⮪ All भगवान की कृपा Experiences

कृपा का वास्तविक अर्थ

वन्दे सीतारामी परमेश्वरी प्रकृतिपुरुषी कृपामूर्ती ब्रह्मणी

कृप् धातु द्रवीकरण अर्थमें पढ़ी गयी। इस धातुमें अङ् प्रत्यय लगनेसे 'कृपा' शब्द सिद्ध होता है। अतएव कृपा शब्दका अर्थ हुआ द्रवीभूत होना, पसीजना, पिघलना, कठोरसे कोमल होना। कृपामें दयाका बीज होता है धरम कि दया सरिस हरिजाना। कृपामें दया झलकती है। कृपालु ही दयालु होता है। परमात्माको परम कृपालु और दीनदयालु कहा गया है। भगवान् कृपाके मन्दिर हैं, दयाके सागर हैं। भगवान्‌के इस सहज गुणकी अनुभूति जिसे है, उसे यह एकराट् नमस्कारोंकी आहुति दे रहा है। 'कृपा' शब्दके अनुसन्धानके सन्दर्भमें हमने श्रीरामचरितमानसका आश्रय लिया। मानससमुद्रका मन्थन किया। इसमें डुबकी लगायी। मानसमें कृपासे सम्बन्ध रखनेवाले कृपा, कृपा, कृपाल, कृपालु, कृपायतन, सुकृपाँ कृपानिकेत, कृपानिकेता, कृपानिधि, कृपासिंधु, कृपालू कृपानंद, कृपाला, कृपानिधान, कृपानिधाना, कृपारूप, कृपानिकेतु, कृपाकर, कृपापात्र, कृपादृष्टि, कृपाबिलोकनि, कृपाकटाच्छु आदि शब्द प्रयुक्त हैं। हमें कृपाके नाना रत्न मिले कृपा एवं कृपापन्न शब्दोंकी संख्या रामचरितमानसके बालकाण्ड ४४, अयोध्याकाण्डमें २७, अरण्यकाण्डमें २२ किष्किंधाकाण्ड १२, सुन्दरकाण्डमें २७ उत्तरकाण्डमें ७३ पायी गयी है। कुल २५४ रत्न हाथ लगे। स्थानाभावके कारण उन्हीं रत्नोंमें से कतिपय सन्दर्भरत्नों को यहाँ सर्वसमक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है।

गोस्वामी श्रीतुलसीदासजी निर्मल मतिके लिये माता जानकीकी कृपा माँग रहे हैं ताके जुग पद कमल मनावउँ जासु कृपाँ निरमल मति पावउँ 1

(रा०च०मा० १।१८८) रामको कृपाको विघ्ननाशक कहा गया है सकल विघ्न व्यापहिं नहिं तेही राम सुकृपा बिलोकहिं जेही ॥ (रा०च०मा० १ ३९/५)

भरद्वाजमुनि श्रीरामसे एकमात्र कृपासे ही सिद्ध होनेवाले भगवत्प्रेमरूप वरको याचना कर रहे हैं अब करि कृपा देहु बर एहू निज पद सरसिज सहज सनेहू ।।

(रा०च०मा० २ १०७।८)
सुग्रीवजी निष्कामता आदि गुणोंकी प्राप्तिके सम्बन्धमें कृपाको कारण मानकर कहते हैं यह गुन साधन तें नहि होई। तुम्हरी कृपाँ पाव कोड़ कोई ॥

(रा०च०मा० ४ २१ ६)

पुनः सुग्रीवजी कृपाको ही मनकी चंचलता हटनेवाली कह रहे हैं-

नाथ कृपाँ मन भयउ अलोला ॥

(रा०च०मा० ४। ७। १५) सम्पाती गीध सूर्यकिरणोंसे झुलसे अपने शरीरको हरा-भरा देखकर कहता है

राम कृपा कस भयउ सरीरा ॥

(रा०च०मा० ४। २९।२)

जाम्बवान्जी कार्यसिद्धिमें भगवत्कृपाको ही कारण मानकर श्रीरामसे कहते हैं प्रभु की कृपा भयउ सब काजू। जन्म हमार सुफल भा आजू ॥

(रा०च०मा० ५। ३० । ४)

श्रीविभीषणजी परमात्मा रामसे उनकी कृपामयी अनुकूलताका फल बताते हुए कहते हैं

तुम्ह कृपाल जा पर अनुकूला। ताहि न व्याप त्रिविध भव सूला ॥

(रा०च०मा० ५ ४७।६)

