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ध्यानयोगसे बढ़कर दूसरा कोई उत्तम सुखका साधन नहीं  [प्रेरक कथा]
Story To Read - हिन्दी कहानी (हिन्दी कहानी)

ध्यानयोगसे बढ़कर दूसरा कोई उत्तम सुखका साधन नहीं

पहलेकी बात है, अलर्क नामसे प्रसिद्ध एक राजर्षि थे, जो बड़े ही तपस्वी, धर्मज्ञ, सत्यवादी, महात्मा और दृढ़प्रतिज्ञ थे। उन्होंने अपने धनुषकी सहायतासे समुद्रपर्यन्त पृथ्वीको जीतकर अत्यन्त दुष्कर पराक्रम कर दिखाया था। इसके पश्चात्, उनका मन सूक्ष्म तत्त्वकी खोजमें लगा। अब वे बड़े-बड़े कर्मोंका आरम्भ त्यागकर एक वृक्षके नीचे जा बैठे और सूक्ष्म तत्त्वकी खोजके लिये इस प्रकार चिन्ता करने लगे।
अलर्क कहने लगे-मुझे मनसे ही बल प्राप्त हुआ है, अतः वही सबसे प्रबल है। मनको जीत लेनेपर ही मुझे स्थायी विजय प्राप्त हो सकती है। मैं इन्द्रियरूपी शत्रुओंसे घिरा हुआ हूँ, इसलिये बाहरके शत्रुओंपर हमला न करके इन भीतरी शत्रुओंको ही अपने बाणोंका निशाना बनाऊँगा। यह मन चंचलताके कारण सभी मनुष्योंसे तरह-तरहके कर्म कराता रहता है, अतः अब मैं मनपर ही तीखे बाणोंका प्रहार करूँगा।
मन बोला- अलर्क! तुम्हारे ये बाण मुझे किसी तरह नहीं बींध सकते। यदि इन्हें चलाओगे तो ये तुम्हारे ही मर्मस्थानोंको चीर डालेंगे और उस अवस्थामें तुम्हारी ही मृत्यु होगी; अतः और किसी बाणका विचार करो, जिससे तुम मुझे मार सकोगे।
यह सुनकर अलर्कने थोड़ी देरतक विचार किया, इसके बाद वे नासिकाको लक्ष्य करके बोले-'मेरी यह नासिका अनेकों प्रकारकी सुगन्धियोंका अनुभव करके भी फिर उन्हींकी इच्छा करती है. इसलिये इसीको तीखे बाणोंसे मार डालूँगा।'
नासिका बोली- अलर्क! ये बाण मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते। इनसे तो तुम्हारे ही मर्म विदीर्ण होंगे और तुम्हीं मरोगे, अतः मुझे मारनेके लिये और तरहके बाणोंकी तजबीज करो।
अब अलर्क कुछ देर विचार करनेके पश्चात् जिह्वाको लक्ष्य करके कहने लगे- 'यह जीभ स्वादिष्ट रसोंका उपभोग करके फिर उन्हें ही पाना चाहती है। इसलिये अब इसीके ऊपर अपने तीखे सायकोंका प्रहार करूँगा।'
जिह्वा बोली- अलर्क ! ये बाण मुझे नहीं छेद सकते; ये तो तुम्हारे ही मर्मस्थानोंको बींधकर तुम्हें ही मौतके घाट उतारेंगे; अतः दूसरे प्रकारके बाणोंका प्रबन्ध सोचो, जिनकी सहायतासे तुम मुझे भी मार सकोगे।
