⮪ All Stories / कथा / कहानियाँ

गुरुसेवा और उसका फल  [प्रेरक कहानी]
Spiritual Story - आध्यात्मिक कहानी (प्रेरक कथा)

महर्षि आयोदधौम्यके दूसरे शिष्य थे उपमन्यु । गुरुने उन्हें गायें चराने और उनकी रखवाली करनेका काम दे रखा था। ब्रह्मचर्याश्रमका नियम है कि ब्रह्मचारी गुरु-सेवा करता हुआ गुरुगृहमें निवास करे। वह पासके नगर-ग्रामोंसे भिक्षा माँगकर ले आये और उसे गुरुके सम्मुख रख दे। गुरुदेव उसमेंसे जो भी उसे दें, उसीको खाकर संतुष्ट रहे। उपमन्यु भी इस नियमका पालन करते थे; किंतु वे जो भिक्षा माँगकर लाते थे, उसे धौम्यऋषि पूरी की पूरी रख लेते थे। उपमन्युको उसमेंसे कुछ भी नहीं देते थे। उपमन्यु भी कुछ कहते नहीं थे।

एक दिन ऋषिने पूछा- 'उपमन्यु ! मैं तुम्हारीभिक्षाका सभी अन्न रख लेता हूँ, ऐसी दशामें तुम क्या भोजन करते हो? तुम्हारा शरीर तो हृष्ट-पुष्ट है ।

उपमन्युने बताया- 'भगवन्! मैं दुबारा भिक्षा माँग लाता हूँ।' ऋषि बोले- 'यह तो तुम अच्छा नहीं करते। इससे
गृहस्थोंको संकोच होता है। दूसरे भिक्षार्थी लोगोंके जीविकाहरणका पाप होता है।'

उपमन्युने स्वीकार कर लिया कि वे फिर ऐसा नहीं करेंगे। कुछ दिन बीतनेपर ऋषिने फिर पूछा 'उपमन्यु ! तुम आजकल क्या भोजन करते हो ?' उपमन्युने बताया- 'भगवन्! मैं इन गायोंका दूध पी लिया करता हूँ।'ऋषिने डाँटा' गायें मेरी हैं, मेरी आज्ञाके बिना | इनका दूध पी लेना तो अपराध है।'

उपमन्युने दूध पीना भी छोड़ दिया। कुछ दिन पश्चात् जब फिर ऋषिने पूछा, तब उन्होंने बताया कि वे अब बछड़ोंके मुखसे गिरा फेन पी लेते हैं। लेकिन गुरुदेवको तो उनकी परीक्षा लेनी थी। उन्होंने कह दिया ऐसी भूल आगे कभी मत करना। बछड़े बड़े दयालु होते हैं, तुम्हारे लिये वे अधिक दूध झाग बनाकर गिरा देते होंगे और स्वयं भूखे रहते होंगे।'

उपमन्युके आहारके सब मार्ग बंद हो गये। गायक पीछे दिनभर वन-वन दौड़ना ठहरा उन्हें अत्यन्त प्रबल क्षुधा लगी। दूसरा कुछ नहीं मिला तो विवश होकर आक के पत्ते खा लिये। उन विषैले पत्तोंकी गरमीसे नेत्रकी ज्योति चली गयी। वे अंधे हो गये। देख न पड़नेके कारण वनमें घूमते समय एक जलहीन कुएँ में गिर पड़े।

सूर्यास्त हो गया, गायें बिना चरवाहेके लौट आयीं; किंतु उपमन्यु नहीं लौटे ऋषि चिन्तित हो गये मैंने उपमन्युका भोजन सर्वथा बंद कर दिया। वह रुष्ट होकर कहीं चला तो नहीं गया?' शिष्योंके साथ उसी समय ये वनमें पहुँचे और पुकारने लगे- 'बेटा उपमन्यु! तुम कहाँ हो ?'