श्रीराम कृपा एवं स्नेहके सदन हैं

कृपा सनेह सदन रघुराऊ ॥

(रा०च०मा० २ १८३।५)

श्रीराम क्षणभरमें साधकके शत्रुओंका संहार करते हैं करि उपाय रिपु मारे छन महुँ कृपानिधान ।।

(रा०च०मा० ३ २०क)

निरीह पशु-पक्षियोंको भी भगवान्‌का कृपाप्रसाद सुलभ है। भगवान् घायल हुए जटायुके सिरका स्पर्श करते हैं

कर सरोज सिर परसेउ कृपासिंधु रघुबीर।

(रा०च०मा० ३।३०)

भगवान् अकारण कृपा करते हैं कोमल चित अति दीनदयाला। कारन बिनु रघुनाथ कृपाला ॥

(रा०च०मा० ३।३३/१)

भगवान्‌के स्वभावमें अतिशय कृपालुता है-

अति कोमल रघुवीर सुभाऊ ।(रा०च०मा० ५५७१५)

गोस्वामीजी कृपाके महत्त्वका प्रतिपादन करते हुए कहते हैं

गरुड़ सुमेरु रेनु सम ताही राम कृपा करि चितवा जाही ॥

(रा०च०मा०] [५1५1३)

विभीषणजी भ्राता रावणसे श्रीरामके लोकमंगलसाधक कृपामय स्वरूपका परिचय दे रहे हैं-
गो द्विज धेनु देव हितकारी। कृपासिंधु मानुष तनुधारी ॥

(रा०च०मा० ५। ३९।३)

श्रीरामने अपना अपराध करनेवाले समुद्रकी भीइच्छाको पूर्ण किया

सुनि कृपाल सागर मन पीरा। तुरतहिं हरी राम रनधीरा ॥

(रा०च०मा० ५। ६०।६)

पतिमरणरूप दारुण कष्टको भी भगवान्‌की कृपा ही समझनेवाली मन्दोदरी रोती हुई कहती है अहह नाथ रघुनाथ सम कृपासिंधु नहि आन ।।

(रा०च०मा० ६ १०४ )

राममें कृपा भरी है। वे समर्थ होकर भी समुद्रको

आज्ञा नहीं देते, अपितु याचना करते हैं मागत पंथ कृपा मन माहीं ॥

(रा०च०मा० ५५६/३)

रावणसे युद्धरत, जीवन-मरणके बीच फँसे निरुपाय

वानरगण रामजीसे रक्षाकी याचना करते हैं कृपा वारिधर राम खरारी पाहि पाहि प्रनतारति हारी॥

(रा०च०मा० ६ ७० । ४)

कृपामयता एवं भक्तवात्सल्य भगवान्‌का स्वरूपगत

धर्म है

भगत बछल कृपाल रघुराई ॥

(रा०च०मा० ७ ११/५)

मानसकार कहते हैं कि श्रीभगवान् ही अज्ञानमाया आदिके नियामक हैं और उनका कृपामय स्वरूप ही इन्हें निवृत्त करनेवाला है

माया पति कृपाल भगवाना ।।

(रा०च०मा० ७ ८२।६)
गोस्वामीजी ज्ञानप्राप्तिके विषयमें भी भगवत्कृपाको ही हेतुभूता कहते हैं

राम कृपा बिनु नहि कोट लहई ।

(०च०पा० ७ १२०(१)

भगवानका स्वरूप आनन्द एवं कृपाका आश्रयस्थल

है परमानंद कृपायतन मन परिपूरन काम।

(स०च०मा० ७ ३

सिव अज पूज्य चरन रघुराई मो पर कृपा परम मृदुलाई ॥

(रा०च०मा० ७ १२४३)

