⮪ All Stories / कथा / कहानियाँ

अनपढ़ होय, सो गये  [छोटी सी कहानी]
Spiritual Story - Shikshaprad Kahani (Story To Read)

अनपढ़ होय, सो गये

मकर संक्रान्तिके पर्वपर एक अनपढ़ दामाद अपनी ससुराल गया। उसका ससुर खेतपर चला गया था। इस बीच एक आदमी दूसरे गाँवसे एक चिट्ठी लेकर आया। सासने वह चिट्ठी दामादके हाथमें दी और कहा 'बेटा! जरा पढ़कर सुनाओ तो।
दामादको यह कहना अपमानकी बात लगी कि वह पढ़ना-लिखना नहीं जानता। अब वह सोचमें पड़ गया कि क्या जवाब दिया जाय ?
दामाद कोई समाचार बता नहीं रहा था। उसे देरी करते देखकर सासको शंका हुई कि चिट्ठीमें कोई अशुभ समाचार तो नहीं वहाँपर इकट्ठी हुई औरतोंने शोर मचाया कि वह चिट्ठीकी खबर तुरंत सुना दे। लेकिन दामादने चिट्ठी फेंक दी और घुटनोंपर सिर रखकर बैठ गया।
दामादको परेशान देख घरके लोगोंने समझा कि जरूर कोई रिश्तेदार मर गया है। फिर क्या था, सब लोग फूट-फूटकर रोने लगे। उन सबको रोते देख दामाद भी जोर-जोर से रोने लगा।
पास-पड़ोसके लोग भी वहाँपर इकट्ठे हो गये। वे भी रोने लगे।
ससुर खेतसे घर लौटा। उसने रोनेका कारण पूछा। पत्नीने चिट्ठी दी और बोली- 'हमारा घर डूब गया और क्या? तुम्हीं पढ़ लो।'
किसानने घबराहटमें चिट्ठी पढ़ी। उसमेंलिखा
था-'हम आपके लड़केके साथ अपनी लडकी ब्याहनेको
तैयार हैं। जल्दी इस चिट्ठीका जवाब दीजिये।'
ससुरने सभी लोगोंको यह खुशखबरी सुनाकर विदा किया। तब दामादसे पूछा- 'बेटा! तुम दुखी क्यों हुए "
दामाद बोला-' ससुरजी, मुझे पढ़ना-लिखना नहीं आता। जब मेरे हाथमें चिट्ठी दी गयी, तब मुझे अपने अनपढ़पनपर दुःख हुआ, उससे मैं रो पड़ा।'
यह सुनकर ससुरने उसे सांत्वना दी- 'दुखी मत होओ। अब भी तो तुम पढ़ना-लिखना सीख सकते हो। भले कामके लिये कभी देर नहीं।' [ श्रीबालशौरीजी रेड्डी ]

[ प्रेषक- श्रीशम्भूनाथजी 'मानव' ]



You may also like these:

Moral Story कर्मफल
बोध कथा तपोबल
हिन्दी कहानी लोभका दुष्परिणाम
छोटी सी कहानी सदाचारसे कल्याण
हिन्दी कहानी ईश्वरका सच्चा भक्त


anapaढ़ hoy, so gaye

anapaढ़ hoy, so gaye

makar sankraantike parvapar ek anapadha़ daamaad apanee sasuraal gayaa. usaka sasur khetapar chala gaya thaa. is beech ek aadamee doosare gaanvase ek chitthee lekar aayaa. saasane vah chitthee daamaadake haathamen dee aur kaha 'betaa! jara padha़kar sunaao to.
daamaadako yah kahana apamaanakee baat lagee ki vah padha़naa-likhana naheen jaanataa. ab vah sochamen pada़ gaya ki kya javaab diya jaay ?
daamaad koee samaachaar bata naheen raha thaa. use deree karate dekhakar saasako shanka huee ki chittheemen koee ashubh samaachaar to naheen vahaanpar ikatthee huee auratonne shor machaaya ki vah chittheekee khabar turant suna de. lekin daamaadane chitthee phenk dee aur ghutanonpar sir rakhakar baith gayaa.
daamaadako pareshaan dekh gharake logonne samajha ki jaroor koee rishtedaar mar gaya hai. phir kya tha, sab log phoota-phootakar rone lage. un sabako rote dekh daamaad bhee jora-jor se rone lagaa.
paasa-pada़osake log bhee vahaanpar ikatthe ho gaye. ve bhee rone lage.
sasur khetase ghar lautaa. usane roneka kaaran poochhaa. patneene chitthee dee aur bolee- 'hamaara ghar doob gaya aur kyaa? tumheen padha़ lo.'
kisaanane ghabaraahatamen chitthee padha़ee. usamenlikhaa
thaa-'ham aapake lada़keke saath apanee ladakee byaahaneko
taiyaar hain. jaldee is chittheeka javaab deejiye.'
sasurane sabhee logonko yah khushakhabaree sunaakar vida kiyaa. tab daamaadase poochhaa- 'betaa! tum dukhee kyon hue "
daamaad bolaa-' sasurajee, mujhe padha़naa-likhana naheen aataa. jab mere haathamen chitthee dee gayee, tab mujhe apane anapaढ़panapar duhkh hua, usase main ro pada़aa.'
yah sunakar sasurane use saantvana dee- 'dukhee mat hoo. ab bhee to tum padha़naa-likhana seekh sakate ho. bhale kaamake liye kabhee der naheen.' [ shreebaalashaureejee reddee ]