उपमन्युक्का स्वर सुनायी पढ़ा- 'भगवन्! मैं यहाँ कुएँ में पड़ा हूँ।'ऋषि कुएँके पास गये। पूछनेपर उपमन्युने अपने
कुएँ पड़नेका कारण बता दिया। अब ऋषिने उपमन्युकोदेवताओंके वैद्य अश्विनीकुमारोंकी स्तुति करनेका आदेश | दिया। गुरु आज्ञासे उपमन्यु स्तुति करने लगे। एक पवित्र | गुरुभक्त ब्रह्मचारी स्तुति करे और देवता प्रसन्न न हों। तो उनका देवत्व टिकेगा कितने दिन ? उपमन्युको स्तुतिसे प्रसन्न होकर अश्विनीकुमार कुएँ में ही प्रकट हो गये और बोले—'यह मीठा पुआ लो और इसे खा लो।'

नम्रतापूर्वक उपमन्युने कहा- 'गुरुदेवको अर्पण किये बिना मैं पुआ नहीं खाना चाहता।'

अश्विनीकुमारोंने कहा—' पहले तुम्हारे गुरुने भी हमारी स्तुति की थी और हमारा दिया पुआ अपने गुरुको अर्पित किये बिना खा लिया था। तुम भी ऐसा ही करो।'

उपमन्यु बोले—'गुरुजनोंकी त्रुटि अनुगतोंको नहीं देखनी चाहिये । आपलोग मुझे क्षमा करें, गुरुदेवको अर्पित किये बिना मैं पुआ नहीं खा सकता।'

अश्विनीकुमारोंने कहा—'हम तुम्हारी गुरुभक्तिसे बहुत प्रसन्न हैं। तुम्हारे गुरुके दाँत लोहेके हैं, परंतु तुम्हारे स्वर्णके हो जायँगे। तुम्हारी दृष्टि भी पहलेके समान हो जायगी।'

अश्विनीकुमारोंने उपमन्युको कुएँसे बाहर निकाल दिया। उपमन्युने गुरुके चरणोंमें प्रणाम किया। महर्षि आयोदधौम्यने सब बातें सुनकर आशीर्वाद दिया- 'सब वेद और धर्मशास्त्र तुम्हें स्वतः कण्ठ हो जायँगे। उनका अर्थ तुम्हें भासित हो जायगा। धर्मशास्त्रोंका तत्त्व तुम जान जाओगे।'

-सु0 सिं0 (महाभारत, आदि0 3)



You may also like these:

हिन्दी कहानी समताका भाव
आध्यात्मिक कथा सत्य-पालन
छोटी सी कहानी मोहमें दुःख
आध्यात्मिक कहानी बोध-सूक्ति- पीयूष
हिन्दी कहानी प्रतिभाकी पहचान
शिक्षदायक कहानी पापका परिणाम - दारुण रोग
आध्यात्मिक कथा परमात्माकी मृत्यु


guruseva aur usaka phala

maharshi aayodadhaumyake doosare shishy the upamanyu . gurune unhen gaayen charaane aur unakee rakhavaalee karaneka kaam de rakha thaa. brahmacharyaashramaka niyam hai ki brahmachaaree guru-seva karata hua gurugrihamen nivaas kare. vah paasake nagara-graamonse bhiksha maangakar le aaye aur use guruke sammukh rakh de. gurudev usamense jo bhee use den, useeko khaakar santusht rahe. upamanyu bhee is niyamaka paalan karate the; kintu ve jo bhiksha maangakar laate the, use dhaumyarishi pooree kee pooree rakh lete the. upamanyuko usamense kuchh bhee naheen dete the. upamanyu bhee kuchh kahate naheen the.

ek din rishine poochhaa- 'upamanyu ! main tumhaareebhikshaaka sabhee ann rakh leta hoon, aisee dashaamen tum kya bhojan karate ho? tumhaara shareer to hrishta-pusht hai .

