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धन है धूलि समान  [छोटी सी कहानी]
Shikshaprad Kahani - Spiritual Story (Moral Story)

'आप घर तो नहीं भूल गये हैं? मैं इस सम्मानका पात्र नहीं हूँ।'

'भूले नहीं हैं, निश्चय ही हम आपकी ही सेवामें उपस्थित हुए हैं।'

'मेरी सेवा ? मैं तो पामर प्राणी हूँ। सेवा तो विट्ठल भगवान्‌की करनी चाहिये भाई !

'आप जगदीश्वरके परम भक्त हैं, यह सुनकर महाराजा छत्रपति शिवाजीने आपका स्वागत करनेके लिये ये हाथी, घोड़े, पालकी और सेवकगण भेजे हैं।आप हमारे साथ पधारनेकी कृपा करें।' भक्तराज तुकाराम हँस पड़े—'अरे भाई! यदि मुझे जाना ही होगा तो ईश्वरके दिये हुए पैर तो मौजूद हैं। फिर इस आडंबरकी क्या जरूरत ?'

गाँवके लोगोंको हँसी उड़ानेका अवसर मिला. 'वाह, अब तुका भगत भक्ति छोड़कर राजदरबारमें विराजेंगे।'

संत तुकाराम नम्रतापूर्वक कहने लगे-'आप छत्रपतिको | मेरा संदेश कह दें कि मेरा आपको सदा-सर्वदा आशीर्वादहै। कृपा करके मुझे मेरे विट्ठलभगवान्‌की सेवासे विमुख | न करें। मैं जहाँ और जैसे हूँ, वहाँ वैसे ही ठीक हूँ। मेरी यह कुटिया ही मेरा राजमहल है और यह छोटा सा मन्दिर ही मेरे प्रभुका मेरा राजदरबार है। वैभवकी । वासनाको जगाकर मुझे इस भक्ति मार्गसे विचलित न करें। मेरे विठोबा उनका कल्याण करें।'

इकट्ठे हुए गाँववाले फिर हँस पड़े—'कैसे गँवार हैं तुका भगत! सामने आये हुए राज-वैभवको ठुकराते हैं, घर आयी लक्ष्मीको धक्का मारते हैं।'

छत्रपति शिवाजीने जब तुकारामकी अटल निःस्पृहताकी बात सुनी, तब वे ऐसे सच्चे संतके दर्शनके लिये अधीर हो उठे और स्वयं तुकारामके पास जा पहुँचे।

देहू गाँवकी जनताको आज और आश्चर्यका अनुभव हुआ देहू-जैसे छोटे-से गाँवमें छत्रपति शिवाजी महाराजका शुभागमन! जय घोषणासे दिशाएँ गूँज उठीं। –'छत्रपति
शिवाजी महाराजकी जय !' तुकारामको देखते ही शिवाजी उनके चरणोंमें लोट गये। 'हैं, हँ छत्रपति राजाको ईश्वरस्वरूप माना जाता है।

आप तो पूजनीय हो।' तुकारामने शिवाजीको उठाया और प्रेमसे हृदयसे लगा लिया।

'आज आप जैसे संतके दर्शन पाकर मैं कृतार्थ होगया। मेरी प्रार्थना है कि मेरी इस अल्प सेवाको आप स्वीकार करें।' राजाने स्वर्ण मुद्राओंसे भरी थैली तुकारामके चरणों में रख दी।

"यह आप क्या कर रहे हैं महाराज ? भक्तिमें बाधा डालनेवाली मायामें मुझे क्यों फँसाते हैं? मुझे धन नहीं चाहिये। मुझे जो कुछ चाहिये वह मेरे विट्ठल प्रभुकी कृपासे अनायास मिल जाता है। जब भूख लगती है, तब भिक्षा माँग लाता हूँ। रास्तेमें पड़े चिथड़ोंसे शरीरको ढँक लेता हूँ। कहीं भी सोकर नींद ले लेता हूँ। फिर मुझे किस बातकी कमी है। मैं तो मेरे विठोबाकी सेवामें परम सुख सर्वस्वका अनुभव कर रहा हूँ महाराज ! आप इस धनको वापस ले जाइये। प्रभु आपका कल्याण करें।'

शिवाजी चकित हुए। वे बोल उठे –'धन्य हो भक्त शिरोमणि ऐसी अनुपम निःस्पृहता और निर्भयता मैंने कभी नहीं देखी। आपको मेरा कोटि-कोटि प्रणाम।'

'धन है धूलि समान' इस सूत्रको ज्ञानपूर्वक आचरणमें लानेवाले इस अद्भुत संतकी चरण-धूलि मस्तकपर चढ़ाकर उनको वन्दन करते हुए शिवाजी वापस लौट गये। इधर भक्तराज तुकारामने प्रभुसे प्रार्थना की- 'ऐसी माया कभी फिर न दिखाना मेरे प्रभु!'



