⮪ All Stories / कथा / कहानियाँ

कुमारी केशिनीका त्याग और प्रह्लादका न्याय  [आध्यात्मिक कहानी]
Spiritual Story - Story To Read (Hindi Story)

पञ्चाल प्रदेशकी सर्वगुणसम्पन्ना विवेकशीला लोक विश्रुत सुन्दरी एक स्वयंवरा कन्या थी। वह श्रेष्ठ कुलमें उत्पन्न सत्पुरुषसे ही विवाह करना चाहती थी। वह इस बातको अच्छी तरह समझती थी कि विवाह योग्य वरके सम्मान्य गुणोंमें सत्कुलका महनीय स्थान है। यही कारण था कि उसने वैवाहिक जीवनके सब सुखोंपर सत्कुलको ही विशेषता दी और तपस्वी ऋषि कुमार सुधन्वासे विवाह करनेका निश्चय किया। केशिनीके पास विवाहार्थी अनेक राजकुमारोंके भी

प्रस्ताव आये; परन्तु उसने सबको ठुकरा दिया। एक

दिन सम्राट् प्रह्लादके युवराज विरोचनने भी अपनी विवाहेच्छा उसके सम्मुख प्रकट की। यद्यपि युवराज विरोचनके साथ विवाह करनेके सांसारिक लाभ केशिनीकी दृष्टिसे ओझल नहीं थे, तथापि उसने विरोचनको इन शब्दोंमें उत्तर दिया

'राजकुमार ! मैंने महर्षि अङ्गिराके पुत्र सुधन्वासे विवाह करनेका निश्चय किया है, परंतु यह निश्चय उनके कुलश्रेष्ठ होनेके कारण ही किया गया है। अब आप ही बताइये कि कुलमें ब्राह्मण श्रेष्ठ हैं या दैत्य; यदि ब्राह्मण श्रेष्ठ हैं तो मैं सुधन्वासे विवाह क्यों न करूँ ?'

इसपर विरोचनने दैत्य-कुलके श्रेष्ठत्वका प्रतिपादन किया। उत्तरमें केशिनीने कहा- 'ठीक है, यदि आपका ऐसा मत है तो कल प्रातःकाल स्वयंवरसे पहले हमारे घरपर आ जाइये; वहाँ सुधन्वा भी होंगे, आप इस विषयमें उनसे विचार-विनिमय कर सकते हैं।'

प्रातः काल दोनों कुमार केशिनीके घरपर पहुँचे, परंतु वहाँ एक अरुचिकर घटना हो गयी। वह यह कि विरोचन पहले पहुंचे और सुधन्या पीछे इसलिये विरोचनने उससे कहा, 'सुधन्वा ! तुम यहाँ मेरे पास सिंहासनपर बैठो।' किंतु सुधन्वाने उसके पास बैठनेसे इनकार करते हुए यह कहा कि 'समान गुणशील व्यक्ति ही एक साथ बैठ सकते हैं।'

पिता-पुत्र, दो ब्राह्मण, दो क्षत्रिय, दो वृद्ध और दोशूद्र एक आसनपर साथ बैठ सकते हैं। इस दृष्टिसे मैं तुम्हारे पास नहीं बैठ सकता; क्योंकि तुम मेरे समान नहीं हो। सम्भवतः तुम्हें यह बात मालूम नहीं कि जब मैं तुम्हारे पिताकी सभामें जाता था, तब वे मुझे उच्चासनपर बैठाकर स्वयं मुझसे नीचे बैठते थे और मेरी सेवा-शुश्रूषा भी करते थे।

इसपर दोनोंमें विवाद छिड़ गया; परंतु वे एकमत नहीं हो सके। ऐसी परिस्थितिमें उन्होंने किसी न्यायाधीशसे ही निर्णय लेना उचित समझा। परंतु विरोचनके यह कहनेपर कि वे देवता और ब्राह्मणको न्यायाधीश नहीं बना सकते, सुधन्वाने विरोचनके पिता सम्राट् प्रह्लादजीको ही न्यायाधीश चुना; किंतु इसमें शर्त यह रही कि विजित व्यक्ति विजेताके चरणोंमें अपने प्राण समर्पित कर दे।