[ preshaka- shreeshambhoonaathajee 'maanava' ]

257 Views





Bhajan Lyrics View All

ਮੇਰੇ ਕਰਮਾਂ ਵੱਲ ਨਾ ਵੇਖਿਓ ਜੀ,
ਕਰਮਾਂ ਤੋਂ ਸ਼ਾਰਮਾਈ ਹੋਈ ਆਂ
मेरी करुणामयी सरकार, मिला दो ठाकुर से
कृपा करो भानु दुलारी, श्री राधे बरसाने
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे दवार,
यहाँ से जो मैं हारा तो कहा जाऊंगा मैं
दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया ।
राम एक देवता, पुजारी सारी दुनिया ॥
तेरा पल पल बिता जाए रे
मुख से जप ले नमः शवाए
किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए।
जुबा पे राधा राधा राधा नाम हो जाए॥
राधे तु कितनी प्यारी है ॥
तेरे संग में बांके बिहारी कृष्ण
सत्यम शिवम सुन्दरम
सत्य ही शिव है, शिव ही सुन्दर है
अपनी वाणी में अमृत घोल
अपनी वाणी में अमृत घोल
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना
अपने दिल का दरवाजा हम खोल के सोते है
सपने में आ जाना मईया,ये बोल के सोते है
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यूँ गोरी, मैं क्यूँ काला
मुझे चढ़ गया राधा रंग रंग, मुझे चढ़ गया
श्री राधा नाम का रंग रंग, श्री राधा नाम
हम प्रेम नगर के बंजारिन है
जप ताप और साधन क्या जाने
जिंदगी एक किराये का घर है,
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा॥
नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल सा घराना हो
चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो
प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार
बांके बिहारी की देख छटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा।
शिव कैलाशों के वासी, धौलीधारों के राजा
शंकर संकट हारना, शंकर संकट हारना
श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम
लोग करें मीरा को यूँ ही बदनाम
सब हो गए भव से पार, लेकर नाम तेरा
नाम तेरा हरि नाम तेरा, नाम तेरा हरि नाम
सांवरियो है सेठ, म्हारी राधा जी सेठानी
यह तो जाने दुनिया सारी है
जिनको जिनको सेठ बनाया वो क्या
उनसे तो प्यार है हमसे तकरार है ।
शिव समा रहे मुझमें
और मैं शून्य हो रहा हूँ
राधा ढूंढ रही किसी ने मेरा श्याम देखा
श्याम देखा घनश्याम देखा
कोई कहे गोविंदा, कोई गोपाला।
मैं तो कहुँ सांवरिया बाँसुरिया वाला॥
तीनो लोकन से न्यारी राधा रानी हमारी।
राधा रानी हमारी, राधा रानी हमारी॥
मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना
तुझे मिल गया पुजारी, मुझे मिल गया
करदो करदो बेडा पार, राधे अलबेली सरकार।
राधे अलबेली सरकार, राधे अलबेली सरकार॥
सांवरे से मिलने का, सत्संग ही बहाना है,
चलो सत्संग में चलें, हमें हरी गुण गाना

New Bhajan Lyrics View All

सतगुरु आवो हमरे देस,
निहारूँ वाट खड़ी,
स्वागत है स्वागत है आओ मां तेरा स्वागत
जागरण में मां से मुलाकात होएगी, दिल
महाकाल तेरे दरबार मे,
सर को झुकाने आ गए,
खाटू जी में बाबा जी को देखकर,
देखकर ही देखते रह जाते हैं,
ये श्री बालाजी महाराज हैं,
रखते भक्तो की ये लाज हैं,