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लेनदार कौन  [Spiritual Story]
हिन्दी कहानी - हिन्दी कहानी (Hindi Story)

लेनदार कौन ?

छात्र जीवनमें स्वामी रामतीर्थको दूध बड़ा प्रिय था। वे एक हलवाईसे खरीदकर प्रतिदिन दूध पिया करते थे। एक बार पैसोंकी तंगी होनेसे वे एक महीनेका दूधका दाम हलवाईको नहीं दे पाये। इसके कुछ ही दिनोंके पश्चात् उनकी लाहौरके फोरमेन क्रिश्चियन कालेजमें अध्यापकके पदपर नियुक्ति हुई और उन्हें नियमित वेतन मिलने लगा। तब वे प्रतिमाह हलवाईको मनीआर्डरसे रकम भेजने लगे।
संयोगसे हलवाईको लाहौर जाना पड़ा और उसकी मुलाकात स्वामीजीसे हुई। तब वह हाथ जोड़कर उनसे बोला-'गोसाईजी, आपसे एक ही महीनेका पैसा पाना था, मगर आप तो पिछले छह-सात महीनेसे बराबर पैसे भेजे जा रहे हैं। मैंने आपका सब पैसा जमा कर रखा है। वह मैं लौटा दूंगा, किंतु अब आप पैसे न भेजा करें।
स्वामीजीने मुसकराकर कहा-'भैया! मैं तुम्हाराबड़ा आभारी हूँ। उस वक्त तुमने जो मुझपर कृपा की, उससे मेरा स्वास्थ्य बना रहा। इसी कारण मैं इतना काम कर सकता हूँ। तुम्हारा कर्ज न तो अदा कर पाया हूँ और न ही जीवनभर अदा कर पाऊँगा।'
वे आगे बोले-'जो मनुष्य लेकर देना नहीं चाहते, वे 'राक्षस' कहलाते हैं। जो व्यक्ति जितना लेते हैं, उतना नाप-तौलके देते हैं, वे 'मनुष्य' हैं। जो जितना लेते हैं, उससे कई गुना देते हैं और यह सोचते हैं कि हमने एहसानका बदला कहीं अधिक चुका दिया, वे 'देवता 'के बराबर होते हैं, किंतु जो थोड़ा लेकर सदा उसका एहसान मानते हैं और उसे बिना नाप-तौलके चुकानेका प्रयास करते हैं, वे ब्रह्मत्वको प्राप्त होते हैं और भगवान्की पदवी पाते हैं। इसलिये भाई ! मैं तो 'भगवान्' बननेका प्रयास कर रहा हूँ; क्योंकि तुमने मुझे दिया है और तुम्हारी बदौलत ही कदाचित् प्रभुने मुझे इस योग्य बनाया है।'



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lenadaar kauna

lenadaar kaun ?

chhaatr jeevanamen svaamee raamateerthako doodh bada़a priy thaa. ve ek halavaaeese khareedakar pratidin doodh piya karate the. ek baar paisonkee tangee honese ve ek maheeneka doodhaka daam halavaaeeko naheen de paaye. isake kuchh hee dinonke pashchaat unakee laahaurake phoramen krishchiyan kaalejamen adhyaapakake padapar niyukti huee aur unhen niyamit vetan milane lagaa. tab ve pratimaah halavaaeeko maneeaardarase rakam bhejane lage.
sanyogase halavaaeeko laahaur jaana pada़a aur usakee mulaakaat svaameejeese huee. tab vah haath joda़kar unase bolaa-'gosaaeejee, aapase ek hee maheeneka paisa paana tha, magar aap to pichhale chhaha-saat maheenese baraabar paise bheje ja rahe hain. mainne aapaka sab paisa jama kar rakha hai. vah main lauta doonga, kintu ab aap paise n bheja karen.
svaameejeene musakaraakar kahaa-'bhaiyaa! main tumhaaraabada़a aabhaaree hoon. us vakt tumane jo mujhapar kripa kee, usase mera svaasthy bana rahaa. isee kaaran main itana kaam kar sakata hoon. tumhaara karj n to ada kar paaya hoon aur n hee jeevanabhar ada kar paaoongaa.'
ve aage bole-'jo manushy lekar dena naheen chaahate, ve 'raakshasa' kahalaate hain. jo vyakti jitana lete hain, utana naapa-taulake dete hain, ve 'manushya' hain. jo jitana lete hain, usase kaee guna dete hain aur yah sochate hain ki hamane ehasaanaka badala kaheen adhik chuka diya, ve 'devata 'ke baraabar hote hain, kintu jo thoड़a lekar sada usaka ehasaan maanate hain aur use bina naapa-taulake chukaaneka prayaas karate hain, ve brahmatvako praapt hote hain aur bhagavaankee padavee paate hain. isaliye bhaaee ! main to 'bhagavaan' bananeka prayaas kar raha hoon; kyonki tumane mujhe diya hai aur tumhaaree badaulat hee kadaachit prabhune mujhe is yogy banaaya hai.'

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