इसपर दोनों न्याय-पिपासु कुमार महाराज श्रीप्रह्लादजीके पास गये और उनसे सब कुछ कह दिया। प्राण पणकी बात भी कह दी और न्यायके लिये दोनोंने उनसे प्रार्थना की।

प्रह्लादजी एक बार तो पुत्र-स्नेहसे सकुचाये; किंतु उन्होंने धर्माधर्म और सत्यासत्यके विषयमें सुधन्वासे विचार-विनिमय किया। सुधन्वाने बतलाया-

यां रात्रिमधिविन्ना स्त्री यां चैवाक्षपराजितः l

यां च भाराभितप्ताङ्गो दुर्विवक्ता स्म तां वसेत् ॥

नगरे प्रतिरुद्धः सन् बहिद्वरि बुभुक्षितः l

अमित्रान् भूयसः पश्येद् यः साक्ष्यमनृतं वदेत् ॥

पञ्च पश्चनृते हन्ति दश हन्ति गवानृते ।

शतमश्वानृते हन्ति सहस्त्र पुरुषानृते ॥

हन्ति जातानजातांश्च हिरण्यार्थेऽनृतं वदन् ।

सर्व भूम्यनृते हन्ति मास्य भूम्यनृतं वदेः ॥

(महा0 उद्योग0 35 31-34)

सौतवाली स्त्री, जूएमें हारे हुए जुआरी और भार ढोनेसे व्यथित शरीरवाले मनुष्यकी रात्रिमें जो स्थिति होती है, वही उलटा न्याय देनेवाले वक्ताकी होती है।जो झूठा निर्णय देता है, वह राजाके नगरमें कैद होकर बाहरी दरवाजेपर भूखका कष्ट सहता हुआ बहुत-से शत्रुओंको देखता है। साधारण पशुके लिये झूठ बोलनेसे पाँच पीढ़ियाँ, गौके लिये झूठ बोलनेवालेकी दस पीढ़ियाँ, घोड़ेके लिये झूठ बोलनेसे सौ पीढ़ियाँ और मनुष्यके लिये झूठ बोलनेसे एक हजार पीढ़ियाँ नरकमें गिरती हैं। सोनेके लिये झूठ बोलनेवाला भूत, भविष्यकी सभी पीढ़ियोंको नरकमें गिराता है। पृथ्वी (स्त्री) के लिये झूठ बोलनेवाला तो अपना सर्वनाश ही कर लेता है। अतएव आप भूमि (स्त्री) के लिये झूठा निर्णय कभी मत दीजियेगा ।

प्रह्लादने अन्तमें पुत्र-स्नेहकी तुलनामें सत्य और कुल-गौरवको विशेषता देते हुए विरोचनको सम्बोधित करके कहा-

मत्तः श्रेयानङ्गिरा वै सुधन्वा त्वद्विरोचन ।

मातास्य श्रेयसी मातुस्तस्मात्त्वं तेन वै जितः ॥

(महा0 उद्योग0 31 । 34)

'विरोचन! अङ्गिरा मुझसे श्रेष्ठ हैं, सुधन्वाकी माता तेरी मातासे श्रेष्ठ है और तुझसे सुधन्वा श्रेष्ठ है। अतःसुधन्वाने तुझे जीत लिया, अब सुधन्वा तेरे प्राणोंका स्वामी है।' इस प्रकार प्रसन्न होकर सुधन्वाने सहृदयता पूर्वक कहा-

यद्धर्ममवृणीथास्त्वं न कामादनृतं वदीः ।

पुनर्ददामि ते पुत्रं तस्मात् प्रह्लाद दुर्लभम् ॥

एष प्रह्लाद पुत्रस्ते मया दत्तो विरोचनः ।

पादप्रक्षालनं कुर्यात् कुमार्याः संनिधौ मम ॥

(महा0 उद्योग0 अ0 34 )

