छत्ता लगाये प्रसन्नतापूर्वक घर गया। यह वर्षा इतनी भीड़के प्रार्थना करनेसे होती या नहीं, कौन कह सकता है; किंतु वह हुई, क्योंकि प्रार्थना करनेवालोंमें वह सच्चा श्रद्धालु बालक भी था ।



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sachchee shraddhaa

nagaraka naam aur theek samay smaran naheen hai. varsha ritu beetee ja rahee thee; kintu varsha naheen huee thee. kisaanon ke khet sookhe pada़e the. chaareke abhaavamen pashu maranaasann ho rahethe. jab koee maanava-prayatn saphal naheen hota, tab manushy us tribhuvanake svaameekee or dekhata hai. gaanvake sab log girajaagharamen ekatr hue varshaake liye praarthana karane.ek chhota baalak bhee aaya thaa; kintu vah aaya tha apana chhotaa-sa chhatta lekara. kiseene usase poochha 'tujhe kya itanee dhoop lagatee hai ki chhatta laaya hai ?'

baalak bolaa- 'varsha hogee to ghar bheegate jaana pada़ega, isase main chhatta laaya hoon ki bheegana n pada़e.' praarthana kee jaayagee aur varsha naheen hogee, yah sandeh hee us shuddhachitt baalakake manamen naheen uthaa. jahaanitana saral vishvaas hai, vahaan praarthanaake poorn honemen sandeh kahaan. praarthana poorn hote-hote to aakaash baadalonse dhak chuka tha aur jhada़ee praarambh ho gayee thee. baalak apana chhatta lagaaye prasannataapoorvak ghar gayaa. yah varsha itanee bheeda़ke praarthana karanese hotee ya naheen, kaun kah sakata hai; kintu vah huee, kyonki praarthana karanevaalonmen vah sachcha shraddhaalu baalak bhee tha .

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