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न्यायका आदर्श  [Hindi Story]
Moral Story - Hindi Story (Short Story)

न्यायका आदर्श

इंगलैंडमें चतुर्थ हैनरीका शासन था। उस समय पाँचवाँ हैनरी युवराजपदपर था। एक बार उसका एक नौकर किसी अपराधमें पकड़ा गया। युवराजने उसको छुड़ानेकी चेष्टा की; परंतु प्रधान न्यायाधीश श्रीगैस्कीने उसकी बात नहीं सुनी और अपराधीको उचित दण्ड दे दिया। युवराज गुस्सेमें आकर अदालतमें पहुँचा और नौकरको छोड़नेके लिये जजको आज्ञा दी। जजने नम्रताके साथ युवराजको कानूनकी मर्यादा समझाकर सलाह दी - 'आप यदि नौकरको छुड़ाना चाहते हैं तो क्षमाके लिये सम्राट् चतुर्थ हैनरीसे प्रार्थना कीजिये।' परंतु युवराजको यह सलाह रुचिकर नहीं हुई और उसने दण्डप्राप्त अपराधीको जबरदस्ती छुड़ा ले जानेकी चेष्टा की। इसपर जज श्रीगैस्की महोदयने दृढ़तापूर्वक युवराजको अदालतसे बाहर निकल जानेका आदेश दिया।
युवराज क्रोधसे आगबबूला हो गया और न्यायाधीशकी कुर्सीकी ओर झपटा। लोगोंने समझा कि यह उन्हें मारनेको जा रहा है, परंतु दो ही कदम आगे बढ़ा था कि वह जजके तेजपूर्ण और अत्यन्त गम्भीर मुखकी ओर देखकर रुक गया। उसकी आगे बढ़नेकी हिम्मत नहीं हुई। जज श्रीगैस्कीने युवराजसे गम्भीरताके साथ कहा 'युवराज! मैं इस न्यायासनपर बैठकर राजाके सम्मानकी रक्षा कर रहा हूँ। आपको चाहिये कि अदालतका सम्मान रखकर भविष्यमें आप जिसपर राज्य करना चाहते हैं, उस प्रजाको कानूनकी कैसी मर्यादा रखनी चाहिये- इसका आदर्श आपने आज जो उद्दण्डता और अदालतका अपमान किया है, इसके लिये मैं आपको कैदकी सजा देता
युवराजको अब चेत हुआ और वह अपने कार्यके लिये पश्चात्ताप करने लगा तथा बिना किसी उज्रके जेलमें चला गया। जब उसके पिता चतुर्थ हैनरीको इस बातका पता लगा तो उन्होंने आनन्दमें भरकर कहा-' कानूनकी मर्यादाकी रक्षा करनेवाला ऐसा न्यायाधीश जिस राज्य में है, वह राज्य निश्चय ही सुखी है और कानूनका उल्लंघन करनेपर जिस राजाका पुत्र सिर झुकाकर कानूनकी पाबन्दीके लिये सजा भोगता है, वह राजा भी सुखी है।'



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nyaayaka aadarsha

nyaayaka aadarsha

ingalaindamen chaturth hainareeka shaasan thaa. us samay paanchavaan hainaree yuvaraajapadapar thaa. ek baar usaka ek naukar kisee aparaadhamen pakada़a gayaa. yuvaraajane usako chhuda़aanekee cheshta kee; parantu pradhaan nyaayaadheesh shreegaiskeene usakee baat naheen sunee aur aparaadheeko uchit dand de diyaa. yuvaraaj gussemen aakar adaalatamen pahuncha aur naukarako chhoda़neke liye jajako aajna dee. jajane namrataake saath yuvaraajako kaanoonakee maryaada samajhaakar salaah dee - 'aap yadi naukarako chhuda़aana chaahate hain to kshamaake liye samraat chaturth hainareese praarthana keejiye.' parantu yuvaraajako yah salaah ruchikar naheen huee aur usane dandapraapt aparaadheeko jabaradastee chhuda़a le jaanekee cheshta kee. isapar jaj shreegaiskee mahodayane dridha़taapoorvak yuvaraajako adaalatase baahar nikal jaaneka aadesh diyaa.
yuvaraaj krodhase aagababoola ho gaya aur nyaayaadheeshakee kurseekee or jhapataa. logonne samajha ki yah unhen maaraneko ja raha hai, parantu do hee kadam aage badha़a tha ki vah jajake tejapoorn aur atyant gambheer mukhakee or dekhakar ruk gayaa. usakee aage badha़nekee himmat naheen huee. jaj shreegaiskeene yuvaraajase gambheerataake saath kaha 'yuvaraaja! main is nyaayaasanapar baithakar raajaake sammaanakee raksha kar raha hoon. aapako chaahiye ki adaalataka sammaan rakhakar bhavishyamen aap jisapar raajy karana chaahate hain, us prajaako kaanoonakee kaisee maryaada rakhanee chaahiye- isaka aadarsh aapane aaj jo uddandata aur adaalataka apamaan kiya hai, isake liye main aapako kaidakee saja detaa
yuvaraajako ab chet hua aur vah apane kaaryake liye pashchaattaap karane laga tatha bina kisee ujrake jelamen chala gayaa. jab usake pita chaturth hainareeko is baataka pata laga to unhonne aanandamen bharakar kahaa-' kaanoonakee maryaadaakee raksha karanevaala aisa nyaayaadheesh jis raajy men hai, vah raajy nishchay hee sukhee hai aur kaanoonaka ullanghan karanepar jis raajaaka putr sir jhukaakar kaanoonakee paabandeeke liye saja bhogata hai, vah raaja bhee sukhee hai.'

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