कृपामय श्रीभगवानका नाम भी उन्हीं भगवत्स्वरूपगत

गुणोंसे समन्वित है जासु नाम भव भेषज हरन घोर त्रय सूल

सो कृपाल मोहि तो पर सदा रहउ अनुकूल। (रा०च०मा० ७ १२४क) जिस अदृश्य सत्तासे जीवका दुःख मिटे, जीवका परम कल्याण हो, उसका नाम कृपा है। यह कृपा सीताके रूपमें रामके पास है, उमाके रूपमें शिवके पास है, लक्ष्मीके रूपमें नारायणके पास सतत रहती है। यह कृपा अखिल जगत्की माता है, कल्याणकी प्रसवित्री है, अशुभको निहन्त्री है। जिस कृपासे युक्त होकर राम, शिव, विष्णु कृपावान् हैं, उस कृपारूपिणी मूलप्रकृतिको हमारा साष्टांग प्रणाम। कृपाकी देवी मूलप्रकृति माता सीता हैं। इन देवी मातासे युक्त होनेके कारण परमपुरुष देव राम हैं। सीतासहित राम कृपामय हैं। सस्त्री प्रत्येक पुरुष कृपामय है रामभक्त शिव आदि देवता भी कृपाके समुद्र हैं। 'कृपा' शब्द स्त्रीलिंग है। कृपामें कृ—करोति, पा पाति-पिबति से जो उत्पादन, पालन, संहार करती है, वह गुणमयी आद्याशक्ति कृपा है। यह भक्तोंके लिये भोग उत्पन्न करती है, भक्तोंका पालन-रक्षण करती है तथा भक्तोंके साधनानुष्ठानके विघातक शत्रुओंका संहार करती है। समस्त स्त्रियं कृपाकी मूर्ति हैं स्त्रीवान् समस्त पुरुष कृपावान् हैं। प्रज्ञा स्त्री है। प्रत्येक प्रज्ञावान् कृपावान् है। भगवान् परम प्रज्ञावान् हैं। भगवान्का भक्त कृपावान् होता है।



You may also like these:

Real Life Experience प्रभुकृपा


kripa ka vaastavik artha

vande seetaaraamee parameshvaree prakritipurushee kripaamoortee brahmanee

krip dhaatu draveekaran arthamen padha़ee gayee. is dhaatumen an pratyay laganese 'kripaa' shabd siddh hota hai. ataev kripa shabdaka arth hua draveebhoot hona, paseejana, pighalana, kathorase komal honaa. kripaamen dayaaka beej hota hai dharam ki daya saris harijaanaa. kripaamen daya jhalakatee hai. kripaalu hee dayaalu hota hai. paramaatmaako param kripaalu aur deenadayaalu kaha gaya hai. bhagavaan kripaake mandir hain, dayaake saagar hain. bhagavaan‌ke is sahaj gunakee anubhooti jise hai, use yah ekaraat namaskaaronkee aahuti de raha hai. 'kripaa' shabdake anusandhaanake sandarbhamen hamane shreeraamacharitamaanasaka aashray liyaa. maanasasamudraka manthan kiyaa. isamen dubakee lagaayee. maanasamen kripaase sambandh rakhanevaale kripa, kripa, kripaal, kripaalu, kripaayatan, sukripaan kripaaniket, kripaaniketa, kripaanidhi, kripaasindhu, kripaaloo kripaanand, kripaala, kripaanidhaan, kripaanidhaana, kripaaroop, kripaaniketu, kripaakar, kripaapaatr, kripaadrishti, kripaabilokani, kripaakataachchhu aadi shabd prayukt hain. hamen kripaake naana ratn mile kripa evan kripaapann shabdonkee sankhya raamacharitamaanasake baalakaand 44, ayodhyaakaandamen 27, aranyakaandamen 22 kishkindhaakaand 12, sundarakaandamen 27 uttarakaandamen 73 paayee gayee hai. kul 254 ratn haath lage. sthaanaabhaavake kaaran unheen ratnonmen se katipay sandarbharatnon ko yahaan sarvasamaksh prastut kiya ja raha hai.

gosvaamee shreetulaseedaasajee nirmal matike liye maata jaanakeekee kripa maang rahe hain taake jug pad kamal manaavaun jaasu kripaan niramal mati paavaun 1

(raa0cha0maa0 1.188) raamako kripaako vighnanaashak kaha gaya hai sakal vighn vyaapahin nahin tehee raam sukripa bilokahin jehee .. (raa0cha0maa0 1 39/5)

bharadvaajamuni shreeraamase ekamaatr kripaase hee siddh honevaale bhagavatpremaroop varako yaachana kar rahe hain ab kari kripa dehu bar ehoo nij pad sarasij sahaj sanehoo ..

(raa0cha0maa0 2 107.8)
sugreevajee nishkaamata aadi gunonkee praaptike sambandhamen kripaako kaaran maanakar kahate hain yah gun saadhan ten nahi hoee. tumharee kripaan paav koda़ koee ..

(raa0cha0maa0 4 21 6)

punah sugreevajee kripaako hee manakee chanchalata hatanevaalee kah rahe hain-

naath kripaan man bhayau alola ..

(raa0cha0maa0 4. 7. 15) sampaatee geedh sooryakiranonse jhulase apane shareerako haraa-bhara dekhakar kahata hai

raam kripa kas bhayau sareera ..

