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परिश्रम गौरवकी वस्तु है  [Story To Read]
Spiritual Story - Moral Story (छोटी सी कहानी)

अमेरिकामें स्वातन्त्र्य-संग्रामके समय एक किलेबन्दी हो रही थी। कुछ सैनिकोंके द्वारा एक नायक उस कामको करा रहा था। सैनिक किलेकी दीवारपर एक भारी लकड़ी चढ़ानेका प्रयत्न कर रहे थे; किंतु सफल नहीं हो रहे थे। नायक उन्हें आज्ञा तो दे रहा था और प्रोत्साहित भी कर रहा था; किंतु स्वयं लकड़ी उठाने में हाथ नहीं लगाता था ।

उधरसे घोड़ेपर बैठे एक सज्जन निकले। उन्होंने नायकसे कहा—'आप भी लकड़ी उठवानेमें लग जायँ तो लकड़ी ऊपर चढ़ जाय ।'

नायकने उत्तर दिया—‘मैं इस टुकड़ीका नायक हूँ।' 'आप मुझे क्षमा करें।' वे सज्जन घोड़ेपरसे उतर 4 पड़े। अपना कोट उन्होंने उतार दिया, टोपी अलग रख दी और कमीजकी बाँहें ऊपर चढ़ाकर सैनिकोंके साथजुट गये। उनके परिश्रम तथा सहयोगका परिणाम यह हुआ कि लकड़ी ऊपर चढ़ गयी धन्यवाद महोदय!' नायकने उन सज्जनको लकड़ी चढ़ जानेपर कहा

अपना कोट पहिनते हुए वे बोले-'इसमें धन्यवादकी तो कोई बात नहीं। आपको जब कभी ऐसी आवश्यकता हो तो अपने प्रधान सेनापतिके पास संदेश भेज दिया करें, जिससे मैं आकर आपकी सहायता कर जाया करूँ; क्योंकि मुझे पता है कि परिश्रम करना हीनताकी नहीं, गौरवकी वस्तु है । '

'प्रधान सेनापति !' बेचारा नायक तो हक्का बक्का रह गया। परंतु प्रधान सेनापति घोड़ेपर चढ़कर शीघ्रतापूर्वक वहाँसे आगे निकल गये।

- सु0 सिं0



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parishram gauravakee vastu hai

amerikaamen svaatantrya-sangraamake samay ek kilebandee ho rahee thee. kuchh sainikonke dvaara ek naayak us kaamako kara raha thaa. sainik kilekee deevaarapar ek bhaaree lakada़ee chadha़aaneka prayatn kar rahe the; kintu saphal naheen ho rahe the. naayak unhen aajna to de raha tha aur protsaahit bhee kar raha thaa; kintu svayan lakada़ee uthaane men haath naheen lagaata tha .

udharase ghoda़epar baithe ek sajjan nikale. unhonne naayakase kahaa—'aap bhee lakada़ee uthavaanemen lag jaayan to lakada़ee oopar chadha़ jaay .'

naayakane uttar diyaa—‘main is tukada़eeka naayak hoon.' 'aap mujhe kshama karen.' ve sajjan ghoda़eparase utar 4 pada़e. apana kot unhonne utaar diya, topee alag rakh dee aur kameejakee baanhen oopar chadha़aakar sainikonke saathajut gaye. unake parishram tatha sahayogaka parinaam yah hua ki lakada़ee oopar chadha़ gayee dhanyavaad mahodaya!' naayakane un sajjanako lakada़ee chadha़ jaanepar kahaa

apana kot pahinate hue ve bole-'isamen dhanyavaadakee to koee baat naheen. aapako jab kabhee aisee aavashyakata ho to apane pradhaan senaapatike paas sandesh bhej diya karen, jisase main aakar aapakee sahaayata kar jaaya karoon; kyonki mujhe pata hai ki parishram karana heenataakee naheen, gauravakee vastu hai . '

'pradhaan senaapati !' bechaara naayak to hakka bakka rah gayaa. parantu pradhaan senaapati ghoda़epar chadha़kar sheeghrataapoorvak vahaanse aage nikal gaye.

- su0 sin0

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