यह सुनकर अलर्क कुछ देरतक सोचते-विचारते रहे, फिर त्वचापर कुपित होकर बोले-'यह त्वचा नाना प्रकारके स्पर्शोका अनुभव करके फिर उन्हींकी अभिलाषा किया करती है, अतः नाना प्रकारके बाणोंसे मारकर इसे विदीर्ण कर डालूँगा।'
त्वचा बोली- अलर्क! ये बाण मुझे अपना निशाना नहीं बना सकते। ये तो तुम्हारा ही मर्म विदीर्ण करेंगे और मर्म विदीर्ण होनेपर तुम्हीं मौतके मुखमें पड़ोगे। मुझे मारनेके लिये तो दूसरी तरहके बाणोंकी व्यवस्था सोचो।
त्वचाकी बात सुनकर अलर्कने थोड़ी देरतक विचार किया, फिर नेत्रको सुनाते हुए कहा-'यह आँख भी अनेकों बार सुन्दर-सुन्दर रूपोंका दर्शन करके पुनः उन्हींको देखना चाहती है, अतः इसे अपने तीखे तीरोंका निशाना बनाऊँगा।'
आँख बोली- अलर्क! ये बाण मुझे नहीं छेद सकते, ये तो तुम्हारे ही मर्मस्थानोंकी बींध डालेंगे और मर्म विदीर्ण हो जानेपर तुम्हें ही जीवनसे हाथ धोना पड़ेगा; अतः दूसरे प्रकारके सायकोंका प्रबन्ध सोचो, जिनकी सहायतासे तुम मुझे भी मार सकोगे।
तब अलर्कने पुनः सोचकर कहा - 'यह बुद्धि अपनी प्रज्ञा-शक्तिसे अनेकों प्रकारका निश्चय करती है, अतः इसीके ऊपर अपने तीक्ष्ण सायकोंका प्रहार करूँगा।'
बुद्धिने कहा- अलर्क! ये बाण मेरा स्पर्श भी नहीं कर सकते। इनसे तुम्हारा ही मर्म विदीर्ण होगा और तुम्हीं मरोगे। जिनकी सहायतासे मुझे मार सकोगे, वे बाण तो कोई और ही हैं। उनके विषयमें विचार करो ।
तदनन्तर, अलर्कने उसी पेड़के नीचे बैठकर घोर तपस्या की; किंतु उससे मन-बुद्धिसहित इन्द्रियोंको मारनेयोग्य किसी उत्तम बाणका पता न लगा। तब वे एकाग्रचित्त होकर विचार करने लगे। बहुत दिनोंतक निरन्तर सोचने-विचारनेके बाद उन्हें योगसे बढ़कर दूसरा कोई कल्याणकारी साधन नहीं प्रतीत हुआ। अब वे मनको एकाग्र करके स्थिर आसनसे बैठ गये और ध्यानयोगका साधन करने लगे। ध्यानयोगरूप इस एक ही बाणसे मारकर उन्होंने समस्त इन्द्रियोंको सहसा परास्त कर दिया- वे ध्यानयोगके द्वारा आत्मामें प्रवेश करके परा सिद्धि (मोक्ष) को प्राप्त हो गये। इस सफलतासे राजर्षि अलर्कको बड़ा आश्चर्य हुआ और उन्होंने इस गाथाका गान किया-'अहो ! बड़े कष्टकी बात है कि अबतक मैं बाहरी कामोंमें ही लगा रहा और भोगोंकी तृष्णासे आबद्ध होकर राज्यकी ही उपासना करता रहा। 'ध्यानयोगसे बढ़कर दूसरा कोई उत्तम सुखका साधन नहीं है' यह बात तो मुझे बहुत पीछे मालूम हुई है।' [ महाभारत ]