(raa0cha0maa0 4. 29.2)

jaambavaanjee kaaryasiddhimen bhagavatkripaako hee kaaran maanakar shreeraamase kahate hain prabhu kee kripa bhayau sab kaajoo. janm hamaar suphal bha aajoo ..

(raa0cha0maa0 5. 30 . 4)

shreevibheeshanajee paramaatma raamase unakee kripaamayee anukoolataaka phal bataate hue kahate hain

tumh kripaal ja par anukoolaa. taahi n vyaap trividh bhav soola ..

(raa0cha0maa0 5 47.6)

shreeraam kripa evan snehake sadan hain

kripa saneh sadan raghuraaoo ..

(raa0cha0maa0 2 183.5)

shreeraam kshanabharamen saadhakake shatruonka sanhaar karate hain kari upaay ripu maare chhan mahun kripaanidhaan ..

(raa0cha0maa0 3 20ka)

nireeh pashu-pakshiyonko bhee bhagavaan‌ka kripaaprasaad sulabh hai. bhagavaan ghaayal hue jataayuke siraka sparsh karate hain

kar saroj sir paraseu kripaasindhu raghubeera.

(raa0cha0maa0 3.30)

bhagavaan akaaran kripa karate hain komal chit ati deenadayaalaa. kaaran binu raghunaath kripaala ..

(raa0cha0maa0 3.33/1)

bhagavaan‌ke svabhaavamen atishay kripaaluta hai-

ati komal raghuveer subhaaoo .(raa0cha0maa0 55715)

gosvaameejee kripaake mahattvaka pratipaadan karate hue kahate hain

garuda़ sumeru renu sam taahee raam kripa kari chitava jaahee ..

(raa0cha0maa0] [51513)

vibheeshanajee bhraata raavanase shreeraamake lokamangalasaadhak kripaamay svaroopaka parichay de rahe hain-
go dvij dhenu dev hitakaaree. kripaasindhu maanush tanudhaaree ..

(raa0cha0maa0 5. 39.3)

shreeraamane apana aparaadh karanevaale samudrakee bheeichchhaako poorn kiyaa

suni kripaal saagar man peeraa. turatahin haree raam ranadheera ..

(raa0cha0maa0 5. 60.6)

patimaranaroop daarun kashtako bhee bhagavaan‌kee kripa hee samajhanevaalee mandodaree rotee huee kahatee hai ahah naath raghunaath sam kripaasindhu nahi aan ..

(raa0cha0maa0 6 104 )

raamamen kripa bharee hai. ve samarth hokar bhee samudrako

aajna naheen dete, apitu yaachana karate hain maagat panth kripa man maaheen ..

(raa0cha0maa0 556/3)

raavanase yuddharat, jeevana-maranake beech phanse nirupaaya

vaanaragan raamajeese rakshaakee yaachana karate hain kripa vaaridhar raam kharaaree paahi paahi pranataarati haaree..

(raa0cha0maa0 6 70 . 4)

kripaamayata evan bhaktavaatsaly bhagavaan‌ka svaroopagata

dharm hai

bhagat bachhal kripaal raghuraaee ..

(raa0cha0maa0 7 11/5)

maanasakaar kahate hain ki shreebhagavaan hee ajnaanamaaya aadike niyaamak hain aur unaka kripaamay svaroop hee inhen nivritt karanevaala hai

maaya pati kripaal bhagavaana ..

(raa0cha0maa0 7 82.6)
gosvaameejee jnaanapraaptike vishayamen bhee bhagavatkripaako hee hetubhoota kahate hain

raam kripa binu nahi kot lahaee .

(0cha0paa0 7 120(1)

bhagavaanaka svaroop aanand evan kripaaka aashrayasthala

hai paramaanand kripaayatan man paripooran kaama.

(sa0cha0maa0 7 3

siv aj poojy charan raghuraaee mo par kripa param mridulaaee ..

(raa0cha0maa0 7 1243)

