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हेनरी जेम्स और आँसू  [छोटी सी कहानी]
प्रेरक कथा - Story To Read (हिन्दी कहानी)

हेनरी जेम्स और आँसू

नवयुगके अंग्रेजी उपन्यासकारोंमें हेनरी जेम्स (1843 - 1916 ई0 ) - का स्थान सर्वोच्च माना जाता है। संयोगवश उनका अपने एक पड़ोसीसे मनमुटाव हो गया, जो यहाँतक बढ़ा कि आपसी बोलचाल, दुआ सलाम सब बन्द हो गयी। कभी भूलसे एक-दूसरे सामने आ भी जाते, तो मुँह फेर लेते थे। एक दिन उस पड़ोसीके यहाँ किसीकी मृत्यु हो गयी। लोगोंने आश्चर्यसे देखा कि हेनरी जेम्स सारे भेद-भावको भुलाकर अपने पड़ोसीको सान्त्वना देनेके लिये उपस्थित थे। एक महाशयसे न रहा गया। उन्होंने चकित होकर पूछा- 'जेम्स ! तुम कहाँ ?' 'जहाँ आँसू वहीं मैं।' जेम्सने उत्तर दिया- 'यह कैसे सम्भव है कि आँसू गिरें और जेम्स पोंछने न जाय।'



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henaree jems aur aansoo

henaree jems aur aansoo

navayugake angrejee upanyaasakaaronmen henaree jems (1843 - 1916 ee0 ) - ka sthaan sarvochch maana jaata hai. sanyogavash unaka apane ek pada़oseese manamutaav ho gaya, jo yahaantak badha़a ki aapasee bolachaal, dua salaam sab band ho gayee. kabhee bhoolase eka-doosare saamane a bhee jaate, to munh pher lete the. ek din us pada़oseeke yahaan kiseekee mrityu ho gayee. logonne aashcharyase dekha ki henaree jems saare bheda-bhaavako bhulaakar apane pada़oseeko saantvana deneke liye upasthit the. ek mahaashayase n raha gayaa. unhonne chakit hokar poochhaa- 'jems ! tum kahaan ?' 'jahaan aansoo vaheen main.' jemsane uttar diyaa- 'yah kaise sambhav hai ki aansoo giren aur jems ponchhane n jaaya.'

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