'प्रह्लादजी ! आपने पुत्र - स्नेहके वशीभूत होकर भी असत्य भाषण नहीं किया, अपितु विशुद्ध न्याय प्रदान किया; इसलिये मैं यह दुर्लभ पुत्र आपको सौंपता हूँ; किंतु यह कुमारी केशिनीके सम्मुख हमारे पैर धोये यही इस घटनाका साधारण सा प्रायश्चित्त है।'

यहाँ उल्लेखनीय बात यह है कि कुमारी केशिनीने अश्वस्तनिक सुधन्वाको जीवन सङ्गी और धर्म - साथी बनाकर न केवल अपने भौतिक सुख-विलासकी तुलनामें सत्कुलोत्पन्न व्यक्तित्वको विशेषता दी, अपितु उसने अपने जीवनके द्वारा हिंदू-संस्कृतिका एक विश्व-स्पृहणीय उदाहरण भी संसारके सामने प्रस्तुत किया।



You may also like these:

हिन्दी कथा सेवा ही भक्ति है
हिन्दी कहानी सीख एक गुरुकी
Hindi Story सादगी
हिन्दी कहानी समताका भाव
आध्यात्मिक कहानी सबहि नचावत रामु गोसाईं
हिन्दी कथा सद्गुरुकी सीख
हिन्दी कहानी सत्संगका प्रभाव
आध्यात्मिक कहानी सत्यकी जय होती है
आध्यात्मिक कहानी संयमका सुफल


kumaaree keshineeka tyaag aur prahlaadaka nyaaya

panchaal pradeshakee sarvagunasampanna vivekasheela lok vishrut sundaree ek svayanvara kanya thee. vah shreshth kulamen utpann satpurushase hee vivaah karana chaahatee thee. vah is baatako achchhee tarah samajhatee thee ki vivaah yogy varake sammaany gunonmen satkulaka mahaneey sthaan hai. yahee kaaran tha ki usane vaivaahik jeevanake sab sukhonpar satkulako hee visheshata dee aur tapasvee rishi kumaar sudhanvaase vivaah karaneka nishchay kiyaa. keshineeke paas vivaahaarthee anek raajakumaaronke bhee

prastaav aaye; parantu usane sabako thukara diyaa. eka

din samraat prahlaadake yuvaraaj virochanane bhee apanee vivaahechchha usake sammukh prakat kee. yadyapi yuvaraaj virochanake saath vivaah karaneke saansaarik laabh keshineekee drishtise ojhal naheen the, tathaapi usane virochanako in shabdonmen uttar diyaa

'raajakumaar ! mainne maharshi angiraake putr sudhanvaase vivaah karaneka nishchay kiya hai, parantu yah nishchay unake kulashreshth honeke kaaran hee kiya gaya hai. ab aap hee bataaiye ki kulamen braahman shreshth hain ya daitya; yadi braahman shreshth hain to main sudhanvaase vivaah kyon n karoon ?'

isapar virochanane daitya-kulake shreshthatvaka pratipaadan kiyaa. uttaramen keshineene kahaa- 'theek hai, yadi aapaka aisa mat hai to kal praatahkaal svayanvarase pahale hamaare gharapar a jaaiye; vahaan sudhanva bhee honge, aap is vishayamen unase vichaara-vinimay kar sakate hain.'

praatah kaal donon kumaar keshineeke gharapar pahunche, parantu vahaan ek aruchikar ghatana ho gayee. vah yah ki virochan pahale pahunche aur sudhanya peechhe isaliye virochanane usase kaha, 'sudhanva ! tum yahaan mere paas sinhaasanapar baitho.' kintu sudhanvaane usake paas baithanese inakaar karate hue yah kaha ki 'samaan gunasheel vyakti hee ek saath baith sakate hain.'

pitaa-putr, do braahman, do kshatriy, do vriddh aur doshoodr ek aasanapar saath baith sakate hain. is drishtise main tumhaare paas naheen baith sakataa; kyonki tum mere samaan naheen ho. sambhavatah tumhen yah baat maaloom naheen ki jab main tumhaare pitaakee sabhaamen jaata tha, tab ve mujhe uchchaasanapar baithaakar svayan mujhase neeche baithate the aur meree sevaa-shushroosha bhee karate the.