kripaamay shreebhagavaanaka naam bhee unheen bhagavatsvaroopagata

gunonse samanvit hai jaasu naam bhav bheshaj haran ghor tray soola

so kripaal mohi to par sada rahau anukoola. (raa0cha0maa0 7 124ka) jis adrishy sattaase jeevaka duhkh mite, jeevaka param kalyaan ho, usaka naam kripa hai. yah kripa seetaake roopamen raamake paas hai, umaake roopamen shivake paas hai, lakshmeeke roopamen naaraayanake paas satat rahatee hai. yah kripa akhil jagatkee maata hai, kalyaanakee prasavitree hai, ashubhako nihantree hai. jis kripaase yukt hokar raam, shiv, vishnu kripaavaan hain, us kripaaroopinee moolaprakritiko hamaara saashtaang pranaama. kripaakee devee moolaprakriti maata seeta hain. in devee maataase yukt honeke kaaran paramapurush dev raam hain. seetaasahit raam kripaamay hain. sastree pratyek purush kripaamay hai raamabhakt shiv aadi devata bhee kripaake samudr hain. 'kripaa' shabd streeling hai. kripaamen kri—karoti, pa paati-pibati se jo utpaadan, paalan, sanhaar karatee hai, vah gunamayee aadyaashakti kripa hai. yah bhaktonke liye bhog utpann karatee hai, bhaktonka paalana-rakshan karatee hai tatha bhaktonke saadhanaanushthaanake vighaatak shatruonka sanhaar karatee hai. samast striyan kripaakee moorti hain streevaan samast purush kripaavaan hain. prajna stree hai. pratyek prajnaavaan kripaavaan hai. bhagavaan param prajnaavaan hain. bhagavaanka bhakt kripaavaan hota hai.

262 Views





Bhajan Lyrics View All

रंग डालो ना बीच बाजार
श्याम मैं तो मर जाऊंगी
लाली की सुनके मैं आयी
कीरत मैया दे दे बधाई
वृन्दावन के बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ।
मीठी मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजे,
होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे
जगत में किसने सुख पाया
जो आया सो पछताया, जगत में किसने सुख
मेरा यार यशुदा कुंवर हो चूका है
वो दिल हो चूका है जिगर हो चूका है
सब दुख दूर हुए जब तेरा नाम लिया
कौन मिटाए उसे जिसको राखे पिया
शिव समा रहे मुझमें
और मैं शून्य हो रहा हूँ
बांके बिहारी की देख छटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा।
मुँह फेर जिधर देखु मुझे तू ही नज़र आये
हम छोड़के दर तेरा अब और किधर जाये
वृन्दावन धाम अपार, जपे जा राधे राधे,
राधे सब वेदन को सार, जपे जा राधे राधे।
नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल सा घराना हो
चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से
हो मेरी लाडो का नाम श्री राधा
श्री राधा श्री राधा, श्री राधा श्री
तेरे बगैर सांवरिया जिया नही जाये
तुम आके बांह पकड लो तो कोई बात बने‌॥
ਮੇਰੇ ਕਰਮਾਂ ਵੱਲ ਨਾ ਵੇਖਿਓ ਜੀ,
ਕਰਮਾਂ ਤੋਂ ਸ਼ਾਰਮਾਈ ਹੋਈ ਆਂ
सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है ।
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे द्वार,
यहाँ से गर जो हरा कहाँ जाऊँगा सरकार
राधे तेरे चरणों की अगर धूल जो मिल जाए
सच कहता हू मेरी तकदीर बदल जाए
मुझे चढ़ गया राधा रंग रंग, मुझे चढ़ गया
श्री राधा नाम का रंग रंग, श्री राधा नाम
जग में सुन्दर है दो नाम, चाहे कृष्ण कहो
बोलो राम राम राम, बोलो श्याम श्याम
मोहे आन मिलो श्याम, बहुत दिन बीत गए।
बहुत दिन बीत गए, बहुत युग बीत गए ॥
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यूँ गोरी, मैं क्यूँ काला
बृज के नन्द लाला राधा के सांवरिया
सभी दुख: दूर हुए जब तेरा नाम लिया
रंगीलो राधावल्लभ लाल, जै जै जै श्री
विहरत संग लाडली बाल, जै जै जै श्री
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना
गोवर्धन वासी सांवरे, गोवर्धन वासी
तुम बिन रह्यो न जाय, गोवर्धन वासी
अपने दिल का दरवाजा हम खोल के सोते है
सपने में आ जाना मईया,ये बोल के सोते है
यह मेरी अर्जी है,
मैं वैसी बन जाऊं जो तेरी मर्ज़ी है
सारी दुनियां है दीवानी, राधा रानी आप
कौन है, जिस पर नहीं है, मेहरबानी आप की

New Bhajan Lyrics View All

मनै दर्श दिखा गई री माँ शेरावाली री...
मुझे तुमने दाता बहुत कुछ दिया है,
तेरा शुक्रिया है,
मेहराँवाली माँ, मेहरा दे छीटे मार दे,
दर तेरे ते आये मईया,
जो भजते मुझे भाव से, मैं उनका ही बन जाता
बजरंगबली हनुमान,
सब तेरे है संतान,