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dhan hai dhooli samaana

'aap ghar to naheen bhool gaye hain? main is sammaanaka paatr naheen hoon.'

'bhoole naheen hain, nishchay hee ham aapakee hee sevaamen upasthit hue hain.'

'meree seva ? main to paamar praanee hoon. seva to vitthal bhagavaan‌kee karanee chaahiye bhaaee !

'aap jagadeeshvarake param bhakt hain, yah sunakar mahaaraaja chhatrapati shivaajeene aapaka svaagat karaneke liye ye haathee, ghoda़e, paalakee aur sevakagan bheje hain.aap hamaare saath padhaaranekee kripa karen.' bhaktaraaj tukaaraam hans pada़e—'are bhaaee! yadi mujhe jaana hee hoga to eeshvarake diye hue pair to maujood hain. phir is aadanbarakee kya jaroorat ?'

gaanvake logonko hansee uda़aaneka avasar milaa. 'vaah, ab tuka bhagat bhakti chhoda़kar raajadarabaaramen viraajenge.'

sant tukaaraam namrataapoorvak kahane lage-'aap chhatrapatiko | mera sandesh kah den ki mera aapako sadaa-sarvada aasheervaadahai. kripa karake mujhe mere vitthalabhagavaan‌kee sevaase vimukh | n karen. main jahaan aur jaise hoon, vahaan vaise hee theek hoon. meree yah kutiya hee mera raajamahal hai aur yah chhota sa mandir hee mere prabhuka mera raajadarabaar hai. vaibhavakee . vaasanaako jagaakar mujhe is bhakti maargase vichalit n karen. mere vithoba unaka kalyaan karen.'

ikatthe hue gaanvavaale phir hans pada़e—'kaise ganvaar hain tuka bhagata! saamane aaye hue raaja-vaibhavako thukaraate hain, ghar aayee lakshmeeko dhakka maarate hain.'

chhatrapati shivaajeene jab tukaaraamakee atal nihsprihataakee baat sunee, tab ve aise sachche santake darshanake liye adheer ho uthe aur svayan tukaaraamake paas ja pahunche.

dehoo gaanvakee janataako aaj aur aashcharyaka anubhav hua dehoo-jaise chhote-se gaanvamen chhatrapati shivaajee mahaaraajaka shubhaagamana! jay ghoshanaase dishaaen goonj utheen. –'chhatrapati
shivaajee mahaaraajakee jay !' tukaaraamako dekhate hee shivaajee unake charanonmen lot gaye. 'hain, han chhatrapati raajaako eeshvarasvaroop maana jaata hai.

aap to poojaneey ho.' tukaaraamane shivaajeeko uthaaya aur premase hridayase laga liyaa.

'aaj aap jaise santake darshan paakar main kritaarth hogayaa. meree praarthana hai ki meree is alp sevaako aap sveekaar karen.' raajaane svarn mudraaonse bharee thailee tukaaraamake charanon men rakh dee.

"yah aap kya kar rahe hain mahaaraaj ? bhaktimen baadha daalanevaalee maayaamen mujhe kyon phansaate hain? mujhe dhan naheen chaahiye. mujhe jo kuchh chaahiye vah mere vitthal prabhukee kripaase anaayaas mil jaata hai. jab bhookh lagatee hai, tab bhiksha maang laata hoon. raastemen pada़e chithada़onse shareerako dhank leta hoon. kaheen bhee sokar neend le leta hoon. phir mujhe kis baatakee kamee hai. main to mere vithobaakee sevaamen param sukh sarvasvaka anubhav kar raha hoon mahaaraaj ! aap is dhanako vaapas le jaaiye. prabhu aapaka kalyaan karen.'

shivaajee chakit hue. ve bol uthe –'dhany ho bhakt shiromani aisee anupam nihsprihata aur nirbhayata mainne kabhee naheen dekhee. aapako mera koti-koti pranaama.'

'dhan hai dhooli samaana' is sootrako jnaanapoorvak aacharanamen laanevaale is adbhut santakee charana-dhooli mastakapar chadha़aakar unako vandan karate hue shivaajee vaapas laut gaye. idhar bhaktaraaj tukaaraamane prabhuse praarthana kee- 'aisee maaya kabhee phir n dikhaana mere prabhu!'

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