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कच्चा बर्तन  [Story To Read]
Hindi Story - Story To Read (छोटी सी कहानी)

संत- मण्डलीके साथ ज्ञानेश्वर महाराज गोरा कुम्हारके घर आये। नामदेव भी साथ थे। ज्ञानदेवने गोरासे कहा तुम कुशल कुम्भकार हो बताओ, इनमेंसे कौन-सा बर्तन कच्चा है ?'

गोराने पिटनी लेकर पीटना शुरू कर दिया। सभी संत मार खाकर भी शान्त रहे। नामदेवकी बारी आयी तो वे एकदम बिगड़ उठे घट गोरा बोला यही कच्चा भाजन है।'

नामदेव बड़े ही दुखी हुए। सब संतोंके बीच गोराद्वारा किये गये अपमानकी उन्होंने भगवान्से शिकायत की।

भगवान्ने कहा 'नामा! सच है कि तू मेरा परम भक्त है और मैं तेरे लिये सदा सब कुछ करनेको तैयार रहता हूँ। फिर भी तुझसे मेरे तेरेका भेद न मिटनेसे तू कच्चा ही है। वह तो बिना गुरुकी शरण गये मिट नहीं सकता। शिवालयमें विठोबा खेचर परम संत हैं। उनके पास जाकर ज्ञान प्राप्त कर आ।'

नामदेव विठोबाके पास गये। विठोबा सो रहे थे। उनके पैर शिवकी पिण्डीपर धरे देख नामदेवको बड़ी अश्रद्धा हुई। उसने सोचा-क्या ऐसे ही अधिकारीसेज्ञान पानेकी प्रभुने मुझे सलाह दी। क्या यही 'प्रथमग्रासे मक्षिकापातः ?' आखिर नामदेव कह ही बैठे-'महाशय, आप बड़े।

संत कहलाते हैं और शङ्करकी पिण्डीपर पैर धरते हैं। विठोबाने कहा – 'नामा! मैं बूढ़ा जर्जर हो गया हूँ। तुम्हीं मेरे पैर उठाकर उस जगह रख दो, जहाँ शिवकी पिण्डी न हो।

नामदेवने उनके पैर पकड़कर पिण्डीसे उतार अन्यत्र रखे। वहाँ भी शिवकी पिण्डी दीख पड़ी। वह जहाँ-जहाँ उनके पैर उठाकर रखता वहीं सर्वत्र शिवकी पिण्डिका दीख पड़ती। नामदेव असमंजसमें पड़ गया। उसने विठोबा खेचरके चरण पकड़ सर्वत्र शिव-ही-शिव दीख पड़नेकी बात कही और इसका रहस्य पूछा।

विठोबाने नामदेवके सिरपर अभय कर रखकर | अद्वैतका बोध नामदेवकी द्वैतबुद्धि मिट गयी। दूसरे दिन संत-सभाके बीच भगवान्ने नामदेवको | लक्ष्यकर संतोंसे सगर्व कहा- अब यह भाजन भी पक्का बन गया।
-गो0 न0 बै0 (भक्ति-विजय, अध्याय 18)



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kachcha bartana

santa- mandaleeke saath jnaaneshvar mahaaraaj gora kumhaarake ghar aaye. naamadev bhee saath the. jnaanadevane goraase kaha tum kushal kumbhakaar ho bataao, inamense kauna-sa bartan kachcha hai ?'

goraane pitanee lekar peetana shuroo kar diyaa. sabhee sant maar khaakar bhee shaant rahe. naamadevakee baaree aayee to ve ekadam bigada़ uthe ghat gora bola yahee kachcha bhaajan hai.'

naamadev bada़e hee dukhee hue. sab santonke beech goraadvaara kiye gaye apamaanakee unhonne bhagavaanse shikaayat kee.

bhagavaanne kaha 'naamaa! sach hai ki too mera param bhakt hai aur main tere liye sada sab kuchh karaneko taiyaar rahata hoon. phir bhee tujhase mere tereka bhed n mitanese too kachcha hee hai. vah to bina gurukee sharan gaye mit naheen sakataa. shivaalayamen vithoba khechar param sant hain. unake paas jaakar jnaan praapt kar aa.'

naamadev vithobaake paas gaye. vithoba so rahe the. unake pair shivakee pindeepar dhare dekh naamadevako bada़ee ashraddha huee. usane sochaa-kya aise hee adhikaareesejnaan paanekee prabhune mujhe salaah dee. kya yahee 'prathamagraase makshikaapaatah ?' aakhir naamadev kah hee baithe-'mahaashay, aap bada़e.

sant kahalaate hain aur shankarakee pindeepar pair dharate hain. vithobaane kaha – 'naamaa! main boodha़a jarjar ho gaya hoon. tumheen mere pair uthaakar us jagah rakh do, jahaan shivakee pindee n ho.

naamadevane unake pair pakada़kar pindeese utaar anyatr rakhe. vahaan bhee shivakee pindee deekh pada़ee. vah jahaan-jahaan unake pair uthaakar rakhata vaheen sarvatr shivakee pindika deekh pada़tee. naamadev asamanjasamen pada़ gayaa. usane vithoba khecharake charan pakada़ sarvatr shiva-hee-shiv deekh pada़nekee baat kahee aur isaka rahasy poochhaa.

vithobaane naamadevake sirapar abhay kar rakhakar | advaitaka bodh naamadevakee dvaitabuddhi mit gayee. doosare din santa-sabhaake beech bhagavaanne naamadevako | lakshyakar santonse sagarv kahaa- ab yah bhaajan bhee pakka ban gayaa.
-go0 na0 bai0 (bhakti-vijay, adhyaay 18)

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