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dhyaanayogase badha़kar doosara koee uttam sukhaka saadhan naheen

dhyaanayogase badha़kar doosara koee uttam sukhaka saadhan naheen

pahalekee baat hai, alark naamase prasiddh ek raajarshi the, jo bada़e hee tapasvee, dharmajn, satyavaadee, mahaatma aur dridha़pratijn the. unhonne apane dhanushakee sahaayataase samudraparyant prithveeko jeetakar atyant dushkar paraakram kar dikhaaya thaa. isake pashchaat, unaka man sookshm tattvakee khojamen lagaa. ab ve bada़e-bada़e karmonka aarambh tyaagakar ek vrikshake neeche ja baithe aur sookshm tattvakee khojake liye is prakaar chinta karane lage.
alark kahane lage-mujhe manase hee bal praapt hua hai, atah vahee sabase prabal hai. manako jeet lenepar hee mujhe sthaayee vijay praapt ho sakatee hai. main indriyaroopee shatruonse ghira hua hoon, isaliye baaharake shatruonpar hamala n karake in bheetaree shatruonko hee apane baanonka nishaana banaaoongaa. yah man chanchalataake kaaran sabhee manushyonse taraha-tarahake karm karaata rahata hai, atah ab main manapar hee teekhe baanonka prahaar karoongaa.
man bolaa- alarka! tumhaare ye baan mujhe kisee tarah naheen beendh sakate. yadi inhen chalaaoge to ye tumhaare hee marmasthaanonko cheer daalenge aur us avasthaamen tumhaaree hee mrityu hogee; atah aur kisee baanaka vichaar karo, jisase tum mujhe maar sakoge.
yah sunakar alarkane thoda़ee deratak vichaar kiya, isake baad ve naasikaako lakshy karake bole-'meree yah naasika anekon prakaarakee sugandhiyonka anubhav karake bhee phir unheenkee ichchha karatee hai. isaliye iseeko teekhe baanonse maar daaloongaa.'
naasika bolee- alarka! ye baan mera kuchh naheen bigaada़ sakate. inase to tumhaare hee marm videern honge aur tumheen maroge, atah mujhe maaraneke liye aur tarahake baanonkee tajabeej karo.
ab alark kuchh der vichaar karaneke pashchaat jihvaako lakshy karake kahane lage- 'yah jeebh svaadisht rasonka upabhog karake phir unhen hee paana chaahatee hai. isaliye ab iseeke oopar apane teekhe saayakonka prahaar karoongaa.'
jihva bolee- alark ! ye baan mujhe naheen chhed sakate; ye to tumhaare hee marmasthaanonko beendhakar tumhen hee mautake ghaat utaarenge; atah doosare prakaarake baanonka prabandh socho, jinakee sahaayataase tum mujhe bhee maar sakoge.
yah sunakar alark kuchh deratak sochate-vichaarate rahe, phir tvachaapar kupit hokar bole-'yah tvacha naana prakaarake sparshoka anubhav karake phir unheenkee abhilaasha kiya karatee hai, atah naana prakaarake baanonse maarakar ise videern kar daaloongaa.'
tvacha bolee- alarka! ye baan mujhe apana nishaana naheen bana sakate. ye to tumhaara hee marm videern karenge aur marm videern honepar tumheen mautake mukhamen pada़oge. mujhe maaraneke liye to doosaree tarahake baanonkee vyavastha socho.
tvachaakee baat sunakar alarkane thoda़ee deratak vichaar kiya, phir netrako sunaate hue kahaa-'yah aankh bhee anekon baar sundara-sundar rooponka darshan karake punah unheenko dekhana chaahatee hai, atah ise apane teekhe teeronka nishaana banaaoongaa.'
aankh bolee- alarka! ye baan mujhe naheen chhed sakate, ye to tumhaare hee marmasthaanonkee beendh daalenge aur marm videern ho jaanepar tumhen hee jeevanase haath dhona pada़egaa; atah doosare prakaarake saayakonka prabandh socho, jinakee sahaayataase tum mujhe bhee maar sakoge.
tab alarkane punah sochakar kaha - 'yah buddhi apanee prajnaa-shaktise anekon prakaaraka nishchay karatee hai, atah iseeke oopar apane teekshn saayakonka prahaar karoongaa.'
buddhine kahaa- alarka! ye baan mera sparsh bhee naheen kar sakate. inase tumhaara hee marm videern hoga aur tumheen maroge. jinakee sahaayataase mujhe maar sakoge, ve baan to koee aur hee hain. unake vishayamen vichaar karo .
tadanantar, alarkane usee peda़ke neeche baithakar ghor tapasya kee; kintu usase mana-buddhisahit indriyonko maaraneyogy kisee uttam baanaka pata n lagaa. tab ve ekaagrachitt hokar vichaar karane lage. bahut dinontak nirantar sochane-vichaaraneke baad unhen yogase badha़kar doosara koee kalyaanakaaree saadhan naheen prateet huaa. ab ve manako ekaagr karake sthir aasanase baith gaye aur dhyaanayogaka saadhan karane lage. dhyaanayogaroop is ek hee baanase maarakar unhonne samast indriyonko sahasa paraast kar diyaa- ve dhyaanayogake dvaara aatmaamen pravesh karake para siddhi (moksha) ko praapt ho gaye. is saphalataase raajarshi alarkako bada़a aashchary hua aur unhonne is gaathaaka gaan kiyaa-'aho ! bada़e kashtakee baat hai ki abatak main baaharee kaamonmen hee laga raha aur bhogonkee trishnaase aabaddh hokar raajyakee hee upaasana karata rahaa. 'dhyaanayogase badha़kar doosara koee uttam sukhaka saadhan naheen hai' yah baat to mujhe bahut peechhe maaloom huee hai.' [ mahaabhaarat ]

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