isapar dononmen vivaad chhida़ gayaa; parantu ve ekamat naheen ho sake. aisee paristhitimen unhonne kisee nyaayaadheeshase hee nirnay lena uchit samajhaa. parantu virochanake yah kahanepar ki ve devata aur braahmanako nyaayaadheesh naheen bana sakate, sudhanvaane virochanake pita samraat prahlaadajeeko hee nyaayaadheesh chunaa; kintu isamen shart yah rahee ki vijit vyakti vijetaake charanonmen apane praan samarpit kar de.

isapar donon nyaaya-pipaasu kumaar mahaaraaj shreeprahlaadajeeke paas gaye aur unase sab kuchh kah diyaa. praan panakee baat bhee kah dee aur nyaayake liye dononne unase praarthana kee.

prahlaadajee ek baar to putra-snehase sakuchaaye; kintu unhonne dharmaadharm aur satyaasatyake vishayamen sudhanvaase vichaara-vinimay kiyaa. sudhanvaane batalaayaa-

yaan raatrimadhivinna stree yaan chaivaakshaparaajitah l

yaan ch bhaaraabhitaptaango durvivakta sm taan vaset ..

nagare pratiruddhah san bahidvari bubhukshitah l

amitraan bhooyasah pashyed yah saakshyamanritan vadet ..

panch pashchanrite hanti dash hanti gavaanrite .

shatamashvaanrite hanti sahastr purushaanrite ..

hanti jaataanajaataanshch hiranyaarthe'nritan vadan .

sarv bhoomyanrite hanti maasy bhoomyanritan vadeh ..

(mahaa0 udyoga0 35 31-34)

sautavaalee stree, jooemen haare hue juaaree aur bhaar dhonese vyathit shareeravaale manushyakee raatrimen jo sthiti hotee hai, vahee ulata nyaay denevaale vaktaakee hotee hai.jo jhootha nirnay deta hai, vah raajaake nagaramen kaid hokar baaharee daravaajepar bhookhaka kasht sahata hua bahuta-se shatruonko dekhata hai. saadhaaran pashuke liye jhooth bolanese paanch peedha़iyaan, gauke liye jhooth bolanevaalekee das peedha़iyaan, ghoda़eke liye jhooth bolanese sau peedha़iyaan aur manushyake liye jhooth bolanese ek hajaar peedha़iyaan narakamen giratee hain. soneke liye jhooth bolanevaala bhoot, bhavishyakee sabhee peedha़iyonko narakamen giraata hai. prithvee (stree) ke liye jhooth bolanevaala to apana sarvanaash hee kar leta hai. ataev aap bhoomi (stree) ke liye jhootha nirnay kabhee mat deejiyega .

prahlaadane antamen putra-snehakee tulanaamen saty aur kula-gauravako visheshata dete hue virochanako sambodhit karake kahaa-

mattah shreyaanangira vai sudhanva tvadvirochan .

maataasy shreyasee maatustasmaattvan ten vai jitah ..

(mahaa0 udyoga0 31 . 34)

'virochana! angira mujhase shreshth hain, sudhanvaakee maata teree maataase shreshth hai aur tujhase sudhanva shreshth hai. atahsudhanvaane tujhe jeet liya, ab sudhanva tere praanonka svaamee hai.' is prakaar prasann hokar sudhanvaane sahridayata poorvak kahaa-

yaddharmamavrineethaastvan n kaamaadanritan vadeeh .

punardadaami te putran tasmaat prahlaad durlabham ..

esh prahlaad putraste maya datto virochanah .

paadaprakshaalanan kuryaat kumaaryaah sannidhau mam ..

(mahaa0 udyoga0 a0 34 )

'prahlaadajee ! aapane putr - snehake vasheebhoot hokar bhee asaty bhaashan naheen kiya, apitu vishuddh nyaay pradaan kiyaa; isaliye main yah durlabh putr aapako saunpata hoon; kintu yah kumaaree keshineeke sammukh hamaare pair dhoye yahee is ghatanaaka saadhaaran sa praayashchitt hai.'

yahaan ullekhaneey baat yah hai ki kumaaree keshineene ashvastanik sudhanvaako jeevan sangee aur dharm - saathee banaakar n keval apane bhautik sukha-vilaasakee tulanaamen satkulotpann vyaktitvako visheshata dee, apitu usane apane jeevanake dvaara hindoo-sanskritika ek vishva-sprihaneey udaaharan bhee sansaarake saamane prastut kiyaa.