upamanyune bataayaa- 'bhagavan! main dubaara bhiksha maang laata hoon.' rishi bole- 'yah to tum achchha naheen karate. isase
grihasthonko sankoch hota hai. doosare bhikshaarthee logonke jeevikaaharanaka paap hota hai.'

upamanyune sveekaar kar liya ki ve phir aisa naheen karenge. kuchh din beetanepar rishine phir poochha 'upamanyu ! tum aajakal kya bhojan karate ho ?' upamanyune bataayaa- 'bhagavan! main in gaayonka doodh pee liya karata hoon.'rishine daantaa' gaayen meree hain, meree aajnaake bina | inaka doodh pee lena to aparaadh hai.'

upamanyune doodh peena bhee chhoda़ diyaa. kuchh din pashchaat jab phir rishine poochha, tab unhonne bataaya ki ve ab bachhada़onke mukhase gira phen pee lete hain. lekin gurudevako to unakee pareeksha lenee thee. unhonne kah diya aisee bhool aage kabhee mat karanaa. bachhada़e bada़e dayaalu hote hain, tumhaare liye ve adhik doodh jhaag banaakar gira dete honge aur svayan bhookhe rahate honge.'

upamanyuke aahaarake sab maarg band ho gaye. gaayak peechhe dinabhar vana-van dauda़na thahara unhen atyant prabal kshudha lagee. doosara kuchh naheen mila to vivash hokar aak ke patte kha liye. un vishaile pattonkee garameese netrakee jyoti chalee gayee. ve andhe ho gaye. dekh n pada़neke kaaran vanamen ghoomate samay ek jalaheen kuen men gir paड़e.

sooryaast ho gaya, gaayen bina charavaaheke laut aayeen; kintu upamanyu naheen laute rishi chintit ho gaye mainne upamanyuka bhojan sarvatha band kar diyaa. vah rusht hokar kaheen chala to naheen gayaa?' shishyonke saath usee samay ye vanamen pahunche aur pukaarane lage- 'beta upamanyu! tum kahaan ho ?'

upamanyukka svar sunaayee paढ़aa- 'bhagavan! main yahaan kuen men pada़a hoon.'rishi kuenke paas gaye. poochhanepar upamanyune apane
kuen pada़neka kaaran bata diyaa. ab rishine upamanyukodevataaonke vaidy ashvineekumaaronkee stuti karaneka aadesh | diyaa. guru aajnaase upamanyu stuti karane lage. ek pavitr | gurubhakt brahmachaaree stuti kare aur devata prasann n hon. to unaka devatv tikega kitane din ? upamanyuko stutise prasann hokar ashvineekumaar kuen men hee prakat ho gaye aur bole—'yah meetha pua lo aur ise kha lo.'

namrataapoorvak upamanyune kahaa- 'gurudevako arpan kiye bina main pua naheen khaana chaahataa.'

ashvineekumaaronne kahaa—' pahale tumhaare gurune bhee hamaaree stuti kee thee aur hamaara diya pua apane guruko arpit kiye bina kha liya thaa. tum bhee aisa hee karo.'

upamanyu bole—'gurujanonkee truti anugatonko naheen dekhanee chaahiye . aapalog mujhe kshama karen, gurudevako arpit kiye bina main pua naheen kha sakataa.'

ashvineekumaaronne kahaa—'ham tumhaaree gurubhaktise bahut prasann hain. tumhaare guruke daant loheke hain, parantu tumhaare svarnake ho jaayange. tumhaaree drishti bhee pahaleke samaan ho jaayagee.'

ashvineekumaaronne upamanyuko kuense baahar nikaal diyaa. upamanyune guruke charanonmen pranaam kiyaa. maharshi aayodadhaumyane sab baaten sunakar aasheervaad diyaa- 'sab ved aur dharmashaastr tumhen svatah kanth ho jaayange. unaka arth tumhen bhaasit ho jaayagaa. dharmashaastronka tattv tum jaan jaaoge.'

