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निन्दाकी प्रशंसा  [Shikshaprad Kahani]
Wisdom Story - Wisdom Story (प्रेरक कथा)

बहुत पहले काशीमें एक प्रजावत्सल, धर्मात्मा राजा रहता था। एक दिन एक देवदूतने राजासे आकर निवेदन किया-'महाराज! आपके लिये स्वर्गमें स्वर्णिम प्रासाद बने तैयार हैं। उनमें आप बड़े सुखपूर्वकनिवास कर सकेंगे।' राजा बड़ा प्रसन्न हुआ। साथ ही परलोककी ओरसे वह सर्वथा निश्चिन्त - सा हो गया। अपनी धार्मिकताका उसे स्वाभाविक गर्व तो हुआ ही। थोड़े ही दिनोंके बाद वहाँ उपवनमें एक तपस्वीमहात्मा आये। राजाके मनमें भी उनके दर्शनकी लालसा हुई। वह बड़े प्रेमसे उन महात्माके पास गया और । कुछ फल-फूल उनके सामने रखा। पर तपस्वी उस समय ध्यानमग्न थे। उन्हें राजाके आने-जानेका कोई पता न चला। अतएव कोई बात-चीत अथवा आदर मानका उपक्रम नहीं किया। राजाको इससे कुछ अपमानका अनुभव हुआ। दुर्दैववशात् उसे क्रोध आ गया और समीप ही पड़ी हुई घोड़ेके लीदको तपस्वीके सिरपर रखकर वह चलता बना।

कुछ दिन यों ही बीत गये। एक रात देवदूत राजाके पास पुनः आया और बोला-'राजन् ! तुम्हारे स्वर्णके प्रासादमें केवल लीद-ही-लीद भरा पड़ा है। उसमें तिल रखनेको भी अब स्थान नहीं रहा है ।' अब राजा बड़ी चिन्तामें पड़ा। वह समझ गया कि यह साधुके सिरपर लीद रखनेका ही दुष्परिणाम उपस्थित हुआ है। मन्त्रियोंने सलाह दी 'यदि आपकी सर्वत्र किसी प्रकार घोर मिथ्या निन्दा हो सके तो वे प्रासाद लीदसे खाली हो जायँ ।'

दूसरे दिन राजाने अपने गुप्तचरोंसे अपनी मिथ्यादुष्क्रियाओंका प्रचार कराया। बस क्या था, उसकी सर्वत्र निन्दा होने लगी। उसकी सभीने निन्दा कर डाली | पर एक लोहार ऐसा बच रहा जिसने इन बातोंपर तनिक भी ध्यान नहीं दिया।

कुछ दिनों बाद देवदूत फिर आया और कहने लगा - 'महाराज ! वह लीद तो बिलकुल खाली हो गयी, बस एक कोनेमें थोड़ी-सी बच रही है। आपकी निन्दा करनेवालोंने सारी लीद खा डाली। अब अमुक लोहार यदि आपकी निन्दा कर डाले तो वह रही-सही भी समाप्त हो जाय।' इतना कहकर देवदूत तो चला गया और राजा इसका उपाय ढूँढने लगा। अन्तमें वह स्वयं वेष बदलकर लोहारके पास पहुँचा और अपनी निन्दा करने-करानेकी चेष्टामें लगा । लोहार थोड़ी देरतक तो राजाकी बातें सुनता रहा। फिर उसने बड़ी नम्रतासे कहा - 'महाराज ! मुझे क्यों बहका रहे हैं, वह लीद तो आपको ही खानी होगी। मैं तो आपकी निन्दा कर उसे खानेसे बाज आया। '

परनिन्दा करनेवाला जिसकी निन्दा करता है उसके पापोंको ले लेता है। - जा0 श0



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nindaakee prashansaa

bahut pahale kaasheemen ek prajaavatsal, dharmaatma raaja rahata thaa. ek din ek devadootane raajaase aakar nivedan kiyaa-'mahaaraaja! aapake liye svargamen svarnim praasaad bane taiyaar hain. unamen aap bada़e sukhapoorvakanivaas kar sakenge.' raaja bada़a prasann huaa. saath hee paralokakee orase vah sarvatha nishchint - sa ho gayaa. apanee dhaarmikataaka use svaabhaavik garv to hua hee. thoda़e hee dinonke baad vahaan upavanamen ek tapasveemahaatma aaye. raajaake manamen bhee unake darshanakee laalasa huee. vah bada़e premase un mahaatmaake paas gaya aur . kuchh phala-phool unake saamane rakhaa. par tapasvee us samay dhyaanamagn the. unhen raajaake aane-jaaneka koee pata n chalaa. ataev koee baata-cheet athava aadar maanaka upakram naheen kiyaa. raajaako isase kuchh apamaanaka anubhav huaa. durdaivavashaat use krodh a gaya aur sameep hee pada़ee huee ghoड़eke leedako tapasveeke sirapar rakhakar vah chalata banaa.

kuchh din yon hee beet gaye. ek raat devadoot raajaake paas punah aaya aur bolaa-'raajan ! tumhaare svarnake praasaadamen keval leeda-hee-leed bhara pada़a hai. usamen til rakhaneko bhee ab sthaan naheen raha hai .' ab raaja bada़ee chintaamen pada़aa. vah samajh gaya ki yah saadhuke sirapar leed rakhaneka hee dushparinaam upasthit hua hai. mantriyonne salaah dee 'yadi aapakee sarvatr kisee prakaar ghor mithya ninda ho sake to ve praasaad leedase khaalee ho jaayan .'

doosare din raajaane apane guptacharonse apanee mithyaadushkriyaaonka prachaar karaayaa. bas kya tha, usakee sarvatr ninda hone lagee. usakee sabheene ninda kar daalee | par ek lohaar aisa bach raha jisane in baatonpar tanik bhee dhyaan naheen diyaa.

kuchh dinon baad devadoot phir aaya aur kahane laga - 'mahaaraaj ! vah leed to bilakul khaalee ho gayee, bas ek konemen thoda़ee-see bach rahee hai. aapakee ninda karanevaalonne saaree leed kha daalee. ab amuk lohaar yadi aapakee ninda kar daale to vah rahee-sahee bhee samaapt ho jaaya.' itana kahakar devadoot to chala gaya aur raaja isaka upaay dhoondhane lagaa. antamen vah svayan vesh badalakar lohaarake paas pahuncha aur apanee ninda karane-karaanekee cheshtaamen laga . lohaar thoda़ee deratak to raajaakee baaten sunata rahaa. phir usane bada़ee namrataase kaha - 'mahaaraaj ! mujhe kyon bahaka rahe hain, vah leed to aapako hee khaanee hogee. main to aapakee ninda kar use khaanese baaj aayaa. '

paraninda karanevaala jisakee ninda karata hai usake paaponko le leta hai. - jaa0 sha0

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