78 Views





Bhajan Lyrics View All

आज बृज में होली रे रसिया।
होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥
तमन्ना यही है के उड के बरसाने आयुं मैं
आके बरसाने में तेरे दिल की हसरतो को
सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है ।
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
हर पल तेरे साथ मैं रहता हूँ,
डरने की क्या बात? जब मैं बैठा हूँ
मुँह फेर जिधर देखु मुझे तू ही नज़र आये
हम छोड़के दर तेरा अब और किधर जाये
वृन्दावन धाम अपार, जपे जा राधे राधे,
राधे सब वेदन को सार, जपे जा राधे राधे।
साँवरिया ऐसी तान सुना,
ऐसी तान सुना मेरे मोहन, मैं नाचू तू गा ।
Ye Saare Khel Tumhare Hai Jag
Kahta Khel Naseebo Ka
आँखों को इंतज़ार है सरकार आपका
ना जाने होगा कब हमें दीदार आपका
मेरा अवगुण भरा शरीर, कहो ना कैसे
कैसे तारोगे प्रभु जी मेरो, प्रभु जी
मेरी बाँह पकड़ लो इक बार,सांवरिया
मैं तो जाऊँ तुझ पर कुर्बान, सांवरिया
ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
इक तारा वाजदा जी हर दम गोविन्द गोविन्द
जग ताने देंदा ए, तै मैनु कोई फरक नहीं
सुबह सवेरे  लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते है हम शुरु आज का काम प्रभु,
रंगीलो राधावल्लभ लाल, जै जै जै श्री
विहरत संग लाडली बाल, जै जै जै श्री
रंग डालो ना बीच बाजार
श्याम मैं तो मर जाऊंगी
श्यामा तेरे चरणों की गर धूल जो मिल
सच कहता हूँ मेरी तकदीर बदल जाए॥
तेरा गम रहे सलामत मेरे दिल को क्या कमी
यही मेरी ज़िंदगी है, यही मेरी बंदगी है
जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी
सारी दुनियां है दीवानी, राधा रानी आप
कौन है, जिस पर नहीं है, मेहरबानी आप की
हे राम, हे राम, हे राम, हे राम
जग में साचे तेरो नाम । हे राम...
लाली की सुनके मैं आयी
कीरत मैया दे दे बधाई
मेरे जीवन की जुड़ गयी डोर, किशोरी तेरे
किशोरी तेरे चरणन में, महारानी तेरे
अपनी वाणी में अमृत घोल
अपनी वाणी में अमृत घोल
मैं तो तुम संग होरी खेलूंगी, मैं तो तुम
वा वा रे रासिया, वा वा रे छैला
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया, दिल दीवाना हो गया ॥
राधे तेरे चरणों की अगर धूल जो मिल जाए
सच कहता हू मेरी तकदीर बदल जाए
करदो करदो बेडा पार, राधे अलबेली सरकार।
राधे अलबेली सरकार, राधे अलबेली सरकार॥
सत्यम शिवम सुन्दरम
सत्य ही शिव है, शिव ही सुन्दर है

New Bhajan Lyrics View All

दिल में श्री राम बसें है संग माता
बैठा खड़ताल भजाये रघुवर के नाम की...
दादा देव दादा देव जय जय श्री दादा देव,
धोले घोड़े पे चढ़के आजा दादा देव जी,
सोतेसोते सोने सा जीवन व्यर्थ गुजारा
अब तो पगले नींद छोड़ दे बजा काल नकारा
पार्वती लाल करे सबको निहाल जी,
विघ्न हरण सुख दायी गणपति तेरी जय हो,
झूला झुलत बिहारी वृंदावन में,
कैसी छाई हरियाली इन कुंज में,