-su0 sin0 (mahaabhaarat, aadi0 3)

86 Views





Bhajan Lyrics View All

रंग डालो ना बीच बाजार
श्याम मैं तो मर जाऊंगी
मेरा यार यशुदा कुंवर हो चूका है
वो दिल हो चूका है जिगर हो चूका है
श्यामा तेरे चरणों की गर धूल जो मिल
सच कहता हूँ मेरी तकदीर बदल जाए॥
हम प्रेम दीवानी हैं, वो प्रेम दीवाना।
ऐ उधो हमे ज्ञान की पोथी ना सुनाना॥
सब दुख दूर हुए जब तेरा नाम लिया
कौन मिटाए उसे जिसको राखे पिया
श्याम बंसी ना बुल्लां उत्ते रख अड़ेया
तेरी बंसी पवाडे पाए लख अड़ेया ।
कोई पकड़ के मेरा हाथ रे,
मोहे वृन्दावन पहुंच देओ ।
लाली की सुनके मैं आयी
कीरत मैया दे दे बधाई
राधे तेरे चरणों की अगर धूल जो मिल जाए
सच कहता हू मेरी तकदीर बदल जाए
मीठी मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजे,
होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे
वास देदो किशोरी जी बरसाना,
छोडो छोडो जी छोडो जी तरसाना ।
आप आए नहीं और सुबह हो मई
मेरी पूजा की थाली धरी रह गई
श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम
लोग करें मीरा को यूँ ही बदनाम
एक दिन वो भोले भंडारी बन कर के ब्रिज की
पारवती भी मना कर ना माने त्रिपुरारी,
तेरा गम रहे सलामत मेरे दिल को क्या कमी
यही मेरी ज़िंदगी है, यही मेरी बंदगी है
राधा ढूंढ रही किसी ने मेरा श्याम देखा
श्याम देखा घनश्याम देखा
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यूँ गोरी, मैं क्यूँ काला
यह मेरी अर्जी है,
मैं वैसी बन जाऊं जो तेरी मर्ज़ी है
जगत में किसने सुख पाया
जो आया सो पछताया, जगत में किसने सुख
जग में सुन्दर है दो नाम, चाहे कृष्ण कहो
बोलो राम राम राम, बोलो श्याम श्याम
हर साँस में हो सुमिरन तेरा,
यूँ बीत जाये जीवन मेरा
कैसे जीऊं मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही न लगे श्यामा तेरे बिना
राधा कट दी है गलिआं दे मोड़ आज मेरे
श्याम ने आना घनश्याम ने आना
सांवरिया है सेठ ,मेरी राधा जी सेठानी
यह तो सारी दुनिया जाने है
मीठे रस से भरी रे, राधा रानी लागे,
मने कारो कारो जमुनाजी रो पानी लागे
नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल सा घराना हो
चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे दवार,
यहाँ से जो मैं हारा तो कहा जाऊंगा मैं
श्री राधा हमारी गोरी गोरी, के नवल
यो तो कालो नहीं है मतवारो, जगत उज्य
हो मेरी लाडो का नाम श्री राधा
श्री राधा श्री राधा, श्री राधा श्री
मुझे रास आ गया है,
तेरे दर पे सर झुकाना

New Bhajan Lyrics View All

प्यारा सा मुखड़ा, घुंघराले केश,
कलयुग का राजा, खाटू नरेश,
मैं बेरंगी फिरदी सा रंग मेरे श्याम ने
रंग मेरे श्याम ने लाया, रंग मेरे श्याम
एक काम बालाजी जरूर करना,
सारी दुनिया में मेरा नाम करना...
छोटा सा हनुमान चलावे गाड़ी सत्संग की,
चलावे गाड़ी सत्संग की...
ग्यारस का व्रत मैं करती,
हरी नाम की माला जपती...