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पूरे सालभर आम नहीं खाये !  [शिक्षदायक कहानी]
छोटी सी कहानी - Hindi Story (प्रेरक कहानी)

एक बार गांधीजीके यहाँ, जब कि वे आठ वर्षके थे, कोई उत्सव था। उस दिन भोजनके लिये कई लोग आमन्त्रित थे जिनमें गाँधीजीके एक समवयस्क मित्र भी थे। उस दिन भोजनमें प्रधान खाद्य वस्तु थी आमका फल। भूलसे उस दिन उचित समयपर उस मित्रको सूचना नहीं मिल सकी। अतएव वह सम्मिलित नहींहो सका। गांधीजीको इससे बड़ा आघात पहुँचा। बस ! शिष्टाचारकी इस चूकके प्रायश्चित्तमें उस दिनसे उन्होंने आम न खानेका व्रत ले लिया और पूरे एक वर्षतक आम नहीं खाये। उनके माता-पिता तथा पूर्वोक्त मित्रने भी बड़ा आग्रह किया कि वे इस व्रतको छोड़ दें; पर उन्होंने अपनी टेक पूरी करके ही छोड़ी। - जा0 श0



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poore saalabhar aam naheen khaaye !

ek baar gaandheejeeke yahaan, jab ki ve aath varshake the, koee utsav thaa. us din bhojanake liye kaee log aamantrit the jinamen gaandheejeeke ek samavayask mitr bhee the. us din bhojanamen pradhaan khaady vastu thee aamaka phala. bhoolase us din uchit samayapar us mitrako soochana naheen mil sakee. ataev vah sammilit naheenho sakaa. gaandheejeeko isase bada़a aaghaat pahunchaa. bas ! shishtaachaarakee is chookake praayashchittamen us dinase unhonne aam n khaaneka vrat le liya aur poore ek varshatak aam naheen khaaye. unake maataa-pita tatha poorvokt mitrane bhee baड़a aagrah kiya ki ve is vratako chhoda़ den; par unhonne apanee tek pooree karake hee chhoda़ee. - jaa0 sha0

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यह तो जाने दुनिया सारी है
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जिंदगी एक किराये का घर है,
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तू राधे राधे गा ,
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दिल दीवाना हो गया, दिल दीवाना हो गया ॥
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