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हीन कौन  [आध्यात्मिक कहानी]
छोटी सी कहानी - Story To Read (शिक्षदायक कहानी)

हीन कौन ?

एक बार ईरानी सन्त शेख सादी मक्काकी ओर पैदल जा रहे थे। गर्मीके दिन थे और बालू गर्म हो गयी थी। अतः उनके पैर उस तप्त बालुकासे जले जा रहे थे; जबकि अन्य यात्री घोड़ों, खच्चरों और ऊँटोंपर यात्रा कर रहे थे। यह देख उनके मनमें विचार उठा कि अल्लाह भी सबको समान दृष्टिसे नहीं देखता, तभी तो सब यात्री वाहनोंपर चढ़कर जा रहे हैं, जबकि मुझे पैदल ही जाना पड़ रहा है।
इतनेमें उन्हें एक फकीर, जिसके दोनों पैर कटे हुए थे, हाथ और जाँघोंके बलपर चलता हुआ दीखा। उन्हें यह देख बड़ी ही करुणा हुई; साथ ही पश्चात्ताप भी हुआ कि थोड़ी ही देर पूर्व वे व्यर्थ ही अल्लाहको कोस रहे थे। वे मन-ही-मन बोले- 'या खुदा! भले ही तूने मुझे हजारोंमें हीन बनाया, किंतु एक पंगु फकीरसे तो निश्चित ही तूने मुझे भला बनाया। मुझे माफ कर, जो तेरी करनीके बारेमें मेरे मनमें कुविचार उत्पन्न हुए थे।'



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heen kauna

heen kaun ?

ek baar eeraanee sant shekh saadee makkaakee or paidal ja rahe the. garmeeke din the aur baaloo garm ho gayee thee. atah unake pair us tapt baalukaase jale ja rahe the; jabaki any yaatree ghoda़on, khachcharon aur oontonpar yaatra kar rahe the. yah dekh unake manamen vichaar utha ki allaah bhee sabako samaan drishtise naheen dekhata, tabhee to sab yaatree vaahanonpar chadha़kar ja rahe hain, jabaki mujhe paidal hee jaana pada़ raha hai.
itanemen unhen ek phakeer, jisake donon pair kate hue the, haath aur jaanghonke balapar chalata hua deekhaa. unhen yah dekh bada़ee hee karuna huee; saath hee pashchaattaap bhee hua ki thoda़ee hee der poorv ve vyarth hee allaahako kos rahe the. ve mana-hee-man bole- 'ya khudaa! bhale hee toone mujhe hajaaronmen heen banaaya, kintu ek pangu phakeerase to nishchit hee toone mujhe bhala banaayaa. mujhe maaph kar, jo teree karaneeke baaremen mere manamen kuvichaar utpann hue the.'

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क्या दे दे भई, क्या दे दे
मुझे चाहिए बस सहारा तुम्हारा,
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बहुत दिन बीत गए, बहुत युग बीत गए ॥
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