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यमुनाष्टकस्तोत्रकी महिमा

१९९५ में बड़नगर (जिला उज्जैन) तथा आस पासके मालवा-क्षेत्रमें जूनसे जुलाईके प्रथम सप्ताहतक वर्षा न होनेके कारण सर्वत्र त्राहि-त्राहि मच गयी थी। पेय जल पर्याप्त मात्रामें न मिलने तथा भीषण गर्मी केकारण लोग अत्यन्त चिन्तित एवं व्याकुल हो गये थे। आकाशमें, रातमें तारे बिलकुल साफ दिखायी देते थे और यदि कभी बादल आ भी जाते तो बिना पानी बरसाये ही चले जाते ।

आठ जुलाईको भगवत्प्रेरणासे यहाँ पुष्टिमार्गीय वल्लभसम्प्रदायके मन्दिरमें श्रीयमुनाजीके चित्रके सामने घीका दीपक प्रदीप्त करके जलवर्षणहेतु श्रीयमुनाजीका आवाहन करके महाप्रभु श्रीमद्वल्लभाचार्यविरचित यमुनाष्टकस्तोत्र—‘नमामि यमुनामहं सकलसिद्धि हेतुं० * ' का दोपहरको २ बजेसे शाम ६ बजेतक अखण्ड पाठ हुआ। पाठ आरम्भ करनेके आधे-पौन घंटे बाद ही मूसलाधार वर्षा शुरू हो गयी तथा सभी लोगोंको गर्मी और जलके संकटसे छुटकारा मिला। यह सब श्रीयमुनाजीकी ही कृपासे हुआ। श्रीयमुनाजी समस्त अलौकिक सिद्धियोंको देनेवाली हैं।

[ श्रीगोपालकृष्णजी गुप्ता ]



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yamunaashtakastotrakee mahimaa

1995 men bada़nagar (jila ujjaina) tatha aas paasake maalavaa-kshetramen joonase julaaeeke pratham saptaahatak varsha n honeke kaaran sarvatr traahi-traahi mach gayee thee. pey jal paryaapt maatraamen n milane tatha bheeshan garmee kekaaran log atyant chintit evan vyaakul ho gaye the. aakaashamen, raatamen taare bilakul saaph dikhaayee dete the aur yadi kabhee baadal a bhee jaate to bina paanee barasaaye hee chale jaate .

aath julaaeeko bhagavatpreranaase yahaan pushtimaargeey vallabhasampradaayake mandiramen shreeyamunaajeeke chitrake saamane gheeka deepak pradeept karake jalavarshanahetu shreeyamunaajeeka aavaahan karake mahaaprabhu shreemadvallabhaachaaryavirachit yamunaashtakastotra—‘namaami yamunaamahan sakalasiddhi hetun0 * ' ka dopaharako 2 bajese shaam 6 bajetak akhand paath huaa. paath aarambh karaneke aadhe-paun ghante baad hee moosalaadhaar varsha shuroo ho gayee tatha sabhee logonko garmee aur jalake sankatase chhutakaara milaa. yah sab shreeyamunaajeekee hee kripaase huaa. shreeyamunaajee samast alaukik siddhiyonko denevaalee hain.

[ shreegopaalakrishnajee gupta ]

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तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
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सुबह सवेरे  लेकर तेरा नाम प्रभु,
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मोहे वृन्दावन पहुंच देओ ।
किसी को भांग का नशा है मुझे तेरा नशा है,
भोले ओ शंकर भोले मनवा कभी न डोले,
तेरे दर की भीख से है,
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शिव समा रहे मुझमें
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