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उपकारका बदला  [हिन्दी कथा]
Shikshaprad Kahani - Story To Read (Story To Read)

[7]

उपकारका बदला

एक सिंह पर्वतकी एक गुफामें सोया हुआ था। संयोगवश एक चूहा उधरसे होकर गुजरते हुए सिंहके नथुनेमें प्रविष्ट हो गया। उसके नाकमें घुसते ही सिंहकी निद्रा भंग हो गयी। चूहेके बाहर निकलनेपर सिंह आगबबूला होकर अपने पंजेके प्रहारसे उसे मार डालनेको उद्यत हुआ। मृत्युके भयसे कातर होकर चूहेने हाथ जोडकर सविनय कहा- 'महाराज। अनजानेमें मुझसे अपराध हो गया है, आप मुझे क्षमा करके प्राणदान दीजिये। आप समस्त पशुओंके राजा हैं मेरे समान ' छोटे-से जीवका वध करनेपर आपको कलंक लगेगा।' यह सुनकर सिंहको हँसी आ गयी और उसने दयापूर्वक चूहेको छोड़ दिया।
इस घटना के कुछ दिनों बाद, वही सिंह शिकारके लिये इधर-उधर भ्रमण करता हुआ एक शिकारीके जाल में फँस गया। बहुत प्रयास करनेपर भी वह स्वयंको उस बन्धन से मुक्त नहीं कर सका। अन्तमें अपने जीवनके बारेमें पूर्णतः निराश होकर वह इतनी भयंकर गर्जना करने लगा कि पूरा जंगल काँप उठा।
सिंहने पहले जिस चूहेको प्राणदान दिया था, वह उस स्थानके समीप ही निवास करता था। अपने प्राणदाताकी आवाज सुनकर वह तत्काल वहाँ आ पहुँचा। सिंहपर आये हुए इस संकटको देखकर उसने अविलम्ब जाल काटना आरम्भ कर दिया और थोड़ी ही देरमें उसे बन्धन से मुक्त कर डाला। किसीके भी ऊपर दया करना निष्फल नहीं जाता। चाहे जितना भी छोटा जीव क्यों न हो, उपकार किये जानेपर, कभी-न-कभी वह उसका बदला चुका सकता है।



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upakaaraka badalaa

[7]

upakaaraka badalaa

ek sinh parvatakee ek guphaamen soya hua thaa. sanyogavash ek chooha udharase hokar gujarate hue sinhake nathunemen pravisht ho gayaa. usake naakamen ghusate hee sinhakee nidra bhang ho gayee. chooheke baahar nikalanepar sinh aagababoola hokar apane panjeke prahaarase use maar daalaneko udyat huaa. mrityuke bhayase kaatar hokar choohene haath jodakar savinay kahaa- 'mahaaraaja. anajaanemen mujhase aparaadh ho gaya hai, aap mujhe kshama karake praanadaan deejiye. aap samast pashuonke raaja hain mere samaan ' chhote-se jeevaka vadh karanepar aapako kalank lagegaa.' yah sunakar sinhako hansee a gayee aur usane dayaapoorvak chooheko chhoda़ diyaa.
is ghatana ke kuchh dinon baad, vahee sinh shikaarake liye idhara-udhar bhraman karata hua ek shikaareeke jaal men phans gayaa. bahut prayaas karanepar bhee vah svayanko us bandhan se mukt naheen kar sakaa. antamen apane jeevanake baaremen poornatah niraash hokar vah itanee bhayankar garjana karane laga ki poora jangal kaanp uthaa.
sinhane pahale jis chooheko praanadaan diya tha, vah us sthaanake sameep hee nivaas karata thaa. apane praanadaataakee aavaaj sunakar vah tatkaal vahaan a pahunchaa. sinhapar aaye hue is sankatako dekhakar usane avilamb jaal kaatana aarambh kar diya aur thoda़ee hee deramen use bandhan se mukt kar daalaa. kiseeke bhee oopar daya karana nishphal naheen jaataa. chaahe jitana bhee chhota jeev kyon n ho, upakaar kiye jaanepar, kabhee-na-kabhee vah usaka badala chuka sakata hai.

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