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सभ्यता और सज्जनताकी कसौटी  [छोटी सी कहानी]
प्रेरक कथा - Shikshaprad Kahani (Hindi Story)

सभ्यता और सज्जनताकी कसौटी

काषायवस्त्रधारी स्वामी विवेकानन्द अमेरिकाके शिकागोनगरमें सड़कसे जा रहे थे। उनका यह वेश अमेरिकावासियोंके लिये कौतूहलकी वस्तु था। पीछे आ रही एक अमेरिकन महिलाने अपने साथी पुरुषसे कहा—'जरा इन महाशयकी एक अजीब पोशाकको तो देखो!'
स्वामीजीने वह व्यंग्य सुना। वे जरारुकेऔर
मुड़कर उस महिलासे बोले-'देवी! आपके देशमें दर्जी सभ्यताके उत्पादक और कपड़े सज्जनताकी कसौटी माने जाते हैं, पर जिस देशसे मैं आया हूँ, वहाँ कपड़ोंसे नहीं, मनुष्यके चरित्रसे उसकी पहचान की जाती है।'
यह सुनकर वह महिला बड़ी ही लज्जित हुई।



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sabhyata aur sajjanataakee kasautee

sabhyata aur sajjanataakee kasautee

kaashaayavastradhaaree svaamee vivekaanand amerikaake shikaagonagaramen sada़kase ja rahe the. unaka yah vesh amerikaavaasiyonke liye kautoohalakee vastu thaa. peechhe a rahee ek amerikan mahilaane apane saathee purushase kahaa—'jara in mahaashayakee ek ajeeb poshaakako to dekho!'
svaameejeene vah vyangy sunaa. ve jaraarukeaura
muda़kar us mahilaase bole-'devee! aapake deshamen darjee sabhyataake utpaadak aur kapada़e sajjanataakee kasautee maane jaate hain, par jis deshase main aaya hoon, vahaan kapaड़onse naheen, manushyake charitrase usakee pahachaan kee jaatee hai.'
yah sunakar vah mahila bada़ee hee lajjit huee.

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तेरे दर पे सर झुकाना
हम प्रेम नगर के बंजारिन है
जप ताप और साधन क्या जाने
मुझे चाहिए बस सहारा तुम्हारा,
के नैनों में गोविन्द नज़ारा तुम्हार
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यो तो कालो नहीं है मतवारो, जगत उज्य
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किसी को भांग का नशा है मुझे तेरा नशा है,
भोले ओ शंकर भोले मनवा कभी न डोले,
ज़िंदगी मे हज़ारो का मेला जुड़ा
हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा
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फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
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वृंदावन में हुकुम चले बरसाने वाली का,
कान्हा भी दीवाना है श्री श्यामा
अपने दिल का दरवाजा हम खोल के सोते है
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