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अनीति  [Story To Read]
आध्यात्मिक कथा - Hindi Story (Short Story)

अनीति

श्रुतायुधके पास शंकरजीके वरदानसे प्राप्त एक अमोघ गदा थी। उसके तपसे प्रसन्न होकर भगवान्ने यह उपहार उसे इस शर्तपर दिया था कि वह उसका अनीतिपूर्वक प्रयोग न करे, यदि करेगा तो लौटकर वह उसका ही विनाश कर देगी।
महाभारतयुद्धमें श्रुतायुधको अर्जुनसे लड़ना पड़ा। युद्ध प्रबल वेगसे होने लगा और दोनों ही अपना | रणकौशल दिखाने लगे।
सारथीका काम करते हुए कृष्णको श्रुतायुधकी अनीतिपर हँसी आ गयी। यह हँसी उसे तीरकी तरह चुभी और आवेशमें आकर उसने अपनी अमोघ गदा श्रीकृष्णपर फेंक चलायी। उसे यह भी ध्यान नहीं रहा कि उसके | साथ क्या शर्त जुड़ी हुई है।
गदा कृष्णतक न पहुँची और बीचसे ही वापस लौटकर श्रुतायुधपर गिर पड़ी। उसका शरीर क्षत विक्षत होकर भूमिपर गिर पड़ा।
धृतराष्ट्रको यह समाचार सुनाते हुए संजयने कहा- 'राजन्! मनुष्यको समस्त शक्तियाँ श्रुतायुधकी गदाकी तरह सदुपयोगके लिये मिली हैं, जो उन्हें अनीतिपूर्वक प्रयोग करते हैं, वे उलटे अपने-आपसे ही आहत होकर इसी तरह विनाशको प्राप्त होते हैं।' [श्री ओमप्रकाशजी छारिया ]



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aneeti

aneeti

shrutaayudhake paas shankarajeeke varadaanase praapt ek amogh gada thee. usake tapase prasann hokar bhagavaanne yah upahaar use is shartapar diya tha ki vah usaka aneetipoorvak prayog n kare, yadi karega to lautakar vah usaka hee vinaash kar degee.
mahaabhaaratayuddhamen shrutaayudhako arjunase lada़na pada़aa. yuddh prabal vegase hone laga aur donon hee apana | ranakaushal dikhaane lage.
saaratheeka kaam karate hue krishnako shrutaayudhakee aneetipar hansee a gayee. yah hansee use teerakee tarah chubhee aur aaveshamen aakar usane apanee amogh gada shreekrishnapar phenk chalaayee. use yah bhee dhyaan naheen raha ki usake | saath kya shart juda़ee huee hai.
gada krishnatak n pahunchee aur beechase hee vaapas lautakar shrutaayudhapar gir pada़ee. usaka shareer kshat vikshat hokar bhoomipar gir pada़aa.
dhritaraashtrako yah samaachaar sunaate hue sanjayane kahaa- 'raajan! manushyako samast shaktiyaan shrutaayudhakee gadaakee tarah sadupayogake liye milee hain, jo unhen aneetipoorvak prayog karate hain, ve ulate apane-aapase hee aahat hokar isee tarah vinaashako praapt hote hain.' [shree omaprakaashajee chhaariya ]

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